आपदा प्रबंधन विभाग खुद सिस्टम की मार से त्रस्त
भोजपुर । शहरों के साथ-साथ सूबे करीब 42 हजार गांवों में भी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के
भोजपुर । शहरों के साथ-साथ सूबे करीब 42 हजार गांवों में भी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए समुचित व्यवस्था करने की तैयारी है। अगले 15 वर्षो में बाढ़, सुखाड़, भूकंप, आग, आंधी-तूफान समेत तमाम तरह की आपदाओं के पहले इस तरह के प्रबंध कर लिए जाएं कि क्षति के स्तर को 50 फीसद से भी कम पर लाया जा सके। आपदा प्रबंधन रोडमैप के क्रियान्वयन की योजना बनाने की मकसद से अभी शुक्रवार को दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी।
वैसे प्राकृतिक आपदा की मार अब भोजपुर जनपद के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं रह गई है। तभी तो कभी बाढ़, कभी सुखाड़, कभी अतिवृष्टि, चक्रवात, ओलावृष्टि एवं अग्निकांड जैसी विभीषिका को झेलना यहां के लोगों की अब नियति बन गई है। आपदा प्रबंधन विभाग खुद सिस्टम की मार से त्रस्त है।
भोजपुर के उत्तरी इलाका में प्रलयंकारी बाढ़ की समस्या दशकों से है। बाढ़ के दौरान लगभग 5 लाख आबादी और छह प्रखंड पूरी तरह तबाह हो जाती हैं।
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कौन-कौन प्रखंड होते हैं तबाह :
बाढ़ से बड़हरा प्रखंड के 22 पंचायतों के 70 ग्राम, कोईलवर प्रखंड के 2 पंचायतों के दो ग्राम, शाहपुर प्रखंड के 13 पंचायतों के 47 ग्राम, आरा सदर प्रखंड के 15 पंचायतों के 23 ग्राम, बिहिया प्रखंउ के 6 के 23 ग्राम तथा उदवंतनगर प्रखंड के 6 पंचायतों के 14 ग्राम तबाह हो जाते है। इस तरह 64 पंचायतों की 179 गांवों में बाढ़ का तांडव होता है।
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कहां होती है कितनी जनसंख्या प्रभावित :
बाढ़ से बड़हरा की 1 लाख 40 हजार, कोईलवर प्रखंड की 35000, शाहपुर प्रखंड की 1 लाख 44 हजार 341, बिहिया प्रखंड की 71,359 आरा सदर प्रखंड की 45,450 तथा उदवंतनगर प्रखंड की 50,906 आबादी प्रभावित हो जाती है।
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बाढ़ से तबाही का नहीं हो सका स्थायी हल :
बक्सर कोईलवर गंगा तटबंध में बड़हरा प्रखंड के अंतर्गत नेकनाम टोला के समीप 0.8 किलोमीटर एवं सलेमपुर-पीपरपांती के समीप 5 किलोमीटर गैप रहने के चलते भोजपुर जनपद की बड़ी आबादी अमुमन हर साल तबाह होती है और शासन-प्रशासन द्वारा राहत बचाव के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाते है। परंतु उक्त तटबंध में खाली पड़े गैप को भर कर बाढ़ से मुक्ति की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
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ठंडे बस्ते में गैप भरने की योजना :
शासन-प्रशासन के बीच सार्थक पहल का अभाव कहे अथवा उदासीनता। तटबंध में बने गैप को भरने के लिये बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल आरा द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 में किए गए लगभग 8 करोड़ की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गई है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के चलते मामला अधर में लटक गया है।
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गंगा से कटाव का नहीं हो सका समाधान:
गंगा नदी की धारा में परिवर्तन के साथ भोजपुर के बड़हरा प्रखंड क्षेत्रों में कटाव का सिलसिला आज भी जारी है। दर्जनों गांव बार-बार कटाव में विलीन हुए और आज भी कटाव के मुहाने पर खड़े है। परंतु कटाव का स्थाई हल अब तक नहीं हो सका।
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आलाधिकारियों के आवास से दफ्तर तक नहीं है फायर फायटिंग :
जिले के उच्चाधिकारी से लेकर कनीय पदाधिकारियों के दफ्तर से लेकर आवास तक फायर फायटिंग का सिस्टम नजर नहीं आता है।
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अगलगी के प्रकोप में जल जाता अरमान: हर वर्ष बड़हरा, शाहपुर एवं आरा सदर के दियारा क्षेत्र में आगलगी की घटनाओं में लोगों का अरमान जल जाता है। खेतों व खलिहान में रखे बोझा से लेकर घर गर्मी के दिनों में जल जाते है। परंतु तत्काल इसे रोकने व बुझाने के लिये फायर ब्रिगेड विभाग मजबूर हो जाता है। फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की अनुपातिक कभी इसका मूल वजह है।
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बाढ़, सुखाड़, आंधी, तूफान, अग्निकांड जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिये प्रशासनिक स्तर पर उपलब्ध संसाधन का उपयोग किया जाता है। जिला प्रशासन वैसी स्थिति से निपटने के लिये सदैव तत्पर रहता है। राहत एवं बचाव कार्य भी युद्ध स्तर पर चलाया जाता है।
सुरेन्द्र प्रसाद
अपर समाहर्ता सह वरीय प्रभारी, आपदा प्रबंधन, भोजपुर ।