Move to Jagran APP

गंगा तट के साथ ही घरों में भी जले आस्था के दीप, अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य

बक्सर लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा के मौके पर महिलाएं घरों में छठी मइया क

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 09:27 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 09:27 PM (IST)
गंगा तट के साथ ही घरों में भी जले आस्था के दीप, अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य
गंगा तट के साथ ही घरों में भी जले आस्था के दीप, अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य

बक्सर : लोक आस्था के महापर्व चार दिवसीय छठ पूजा के मौके पर महिलाएं घरों में छठी मइया की परंपरागत मनोहर लोकगीत कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए ., मरबो रे सुगवा धनुष से, सुगवा गिरे मुरझाय., केलवा के पाट पर. आदि गुनगुना रही थीं। इन पारंपरिक गीतों का शोर विगत सालों में सड़कों पर चारों तरफ गूंजते सुनाई देता था। परन्तु गत वर्ष से कोरोना की त्रासदी की वजह से यह पारंपरिक गीत घरों तक ही सिमट कर रह गया है। हालांकि, अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य अर्पित करने के लिए कुछ व्रती आस-पास के गंगा घाटों पर भी आस्था के दीप जलाते नजर आए।

loksabha election banner

दरअसल, रविवार को चार दिवसीय महापर्व का तीसरा दिन था। जिसके अंतर्गत व्रती महिलाओं ने शाम में अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया। पर्व को लेकर उनकी आस्था व विश्वास की डोर कहीं से ढीली नजर नहीं आई। क्योंकि, अधिकांश लोगों ने अपने-अपने घरों में ही हौज बनाकर उसमें पानी रखकर विधि-विधान के साथ अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया। वहीं कुछ व्रतियों ने गंगा घाटों पर भी जाकर अपनी आस्था के दीप जलाए। इस बाबत आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ने कहा कि धर्म में मर्यादा का पालन जरूरी है। आज पूरा देश कोरोना संक्रमण को लेकर चितित है। इसकी रोकथाम के लिए ही सामूहिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है। इस कर्तव्य का निर्वहन करना सबों के हित मे हैं। यह अलग बात है कि जो उत्साह व उमंग पर्व को लेकर पूर्व के वर्षों में रहता था, उसमें कमी रही। परन्तु, धर्म के प्रति आस्था व अटूट विश्वास रहने के कारण कोरोना वायरस से बचाव को बताए गए नियमानुसार एक-दूसरे से दूरी बनाते हुए व्रतियों ने प्रकृति से क्षमा की याचना की है। सुबह तमाम व्रती उदीयमान सूर्य को भी अपना अ‌र्घ्य अर्पित करेंगे।

प्रमुख घाटों पर की गई थी बैरिकेडिग

जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए छठ पूजा के पहले ही शहर के सभी वैसे घाटों पर बैरिकेटिग करते हुए छठ पूजा का आयोजन घाटों पर करने से प्रशासन द्वारा रोक लगा दी गई थी। इसके साथ ही शहर के रामरेखा घाट, नाथबाबा घाट और सती घाट आदि प्रमुख घाटों पर दंडाधिकारियों तथा पुलिस पदाधिकारियों के साथ सुरक्षा बलों को तैनात किए गए थे, जो अज्ञानता वश घाटों पर जाकर छठ पूजा करने वालों पर रोक लगाएंगे। हालांकि, प्रशासन को किसी विशेष सख्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी और लोगों ने खुद ही घाटों पर जाने से इंकार कर दिया। हालांकि, प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद शहर से बाहर के कुछ गंगा घाटों पर जाकर इक्का-दुक्का लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्च को अ‌र्घ्य अर्पित किया।

कल महाष्टमी और अगले दिन रामनवमी

आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ने बताया कि सोमवार को उदीयमान भगवान भास्कर को अ‌र्घ्य दिए जाने के बाद मंगलवार को महाष्टमी की पूजा की जाएगी। वहीं, अगले दिन बुधवार को रामनवमी की पूजा भी पूरे मनोयोग के साथ श्रद्धालु करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.