मलाल: इस बार आरा के पार्षद नहीं कर पाएंगे नेपाल-बंगाल और यूपी की सैर, जनता के हाथ खुले तो परंपरा पर लगी रोक
आरा नगर निगम के आए चुनाव परिणाम के बाद इस बार सबसे बड़ा मलाल चुनाव जीतने वाले पार्षदों को है। इस बार ये पार्षद नेपाल-बंगाल और यूपी की सैर नहीं कर पाएंगे। इस परंपरा पर रोक से मेयर और डिप्टी मेयर लाखों के खर्च से बच गए।
धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। आरा नगर निगम के आए चुनाव परिणाम के बाद इस बार सबसे बड़ा मलाल चुनाव जीते वार्ड पार्षदों को हो रहा है। कुछ पार्षदों को ऐसा लग रहा है जैसे चुनाव जीत कर भी हार गए हैं। हो भी क्यों नहीं, हर बार नेपाल, बंगाल, झारखंड और यूपी के रमणीक स्थानों की सैर और विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन करने की इच्छा इस बार दफन हो गई है।
मेयर और डिप्टी मेयर चुनने के बहाने विगत तीन-चार बार से वार्ड पार्षदों को थोक के भाव में मेयर और डिप्टी मेयर के पद पाने वाले लोग बाहर भ्रमण कराने और भगवान का दर्शन कराने के लिए ले जाते थे। इसी के बहाने वे विभिन्न मंदिर और मस्जिदों की सैर किया करते थे। इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है।
पहले जहां पार्षद नेपाल में काठमांडू, पार्श्वनाथ मंदिर, बंगाल में दीघा, कोलकाता की मशहूर काली मां और यूपी में विंध्याचल और मैहर मां की दर्शन किया करते थे। दर्शन के साथ-साथ पूरी तरह से आवभगत की उत्तम व्यवस्था होती थी। एक सप्ताह से लेकर 15 दिन तक पार्षद बाहर के लजीज व्यंजनों का लुफ्त उठाते थे।
ऐसा नहीं है कि यह व्यवस्था केवल नगर निगम क्षेत्र में शुरू थी। इस सुविधा का लाभ जिले के टी रोड जगदीशपुर बिहार शाहपुर और कोईलवर नगर पंचायत के नव चयनित अधिकांश प्रतिनिधि भी उठाते रहे थे। स्थानीय परंपरा को इस बार राज्य सरकार के एक फैसले ने सभी के सपनों को चकनाचूर कर दिया है।
जनता के द्वारा चुने गए मेयर और डिप्टी मेयर अब किसी पार्षद को सैर नहीं कराएंगे। विगत तीन चार बार से चली आ रही यह परंपरा अब इतिहास बन गई है। इस पर चुनाव जीते हुए एक पार्षद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बार बेचारे क्या मेयर और डिप्टी मेयर बाहर ले जाएंगे। दो तीन बार चुनाव का डेट बढ़ने से वह पहले से ही ज्यादा खर्चे में पड़ गए हैं।