बोनस पर रेलकर्मियों के धैर्य की परीक्षा न ले सरकार
ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का स्पष्ट कहना है कि बोनस के मामले में सरकार रेलकर्मियों के धैर्य की परीक्षा न ले।
आरा। ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन का स्पष्ट कहना है कि बोनस के मामले में सरकार रेलकर्मियों के धैर्य की परीक्षा न ले। बोनस हमारा हक है। बोनस भुगतान संबंधी आदेश में हो रहे विलंब पर ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पाण्डेय ने कहा कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष/सीईओ वीके यादव जी को पत्र लिखकर और स्वयं मिलकर बोनस के मामले में अपना पक्ष रखा है और साथ ही साथ माननीय रेलमंत्री से भी इस पर चर्चा की है। अपने अधीनस्थ सभी कर्मचारियों से उन्होंने कहा है कि बोनस हमारा हक है और हम इसकी मांग के पक्ष में लगातार सरकार और प्रशासन को अपनी स्थिति से अवगत कराते रहे है। आज आरा में मनोज कुमार पाण्डेय ने कहा कि हमें अपने फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा और ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के महामंत्री एसएनपी श्रीवास्तव पर पूरा विश्वास है और उन्होंने कहा कि हमारा बोनस हमे हर हाल में मिलना चाहिये। रेल कर्मचारी पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी करते हैं और हर विपरीत परिस्थितियों में रेल को चलाने का काम करता है। और लॉकडाउन जैसे हालात में रेल कर्मचारियो ने दिखा दिया कि हमे एक योद्धा की तरह कार्य कर सकते है।
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इमरजेंसी के बाद 41 वर्षों में पहली बार बोनस पर लटकी है तलवार
आरा: रेलवे कर्मचारी नेता मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि देश में आपातकाल के बाद 41 वर्षों से लगातार मिल रहे बोनस पर पहली बार संशय की तलवार लटकती नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1974 में लोकप्रिय नेता स्व. जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलकर्मियों के जुझारू आंदोलन के बाद सरकार इन्हें बोनस देने के लिए तैयार हुई थी, जिसे वर्तमान सरकारी खत्म करने की साजिश रच रही है। वर्ष 1979 से सभी तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को बोनस दिया जाता है, जिसके समय से नहीं मिलने से लगभग 11.50 लाख कर्मचारियों का परिवार प्रभावित है। सभी कर्मचारियों को प्रति वर्ष लगभग 18 हजार रुपये बोनस दिया जाता है।