विश्व महिला समानता दिवस : नैना ने संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी, समाज के लिए बनी मिसाल
नैना ने कृषि विज्ञान केंद्र सबौर की विषय वस्तु विशेषज्ञ अनिता कुमारी से अचार बनाने की गूर सीख अपने पिता के बगीचे में गिरे कच्चे आमों का आचार बनाकर ग्रामोद्योग की शुरूआत की।
भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। जिले के पीरपैंती प्रखंड की श्रीनगर गांव निवासी नैना देवी ने अपनी संघर्ष से सफलता की नई कहानी लिख समाज में मिसाल कायम की है। नैना ने कृषि विज्ञान केंद्र सबौर की विषय वस्तु विशेषज्ञ अनिता कुमारी से अचार बनाने की गूर सीख अपने पिता के बगीचे में गिरे कच्चे आमों का करीब दो क्विंटल आचार बनाकर ग्रामोद्योग की शुरूआत की। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर गांव की दर्जन भर महिलाओं का भी सहयोग लिया। फैजाबाद अयोध्या में रह रही बड़ी बहन उषा देवी को एक क्विंटल अचार भेजी। शेष अचार को अपने साथ काम में जोड़ी महिलाओं के सहयोग से पीरपैंती बाजार से लेकर सबौर कृषि विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला महोत्सव तक में स्टॉल लगाकर बेचने का काम की। नैना के द्वारा तैयार किया गया अचार लोगों को खूब भाया। बाजार में आचार के बढ़ते डिमांड ने नैना की आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया। फिर क्या था नैना ने अचार के साथ-साथ धीरे-धीरे सत्तु, धनिया, जीरा, मिर्च, हल्दी, सब्जी मशाला और दालमोट आदि घर पर तैयार कर बिना किसी सरकारी सहायता के विक्रमशिला ग्रामोद्योग के बैनर तले इस कारोबार को ऊंचाई दे रही है। अब नैना पहचान की मोहताज नहीं रह गई है। उन्होंने कहा दो हजार रुपये के साथ शुरू हुआ हमारा ग्रामोद्योग आज डेढ़ लाख रुपये की पूंजी पर दौड़ रहा है।
गुणवत्ता के बल पर स्थानीय बाजारों पर है कब्जा
नैना कहती है कि विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण स्थानीय कहलगांव एवं पीरपैंती बाजारों पर हमारे उत्पाद का पूरी तरह कब्जा है। उन्होंने कहा कि भागलपुर के अहसास संस्था ने भी हमारे उत्पाद को पसंद किया है। वहां से भी लोगों का डिमांड आ रहा है।
खुद के कोरियर खर्च पर दिल्ली-कोलकाता से आ रहा डिमांड
नैना कहती हैं कि हमारे उत्पाद की गुणवत्ता के कायल हुए लोग अब खुद के कोरियर खर्च पर दिल्ली, कोलकाता, फैजाबाद और पटना तक के ग्राहक चने की सत्तु, मशाले और दालमोट सहित मशरूम के अचार तक का डिमांड करने लगे हैं। उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार की कोई कमी नहीं रह गई है।
समानता के लिए महिलाओं को कर रही जागरूक
इस पुरुष प्रधान समाज में नैना नारी को समानता का अधिकार दिलाना चाहती है। उनका मानना है कि शिक्षा और आर्थिक सबलता महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ने का ताकत प्रदान कर सकती है। इसी कड़ी में वह अपने करोबार में गांव की दर्जन भर दबी कुचली समाज की महिलाआें को जोड़ उसे आगे बढ़ाने को ठान रखी है। आज नैना अपने ग्रामोद्योग से 10 हजार मासिक तो सहयोगी महिलाओं को छह हजार रुपये प्रतिमाह कमाने का साधन उपलब्ध करा रही है। वक्त मिलने पर पेशे से प्राथमिक विद्यालय हरिशपुर पीरपैंती में शिक्षिका रही नैना उन महिलाओं को महिला उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का जानकारी भी देती है। सरकार ने उनके उत्थान के लिए क्या-क्या नए अधिकार दिए हैं यह भी बताने का काम कर रही हैं।
क्या कहती है सहयोगी महिलाएं
पीरपैंती गोराडीह की पुतुल देवी, गुडिया कुमारी, रुबी कुमारी एवं रिंकू देवी कहती है कि नैना दीदी ने न सिर्फ जीने का आधार दी है बल्कि हमें विभिन्न उत्पादों को तैयार कर बेचने का भी हुनर सीखा दी है। वह हमें ज्ञान की बात बता जागरूकता का भी पाठ पढ़ाती हैं। अपने ही घर में रहने का जगह भी दी है। पहले जहां रहने को झोपड़ी और खाने को रोटी नहीं मिल रही थी अभी छह-सात हजार महीने के कमाने का जुगाड़ मिल गया है। घर जहां उपेक्षित थी अब वहां लोग समानता का अधिकार देते हैं। वहीं हरला गांव की रंजू, डेजी और पूनम देवी का कहना है कि नैना दीदी ने हमलोगों को घर परिवार के साथ-साथ समाज में जीने का अधिकार दे दी है।
नैना देवी काफी मेहनती महिला है। उन्होंने अपने ईमानदार प्रयास से समाज में दर्जन भर महिलाओं को आर्थिक सबलता प्रदान कर जीने का अधिकार दिया है। नैना को उनके बेहतर उत्पादन के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय के किसान मेला में कुलपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है। - अनिता कुमारी, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र सबौर।
मुख्य बातें
-कृषि विज्ञान केंद्र सबौर से गूर सीख खुद के बागों में गिरे कच्चे आमों का बनाया अचार, शुरू की विक्रमशिला ग्रामोद्योग
-बढ़ी आत्मविश्वास तो अब सत्तु, मशाला और मशरूम तक के विभिन्न उत्पादों का कर रही कारोबार
-दर्जन भर महिलाओं को जोड़ जीने का दिया आधार, समानता के साथ उन्हें समाज में जीने का मिला अधिकार