थोड़ी सी लापरवाही पड़ रही फसल पर भारी
गेहूं की फसल कटने का समय जैसे ही करीब आता है कि उसके पहले गर्मी दस्तक दे चुकी होती है। ऐसे में आम लोगों की छोटी सी भूल का खामियाजा किसानों को पूरे साल की मेहनत पर फसल के नुकसान के रूप में पड़ जाता है।
बक्सर । गेहूं की फसल कटने का समय जैसे ही करीब आता है कि उसके पहले गर्मी दस्तक दे चुकी होती है। ऐसे में आम लोगों की छोटी सी भूल का खामियाजा किसानों को पूरे साल की मेहनत पर फसल के नुकसान के रूप में पड़ जाता है। सैकड़ों बीघे में लगी फसल देखते ही देखते जलकर राख हो जाती है। विगत तीन दिनों से जिले में हुई अगलगी की घटनाओं पर गौर करें तो लगभग 500 एकड़ से अधिक खेतों में लगी गेहूं की फसल जलकर राख हो चुकी है। जबकि थोड़ी सावधानी बरतने पर अगलगी की इन बड़ी घटनाओं पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है। मार्च बीतने के साथ ही गर्मी दस्तक देने लगती है। इसके साथ ही खेत में गेहूं की फसल भी तैयार हो जाती है। अप्रैल में पछुवा हवा के जोर पकड़ते ही फसल तेजी से पकने लगती है। जिसके साथ ही गेहूं की कटाई का काम शुरू हो जाता है। इसके साथ ही हर साल किसानों को इस मौसम में अगलगी की बड़ी त्रासदी झोलनी पड़ जाती है। जिससे सैकड़ों एकड़ में लगी गेहूं की फसल जलकर राख में तब्दील हो जाती है। और किसानों के साल भर की मेहनत पर एक ही झटके में पानी फिर जाता है। इसके लिए जरूरी है कि हर साल होने वाली अगलगी की इन घटनाओं की वजह क्या है उसपर हम गौर करें। आग लगने के कारण
मौजूदा समय गेहूं की कटाई अब हाथों से न कर हार्वेस्टर की मदद से की जाती है। जो ऊपर से ही गेहूं की बालियों को काटकर डंठल खेत में ही छोड़ देता है। जिसे किसान आग लगाकर खेतों में ही जला देते हैं। डंठल जलाने के दौरान उड़ी एक छोटी सी चिगारी आसपास के खेतों में खड़ी फसल को जलाने के लिए काफी होती है। वहीं कई दफा बिजली के तारों की शार्ट सर्किट से उड़ी चिगारी के कारण भी खेतों में आग लग जाती है। जबकि ग्रामीण इलाकों में गोबर के उपले और लकड़ी आदि पर पकाए जा रहे भोजन भी अगलगी का कारण बन रहा है। भोजन पकाने के बाद बची हुई राख महिलाएं घर के बाहर कूड़े पर फेंक आती हैं। जो धीरे-धीरे सुलगते हुए दावानल का रूप धारण कर लेता है। और उसकी चपेट में आकर हर साल दर्जनों झोपड़ियां जलकर राख हो जाती हैं। जिससे जान-माल की क्षति का सामना करना पड़ जाता है। बिजली विभाग तत्पर
बिजली के तारों के बीच शार्ट सर्किट से निकली चिगारी पर काबू पाने के लिए ग्रामीण इलाकों में प्रतिदिन सुबह दस बजे से शाम तक बिजली की सप्लाई बंद कर दी जा रही है। जिससे अगलगी की संभावनाओं को कम किया जा सके। हालांकि, कई दफा इसके बाद भी शाम अथवा रात को शार्ट सर्किट से निकली चिगारी खेतों में अगलगी का कारण बन रही है। डंठल को खेत में न जलाएं
कृषि विभाग द्वारा हर साल इससे बचाव के उपाय की ग्रामीणों और किसानों को दी जाती है। जिसके तहत गेहूं कटने के बाद बचे हुए अवशेषों को खेत में ही दबाकर छोड़ देने का निर्देश दिया जात है। जो आने वाले बरसात में सड़कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाने का काम करता है। जबकि खेत में डंठल जला देने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। सुबह नौ बजे तक पका लें भोजन
हर साल जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को इस बात का निर्देश दिया जाता है कि सुबह नौ बजने तक अपना भोजन तैयार कर लें। इसके बाद बची हुई राख को पानी डालकर बुझाने के बाद उसे जमीन के अंदर ढंक दे। जिससे एक भी चिगारी नहीं उड़ सके।