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पूजा ने तीरंदाजी में बनाया मुकाम: दर्जनों मेडल जीते, अब नए खिलाड़ियों को सिखा रहीं मछली की आंख पर निशाना लगाना

ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी खिलाड़ी पूजा कुमारी ने अपनी लगन की बदौलत तीरंदाजी में एक अलग मुकाम हासिल किया है। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में कई बार सम्मानित स्थान प्राप्त करने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी मेडल जीते हैं।

By Shamshad jiEdited By: Deepti MishraFri, 24 Mar 2023 06:04 PM (IST)
पूजा ने तीरंदाजी में बनाया मुकाम: दर्जनों मेडल जीते, अब नए खिलाड़ियों को सिखा रहीं मछली की आंख पर निशाना लगाना
पूजा कुमारी ने तीरंदाजी में ऐसा पाया मुकाम, खिलाड़ी से बन गईं कोच।

शमशाद प्रेम, आरा: आमतौर पर तीरंदाजी वनवासियों का खेल माना जाता है, लेकिन भोजपुर में ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी खिलाड़ी पूजा कुमारी ने अपनी लगन की बदौलत तीरंदाजी में एक अलग मुकाम हासिल किया है। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में कई बार सम्मानित स्थान प्राप्त करने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी मेडल जीते हैं।

फिलहाल, वह भोजपुर तीरंदाजी अकादमी की वरिष्ठ खिलाड़ी व कोच की भूमिका में नवोदित खिलाड़ियों को तीरंदाजी का गुर सिखा रही हैं। उनकी देखरेख में जिले के कई खिलाड़ी राज्यस्तरीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में जिला व प्रदेश का नाम अपनी प्रतिभा की बदौलत रौशन कर रहे हैं। शिव सागर गुलाम उच्च विद्यालय, हरिगांव में खुलने वाले राज्य आवासीय एकलव्य प्रशिक्षण केंद्र के लिए कोच के रूप में पूजा का चयन हुआ है। यहां ये नवोदित तीरंदाजों को प्रशिक्षण देंगी। पूजा देश के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहती है।

पापा के मित्र की सलाह पर शुरू की तीरंदाजी

बड़हरा प्रखंड के बबुरा निवासी स्व.देवेंद्र सिंह और मीनू सिंह की पुत्री पूजा कुमारी ने इतिहास से एमए और बीपीएड की डिग्री ली है। इनकम टैक्स अधिवक्ता अरविंद पांडेय के परिवार से पूजा के परिवार का गहरा लगाव है। एक दिन अरविंद पांडेय ने पूजा को तीरंदाजी की सलाह दी। उनकी सलाह और माता-पिता की सहमति पर पूजा ने वरिष्ठ तीरंदाज और कोच नीरज कुमार सिंह से संपर्क किया।

नीरज सिंह की देखरेख में राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में शामिल होकर प्रदेश का मान बढ़ाया। बाद में नीरज सिंह से ही उनकी शादी हो गई। पूजा दस हजार रुपये के तीर से निशाना साधती है। हालांकि, तीरंदाजी प्रतियोगिता के रिकर्व राउंड में निशाना साधने के लिए ढाई-तीन लाख रुपये के तीर की जरूरत होती है, जोकि पूजा की आर्थिक स्थिति के अनुसार उनके वश से बाहर है।

पूजा के नाम सफलता की लंबी सूची

बिहार से झारखंड अलग होने के बाद साल 2018 में उड़ीसा के बाराबती स्टेडियम, कटक में आयोजित 26 वां एनटीपीसी सीनियर आर्चरी चैंपियनशिप के इंडियन राउंड वर्ग में मेडल प्राप्त पहली महिला विजेता बनने का रिकॉर्ड बनाया। वहीं, साल 2022 में गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित नेशनल गेम्स में इंडियन राउंड में पहली रैंक प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया। इसके अलावा, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर कई पुरस्कार हासिल किए। खेल में बेहतर प्रदर्शन के लिए साल 2019 में बिहार खेल सम्मान से सम्मानित हुई।

परिवार के साथ ससुराल वालों से भी मिला सहयोग

पूजा को अपने परिवार के साथ शादी के बाद अपने ससुराल वालों से भी सहयोग मिला। सास-ससुर और पति नीरज कुमार सिंह उसकी प्रतिभा को निखारने और शौक पूरा करने में निरंतर सहयोग कर रहे हैं। अब, पूजा जहां एक ओर नई प्रतिभाओं को तराश रही हैं। वहीं, अपनी प्रतिभा को भी निखारने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। पूजा का सपना अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।