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हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर जगह-जगह कार्यक्रम

आरा। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न संगठनों के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 09:22 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 09:22 PM (IST)
हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर जगह-जगह कार्यक्रम
हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर जगह-जगह कार्यक्रम

आरा। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर विभिन्न संगठनों के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें वक्ताओं ने हिन्दी की मौजूदा स्थिति प्रकाश डाला और उचित सम्मान दिलाने के लिए आगे आने का आह्वान किया। अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य समागम के तत्वावधान में पावरगंज में हिन्दी के विकास पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय संयोजक राजेन्द्र पुष्कर ने कहा कि संसार के सभी देशों की अपनी राष्ट्रभाषा है। लेकिन अफसोस की बात है कि आजादी के वर्षों बाद भी अपने देश में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया। कार्यक्रम में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश की राजधानी व जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना देने का निर्णय हुआ। अन्य वक्ताओं में डॉ.बंसीधर शर्मा, संतोष श्रीवास्तव, हृदयानंद राय, सतीश राणा आदि थे। मंच संचालन डॉ.रामराज ¨सह ने किया। इस मौके पर डॉ.तारकेश्वर ¨सह, जितेन्द्र कुमार, रामचन्द्र प्रसाद, डॉ.आर.सी.भूषण आदि मौजूद थे। विश्व भोजपुरी हिन्दी विकास महासंघ, संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेदकर विचार मंच और महापुरुष प्रेरणा उत्थान समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। हिन्दी के विकास में बाधक हिन्दुस्तानी विषयक गोष्ठी का विषय प्रवेश करते हुए गोष्ठी के अध्यक्ष अधिवक्ता जितेन्द्र कुमार ने कहा कि हिन्दी के दुश्मन अंग्रेजी अथवा अंग्रेज नहीं, बल्कि स्वयं हिन्दुस्तानी हैं। आजादी के वर्षाें बाद भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला। जनहित परिवार के सचिव अतुल प्रकाश ने कहा कि जिस देश की अपनी राष्ट्रभाषा नहीं होती है, वह देश गूंगा होता है। अन्य वक्ताओं में अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार, अधिवक्ता रूबी कुमारी समेत अन्य थे। इस अवसर पर सारिका, अंजु देवी, रवीन्द्र कुमार, संजय कुमार अकेला, देवेन्द्र प्रसाद, ललन राय आदि थे। स्थानीय बाबू बाजार में एक संगोष्ठी नागरी प्रचारिणी सभा के प्रभात कुमार ¨सह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। अपने वक्तव्य में श्री ¨सह ने हिन्दी दिवस के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। अन्य वक्ताओं में जगत नारायण तिवारी, विश्वनाथ ¨सह, रमेश प्रसाद श्रीवास्तव, उपेन्द्र ठाकुर, कन्हैया ¨सह, मो.कमाल अख्तर, दुर्गविजय ¨सह, विनोद चन्द्रवंशी आदि थे।

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