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World Menstrual Hygiene Day: न मुंह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो... यह सामान्‍य प्रक्रिया है, आइए... जानिए क्‍यों, कैसे और कब

World Menstrual Hygiene Day विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर टीचर्स ऑफ बिहार ने लैट्स टॉक कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर इससे जुड़ी सभी भ्रांतियों के बारे में जानकारी दी गई। इंटरनेट मीडिया पर इसका लाइव प्रसारण हुआ। यूनिसेफ के कई पदाधिकारी इसमें शामिल हुए।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 09:33 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 09:33 PM (IST)
सोनिया मेनन, डॉ संदीप घोष, सोनिया मेनन, निशि कुमारी और नम्रता मिश्रा।

भागलपुर, ऑनलाइन डेस्‍क। World Menstrual Hygiene Day: टीचर्स ऑफ बिहार (Teachers of Bihar) एवं यूनिसेफ (UNICEF) के संयुक्त तत्वाधान में 28 मई 2021 को विश्व माहवारी स्‍वच्‍छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day) पर लेट्स टॉक (Let's talk) कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका लाइव प्रसारण इंटरनेट मीडिया पर किया गया। यह कार्यक्रम टीचर्स ऑफ बिहार (TOB) के विभिन्‍न इंटरनेट मीडिया के प्‍लेटफार्म पर मौजूद है। आज के कार्यक्रम का विषय था - यौन शिक्षा एवं माहवारी स्वच्छता प्रबंधन। लेट्स टॉक कार्यक्रम में यूनिसेफ बिहार के कम्युनिकेशन फ़ॉर डेवलपमेंट ऑफिसर सोनिया मेनन, वाश ऑफिसर सुधाकर रेड्डी एवं न्यूट्रीशन ऑफिसर डॉ संदीप घोष आए हुए थे। कार्यक्रम की शुरुआत 'सहेली की पहेली' नामक लघु फिल्म से की गई।

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किशोरियों में माहवारी का चक्र आमतौर पर पांच से सात दिन का होता है। इस दौरान कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल के अलावा कई तरह के बदलाव होते हैं। जैसे, कमर और पेट में दर्द, उल्‍टी होना, चक्‍कर आना और पैरों में दर्द आदि। माहवारी के दौरान महिलाओं को अपनी सुरक्षा, साफ-सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। अन्‍यथा बीमारियों का सामना करना पड़ता है। संक्रमण से बांझपन होने का खतरा होने का खतरा पड़ा रहा है। कार्यक्रम में दर्शकों ने भी कई सारे प्रश्‍न इस संबंध में अतिथियों से पूछे।  

टीचर्स ऑफ बिहार की भागलपुर जिला मेंटर खुशबू कुमारी (शिक्षिका, मध्‍य विद्यालय बलुआचक, जगदीशपुर, भागलपुर) के पूछे गए प्रश्न 'प्रत्येक वर्ष 28 मई को ही विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस क्यों मनाया जाता है?' पर अतिथियों ने कहा कि इस दिन की शुरुआत एक जर्मन गैर सरकारी संगठन यूनाइटेड वाश ने वर्ष 2014 में की थी। 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस का मकसद माहवारी के दौरान स्वच्छता को बढ़ावा देना है। लोगों को जागरूक करना है।

भारत में इस दिशा में बहुत काम किए जाने की आवश्यकता है। सबसे पहली आवश्यकता तो इस बात की है कि इस विषय में खुल कर लोग आपस में बात करें। महावारी के समय आत्मविश्वास कभी खोने ना दें। इस शर्मिदगी का विषय नहीं है और न ही छुपाने का। महिलाओं को भी इस संबंध में जागरूक करें।

यूनिसेफ बिहार के कम्युनिकेशन फॉर डेवलपमेंट ऑफिसर सोनिया मेनन ने कहा कि यह कार्यक्रम हर उस व्यक्ति के लिए एक ऐसा मौका है, जहां हम खुद जागरूक होकर समाज को भी जागरूक करने का काम करेंगे। हमें इस दिन को त्‍योहार के रूप में मनाना चाहिए। जिससे माहवारी को लेकर सब की चुप्पी टूटेगी, जो कुछ सामाजिक भ्रांतियां व मिथक हैं वो भी दूर होंगी।

यूनिसेफ बिहार के वॉश ऑफिसर सुधाकर रेड्डी ने सैनेटरी पैड एवं स्वच्छता प्रबंधन के बारे में बताया। एमएचएम फ्रेंडली शौचालय पर प्रकाश डाला। यूनिसेफ बिहार के न्यूट्रिशन ऑफिसर संदीप घोष ने कहा कि माहवारी के दौरान ब्लड फ्लो होने से एनीमिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। खून का गिरना एक सामान्य प्रक्रिया है। इससे किसी रोग का होना और ना होना कोई मायने नहीं रखता है।

प्रश्न:- माहवारी क्या है और क्यों होता है?

