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महिलाएं व बच्चियां सर्वाधिक कुपोषण की शिकार: डॉ. प्रवीण

कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ. प्रवीण कुमार द्विवेदी ने कहा कि आज महिलाएं और बच्चियां सर्वाधिक कुपोषण की शिकार हो चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 04:55 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 04:55 PM (IST)
महिलाएं व बच्चियां सर्वाधिक 
कुपोषण की शिकार: डॉ. प्रवीण
महिलाएं व बच्चियां सर्वाधिक कुपोषण की शिकार: डॉ. प्रवीण

आरा। कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ. प्रवीण कुमार द्विवेदी ने कहा कि आज महिलाएं और बच्चियां सर्वाधिक कुपोषण की शिकार हो चुकी हैं। वे स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र सभागार में जीविका से जुड़ी ग्रामीण संसाधन सेवियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बोल रहे थे। जीविका व केविके के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के बड़हरा, संदेश, सहार प्रखंड और आरा प्रखंड से शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी जो पोषण वाटिका होगी, इसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान होगा।

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डॉ. द्विवेदी ने कहा कि मौसम के हिसाब से अलग-अलग सब्जियां व फल अपने-अपने पोषण वाटिका में पैदा करने में सक्षम होंगे। जो बिल्कुल रसायन एवं जहर मुक्त होगा। हम भूसी की राख, सरसों की खल्ली और भखड़ा चुना वर्मी कंपोस्ट वेस्ट डी कंपोजर ज्यादा प्रयोग करेंगे। जिससे पैदावर भी अच्छी होंगी तथा स्वास्थ्य के लिए अमृत तुल्य होगा। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट के इस्तेमाल से फसलों में कीड़ों का प्रकोप अथवा रोग पर भी नियंत्रण रहेगा।

कृषि वैज्ञानिक सुप्रिया वर्मा ने कहा कि पोषण वाटिका के विभिन्न मॉडल की जानकारी देते हुए कहा कि 20 फीट लंबे एवं 20 फीट चौड़े एक छोटे से वाटिका में भी 5-6 लोगों के परिवार के लिए अच्छी गुणवत्ता पूर्ण सब्जी-फल को पैदा करके अपने को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। जीविका के विशेषज्ञ पदाधिकारी पंकज चक्रवर्ती ने कहा कि प्रशिक्षण में जो जैविक विधि बताई जा रही है। इसका प्रयोग कर कालांतर में हमारी जीविका की बहने सामूहिक रुप से जैविक सब्जी एवं फल का उत्पादन करने में सक्षम हो जाएंगी। प्रशिक्षण में शामिल अतिथियों का स्वागत करते हुए जीविका की प्रबंधक स्नेहा ने कहा कि यह प्रशिक्षण मूल रुप से कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है। जिससे समस्त जानकारी को ग्रामीण स्तर तक लाभ होगा।


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