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4 सितंबर, 1920 को ट्रेन से पहली बार आरा आए थे बापू

स्वतंत्रता संग्राम में आरा की अहम भूमिका रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 10:25 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 10:25 PM (IST)
4 सितंबर, 1920 को ट्रेन से पहली बार आरा आए थे बापू
4 सितंबर, 1920 को ट्रेन से पहली बार आरा आए थे बापू

आरा। स्वतंत्रता संग्राम में आरा की अहम भूमिका रही है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां पर अंग्रेजों से मुकाबला करने के लिए कई योजनाएं बनती थीं। तब इसमें देश के शीर्ष नेता शामिल होते थे। शहर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कई बार आए। इस दौरान उन्होंने दलितोद्धार, आपसी एकता, खादी व चरखा, स्वदेशी प्रचार आदि पर बल दिए। उनके आगमन से आजादी के दौरान राष्ट्रीय भावनाओं व कार्यकलापों की धूम मची रहती थी। असहयोग आंदोलन के दौरान पहली बार आए थे

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महात्मा गांधी 4 सितंबर, 1920 को पहली बार पटना से आरा पैसेंजर ट्रेन से आए थे। उनके साथ शौकत अली, मौलाना अबुल कलाम आजाद, स्वामी सत्यदेव भी थे। उनके कार्यक्रम को सफल बनाने में शाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष विंध्यवासिनी सहाय, डा. कैप्टन अरुन्जय सहाय वर्मा, चौधरी करामत हुसैन, मंडीला दास, कुनमुन हलवाई उर्फ नंदा गुप्ता आदि की अहम भूमिका रही। इसी दिन गांधी जी ट्रेन से पटना वापस लौट गए थे। गांधी जी के इस आगमन के बाद हरगोविंद मिश्र, हरनंदन सिंह, सरदार हरिहर सिंह, सरदार रघुवंश नारायण सिंह, सरजू मिश्र आदि नौजवानों ने स्वदेशी भावनाओं का प्रचार-प्रसार शुरू किया। फिर गांधी जी 28 जनवरी 1927 को कस्तूरबा गांधी, देवदास गांधी, कृष्णा दास, डा. राजेन्द्र प्रसाद के अलावे अन्य नेताओं के साथ आरा आए थे। इस दिन सभा को संबोधित करते हुए गांधी जी ने खादी का प्रचार और दलितोद्धार जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर बल दिया था। बताया जाता है कि इसी दिन स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाला बाल हिन्दी पुस्तकालय में भी गांधी जी का आगमन हुआ था। चर्चित स्वतंत्रता सेनानी सीआर दास ने लाइब्रेरी के विकास के लिए एक हजार रुपये दिए थे। उक्त राशि से एक कक्ष का निर्माण हुआ। इसका उद्घाटन गंाधी जी ने किया था। इसी दिन जेल रोड स्थित ऐतिहासिक श्रीदेव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान (ओरिएंटल लाइब्रेरी) जो भारत में प्राचीन पांडुलीपियों का एक बड़ा संग्रह है, में भी महात्मा गांधी का पदार्पण हुआ था। पुन: गांधी जी का आरा आगमन 25 अप्रैल 1934 को हुआ था। इस दिन उनके साथ डा. राजेन्द्र प्रसाद, ठक्कर बाबा, काका कालेलकर, जेपी की पत्‍‌नी प्रभावती देवी समेत अन्य लोग थे। विधान पार्षद बाबू राधा मोहन सिंह के निमंत्रण पर उनके गांव जमीरा गए थे। वहां एक मंदिर में लोगों को संबोधित किया। तदोपरांत स्थानीय रमना मैदान में एक सभा हुई। इस सभा में जिले के प्राय: सभी वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इस अवसर पर आरा नगर पालिका के तत्कालीन चेयरमैन चौधरी शराफत हुसैन ने खादी कपड़ा पर लिखा प्रशस्ति पत्र पढ़कर रजत ट्रे में गांधी जी को समर्पित किया था। सभा खत्म होने पर गांधी जी स्थानीय मौलाबाग स्थित प्रमुख व्यवसायी वंशरोपण राम चौधरी के गार्डेन हाउस में विश्राम किए और बक्सर के लिए रवाना हो गए थे।


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