जल्दबाजी के चक्कर में जान की नहीं करते परवाह
स्थानीय रेलवे स्टेशन पर भी गलत तरीके से रेल टै्रक पार कर आने-जाने से बाज नहीं आ रहे कई यात्री। जल्दबाजी के चक्कर में जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं।
आरा। स्थानीय रेलवे स्टेशन पर भी गलत तरीके से रेल टै्रक पार कर आने-जाने से बाज नहीं आ रहे कई यात्री। जल्दबाजी के चक्कर में जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। जब भी कोई सवारी गाड़ी आती है, तो कई लोग प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं कर गलत तरीके से रेल ट्रैक को पार करते देखे जाते हैं। बार-बार ट्रेन यात्रियों को सुरक्षा के लिए जागरूक करने के बाद भी लापरवाही बरकरार है। ट्रेन के आने के समय ट्रैक के आसपास खड़ा रहना या फिर सुरक्षा के मद्देनजर रेलवे गुमटी के बंद होने के बावजूद दुपहिया वाहन लेकर रेलवे ट्रैक पार करना मानो उनकी आदत में शुमार हो गया है। इस दौरान होने वाले हादसे इसके गवाह भी हैं। कई घटनाएं पूर्व में भोजपुर जिले में भी घट चुकी है। बावजूद लोग ऐसी घटनाओं से सीख नहीं लेकर ट्रेन के आने के समय ट्रैकों के पास खड़ा होना और गुमटी बंद होने के बाद भी वाहन के साथ पार करना आदत बन गई है। जबकि इस तरीके से रेल पटरी से होकर आने-जाने के दौरान पूर्व में कई बार हादसे भी हो चुके हैं और कई की जान भी जा चुकी है। बावजूद लोग नहीं मानते हैं।
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कहते हैं लोग:
इस संबंध में लोगों का मानना है कि रेल से उतरने के बाद लोग जल्दी में रहते हैं। हर कोई चाहता है कि हम जल्द-से-जल्द स्टेशन से बाहर निकल जाये। अभय सिंह कहते हैं कि जब गाड़ी स्टेशन पर आती है, तो लोग फलाई ओवर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। लोग अपने समय की बचत करने के चक्कर में रहते हैं। जबकि स्टेशन परिसर में माइक से हमेशा एनाउंस किया जाता है कि लोग गलत तरीके से रेल ट्रैक को पार नहीं करें।
अवध बिहारी का कहना है कि इस मामले में लोग जानते हैं कि हम गलत कर रहे हैं, लेकिन ऐसा जान-बुझकर करते हैं, तो इसमें रेल प्रशासन का क्या दोष है। शटल सवारी गाड़ी के समय सुबह-शाम इस तरह का नजारा देखा जा सकता हैं।
गोरख प्रसाद का कहना है कि लोग जल्दबाजी में रहते हैं। चाहते हैं कि उल्टी दिशा से पार कर जायेंगे, तो हम सबसे पहले स्टेशन से बाहर निकल जाएंगे। लोग समय बचाने के चक्कर में कभी-कभी हादसे के शिकार हो जाते हैं। लेकिन कहीं से भी यह सही नहीं है। लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए।