जन- जन के कवि थे गोस्वामी तुलसीदास
राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ याद किया गया। शनिवार को इस मौके पर विद्वत समाज के लोगों ने कहा कि गोस्वामी जी जन- जन के कवि थे।
भोजपुर। राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ याद किया गया। शनिवार को इस मौके पर विद्वत समाज के लोगों ने कहा कि गोस्वामी जी जन- जन के कवि थे। उनकी रचनाओं की पहुंच न केवल देश के कोने कोने में है अपितु विदेशों में भी वे उतने ही लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राम चरित मानस को लोग धर्म ग्रंथ के रूप में पूजते हैं। तरारी प्रखंड के गोपालपुर में मानस प्रचार मंडल के तत्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मानस मर्मज्ञ प्रभुनाथ ¨सह, डॉ भुवनेश्वर तिवारी, सुमेश्वर ¨सह, रामाधार राय, जगदीश तिवारी, मुन्ना जी, हरिशंकर पांडेय, रूदल जी आदि ने कहा कि गोस्वामी द्वारा रचित राम चरित मानस महज एक ग्रंथ नहीं बल्कि सामाजिक संबंधों का आचार संहिता है। इसके माध्यम से गोस्वामी जी ने तमाम सामाजिक संबंधों को परिभाषित किया है। उनकी यह अमर कृति देश व काल की सीमा को लांघते हुए सार्वदेशिक व सार्वकालिक हो गई है। यहां आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल मिश्र ने की।