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चित्रकूट धाम के महंत को मठ में ही दी गई समाधि

भोजपुर। भोजपुर जिले के आरा सदर प्रखंड के चित्रकूट धाम कड़रा के महंत पूज्य संत शिरोमणी आचार्य महावीर दास वेदांती जी महाराज के देहांत के बाद मंगलवार मठ में ही समाधि दी गई। अपराह्न करीब 345 बजे उन्हें विधि-विधान के अनुसार समाधि दी गई। सोमवार को ही अचानक हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया था। वे करीब 72 वर्ष के थे। म

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 11:12 PM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 11:12 PM (IST)
चित्रकूट धाम के महंत को मठ में ही दी गई समाधि
चित्रकूट धाम के महंत को मठ में ही दी गई समाधि

भोजपुर। भोजपुर जिले के आरा सदर प्रखंड के चित्रकूट धाम कड़रा के महंत पूज्य संत शिरोमणी आचार्य महावीर दास वेदांती जी महाराज के देहांत के बाद मंगलवार मठ में ही समाधि दी गई। अपराह्न करीब 3:45 बजे उन्हें विधि-विधान के अनुसार समाधि दी गई। सोमवार को ही अचानक हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया था। वे करीब 72 वर्ष के थे। मूल रूप से यूपी के देवरिया जिले के निवासी थे। चित्रकूटधाम-कड़रा मठ सहित बिहार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न मठों के संरक्षक बिहार और गुजरात के भक्तों के गुरु आचार्य रहे थे। आचार्य महावीर दास जी, व्याकरणाचार्य, वेदाचार्य, संकृताचार्य के साथ-साथ हिदी और अंग्रेजी भाषा के भी अच्छे ज्ञाता रहे थे। बाल्यकाल में ही गुरु श्री राम-लखन दास जी महाराज के सानिध्य में इन्होंने वैराग्य को अपना लिया था। पठन-पाठन भी महाराज के सानिध्य में वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई। श्री राम-लखन दास जी महाराज के देहावसान के बाद आदरणीय महावीर दास जी की चादरपोशी हुई और वे मठाधीश बन गए थे। मठाधीश का पद संभालते मठ को ऊंचाइयों की ओर ले जाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। भवन का निर्माण हो,बगीचा लगाने की बात हो, मजदूरों को रोजी-रोटी देने की बात, महाराज हमेशा ही तत्पर रहे।महाराज ने पांच गांव के भक्तों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए,बारह वर्ष का अखंड कीर्तन पूरा कराया था जो कि एक इतिहास था। तत्पश्चात गुजरात के महाराज के भक्त भाई जैश जी और गुजराती समाज ने बिहारी समाज के साथ मिलकर एक बहुत ही सुन्दर मंदिर का न केवल निर्माण करवाया था, बल्कि उसमें श्रीराम-जानकी-लक्ष्मणजी,श्री हनुमान जी,दुर्गा माता एवं बहुत सारे देवी देवताओं के मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित भी करवाया था।तभी से इस मठ का नाम,चित्रकूटधाम-कड़रामठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

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पावन शरीर के अंतिम दर्शन को गांवों में कराई गई परिक्रमा

साधु-संतों, सभी जगह से आए भक्तजन एवं पांचों गांवों के शिष्यों ने अपने गुरु के पावन शरीर को सभी गांवों में अंतिम दर्शन कराने के लिए परिक्रमा कराया गया। अंतिम दर्शन के बाद मठाधीश्वर को चित्रकूटधाम-कड़रामठ में ही समाधि दी गई। अंतिम दर्शन के लिए भदेया, कड़रा, बसंतपुर, रामपुर, देवढ़ी, मोहनपुर गांव में परिक्रमा करायी गई। अपने जीवन काल में ही महाराज ने पिछले साल ही अपने उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिए थे। पैक्स अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह सोलंकी, मुखिया नेहा सिंह , पूर्व मुखिया चन्देश्वर सिंह, पूर्व पसस सुरेन्द्र सिह, हरेन्द्र सिंह , लक्षमण सिंह विरेन्द्र सिंह, रमेश सिंह, पूर्व मुखिया रामदेयाल सिंह, अनिल सिंह कौशल सिंह, चन्देव सिंह, रामपुर मकुन सिंह , जय शंकर सिंह आदि लोगों ने सराहनीय भूमिका निभाई।


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