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पंचायतन धर्मशाला है हमारा शरीर : जीयर स्वामी

भोजपुर। जब तक राष्ट्र समाज समन्वयकारी नहीं बनेगा, तब तक समरसता नहीं आएगी। मानव जीवन में यदि

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Oct 2017 03:06 AM (IST)Updated: Tue, 03 Oct 2017 03:06 AM (IST)
पंचायतन धर्मशाला है हमारा शरीर : जीयर स्वामी

भोजपुर। जब तक राष्ट्र समाज समन्वयकारी नहीं बनेगा, तब तक समरसता नहीं आएगी। मानव जीवन में यदि थोड़ा भी चूक हो जाए तो उसका गंभीर प्रभाव भुगतना पड़ता है। उक्त बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने चंदवा चातुर्मास यज्ञ सह श्री रामानुजाचार्य सहस्त्राब्दी जयंती पूर्ति महा महोत्सव में अपने प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने गजेन्द्र मोक्ष कथा का विस्तार देते हुए कहा कि यह शरीर पंचायतन धर्मशाला है। जब तक शरीर छूट न जाए, तब तक नारायण का ¨चतन जीवन मात्र को करना चाहिए। हरि भजन के बिना मुक्ति संभव नहीं है। श्री रामानुजाचार्य स्वामी के बताए हुए पथ पर चलने से ही मानव मात्र का कल्याण होगा। एक प्रसंग के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह संसार तुम्हारे लिए नहीं है। बल्कि ऐसा कार्य करने के लिए है कि दुनिया याद करे। श्रीरामानुजाचार्य के दर्शन में कोई उनका निजी भाव नहीं दिखता है, बल्कि वेद, पुराण, उपनिषद् के भावों का ही संव‌र्द्धन दिखता है। उन्होंने कहा कि श्री रामानुजाचार्य दर्शन में नारायण हमारे हैं, हम उनके हैं। हम अपने स्वरूपों को जान सकते हैं। श्री रामानुजाचार्य स्वामी के मार्ग पर चलने वाला जब तक इस लोक में रहता है, तब तक सुख भोगता है और अंत में नारायण के लोक को प्राप्त करता है।

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लाखों की संख्या में जुट रहें श्रद्धालु

आरा : चंदवा चातुर्मास यज्ञ सह श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती पूर्ति महा महोत्सव में कर्नाटक से पधारे एस जीयर स्वामी ने कहा कि श्री रामानुजाचार्य सहस्त्राब्दी वर्ष में दक्षिण भारत में कई कार्यक्रम आयोजित किया गया। लेकिन आरा जैसा भव्य आयोजन देखने को नहीं मिला। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु हैं। यह खुशी की बात है। उन्होंने श्री रामानुजाचार्य के दर्शन के सूत्र पर प्रकाश डाला और अपने यहां संचालित आनंद आश्रम में सभी भक्तों को आमंत्रित किया। उन्होंने श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी को सम्मानित किया।

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फोटो फाइल

02 आरा 12

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सनातन धर्म की जगह आते हैं भगवान

आरा : चंदवा चातुर्मास यज्ञ सह श्री रामानुजाचार्य की सहस्त्राब्दी जयंती पूर्ति महा महोत्सव में वृंदावन से पधारे अंतरराष्ट्रीय भागवत कथा वाचक श्री कृष्ण चन्द्र ठाकुर ने अपने प्रवचन में कहा कि परमात्मा नारायण का प्राकट्य भक्तों पर कृपा करने के लिए होता है। भगवान वहीं आते हैं, जहां सनातन धर्म है। सनातन धर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म वह है जहां यज्ञ, अतिथि सेवा, दान, करुणा, सहिष्णुता, प्रेम, त्याग आदि रहता है। श्रीकृष्ण की बाल लीला पर विस्तृत से प्रकाश डालते हुए पुतना के मोक्ष लीला पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परमात्मा नारायण ने यशोदा से पहले पुतना को यशोदा की गति प्रदान कर दी यह रमात्मा की कृपा है।

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कथा वाचकों ने विभिन्न प्रसंगों पर डाला डाला

आरा : अवध धाम से पधारे श्रीराम किशोर शरण दास ने अपने प्रवचन में कहा कि स्वामी जी ने एक पांचवां कुंभ बना दिया। एक मंच पर सभी वैष्णवों को ला दिया है। यहां का उत्सव और दिव्यता का वर्णन नहीं किया जा सकता। महाराष्ट्र के भूपेन्द्र भाई पांड्या ने गीता संदेश पर प्रकाश डाला। वहीं श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने श्रीराम कथा के महात्म पर प्रकाश डाला।


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