उत्तर:- माहवारी यानि पीरियड्स (periods) महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक क्रिया है, जिसके बारे में जानना हर बढ़ती उम्र की लड़कियों के लिए बहुत ही ज़रूरी है। परन्तु आज भी काफ़ी युवा लड़कियों को इस क्रिया के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण ऐसे दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों को अपनाना कठिन हो जाता है। प्यूबर्टी एक ऐसा समय है जब लड़कियों के प्रजननीय अंग पूरी तरह से विकसित हो जाते है और वे प्रजनन के लिए सक्षम हो जाते है। युवा लड़कियों में जब यह पड़ाव आता है तब उनके मासिक धर्म शुरू हो जाते है। लेकिन इसका मतलब यही है कि अब उनका शरीर प्रजनन करने के योग्य हो चुका है। लड़कियों में प्यूबर्टी की क्रिया आम तौर पर 11 साल की उम्र से शुरू हो जाती है, जिसके पश्चात उनको माहवारी होने लगती है। ये आयु वर्ग आगे-पीछे भी हो सकती है।

प्रश्न:- माहवारी की क्रिया होती कैसे है?

उत्तर:- लड़कियों या महिलाओं में माहवारी शुरू होने का मतलब उनके अंडाशयों का विकसित हो जाना है। अर्थात उनके अंडाशय अब अंडे बनाने के काबिल हो गए हैं। माहवारी के शुरू होने पर हर महीने महिलाओं के दो अंडाशयों में से कोई एक अंडा गर्भाशय नाल में रिलीज़ होता है, जिसे ovulation कहा जाता है। इसके साथ-साथ शरीर दो तरह के हॉर्मोन्स बनाता है- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टरोन। ये हॉर्मोन्स गर्भाशय की परत को मोटा करते है, ताकि गर्भाधान होने पर फर्टिलाइज़्ड अंडा उस परत से लग कर पोषण पा सके। यह परत रक्त और म्यूकस से बनी होती है। जब अंडा नर शुक्राणु से मिलकर फर्टिलाइज़ नहीं हो पाता तब गर्भाशय की परत उस अंडे के साथ रक्त के रूप में योनि से बाहर निकल आती है। इस क्रिया को माहवारी या मासिक धर्म कहते है।

प्रश्न:- गर्भधारण करने पर क्या होता है?

उत्तर:- हर महीने एक औरत का शरीर गर्भधारण के लिए अपने आप को तैयार करता है। गर्भाशय की परत फर्टिलाइज़्ड अंडे को लेने के लिए मोटी हो जाती है। जब अंडा नर शुक्राणु से मिल कर गर्भाधान कर लेता है तब यह जाकर गर्भाशय की परत से लग कर बढ़ने लगता है। क्योंकि अब उस परत से अंडे को पोषण मिल रहा है, यह झड़ता नहीं है और प्रसव होने तक मासिक धर्म रुक जाती है। प्रसव के पश्चात उस परत की भूमिका समाप्त हो जाती है और वह झड़ कर योनि से बाहर निकल आता है। आम तौर पर मासिक चक्र 21 से लेकर 35 दिनों तक का होता है, परन्तु यह हर बार ज़रूरी नहीं। हर लड़की का मासिक चक्र एक समान नहीं होता। प्यूबर्टी के शुरूआती महीनों में मासिक चक्र का लंबा होना स्वाभाविक है। ज्‍यादातर महिलाओं के लिए बढ़ती उम्र के साथ-साथ यह चक्र नियमित हो जाती है। क्योंकि मासिक धर्म में हॉर्मोन्स जैसी कई चीजों की भूमिका होती है, कभी-कभी कुछ कारणों की वजह से माहवारी में दिक्कतें आ सकती हैं।

प्रश्न:- अनियमित माहवारी से क्या तात्पर्य है?

उत्तर:- मासिक चक्र का 21 दिनों से छोटा या 35 दिनों से ज़्यादा होना, माहवारी के वक़्त सामान्य से अधिक मात्रा में खून निकलना, मासिक चक्र का हर बार बदल जाना, तीन या उससे ज़्यादा महीनों तक माहवारी न आना। दो माहवारी के बीच में अनियमित रूप से खून निकलने जैसी गंभीर लक्षण को अनियमित माहवारी कहते है। जब माहवारी के समय सामान्य रूप से ज़्यादा खून निकलने लगता है या फिर माहवारी सात से ज्‍यादा दिनों के लिए चलती रहती है तब उसको मेडिकल शब्दों में menorrhagia कहते है। अक्सर युवा लड़कियों को ज़्यादा जानकारी न होने की वजह से थोड़ी अधिक ब्लीडिंग होने पर ही लगता है। परन्तु ज़रूरी है कि वे जाने कि menorrhagia में कुछ विशेष संकेत होते है, जैसे अधिक ब्लीडिंग के कारण हर दूसरे घंटे अपना पैड बदलना, हफ़्ते भर से ज़्यादा दिनों तक रक्त निकलना, रक्त के थक्कों का निकलना, दो से ज़्यादा पैड्स पहनना और प्रायः माहवारी के दौरान असहनीय दर्द होना। Menorrhagia कई कारणों से हो सकती है- हार्मोन्स का अनियंत्रित होना, रक्त में कोई बीमारी होना, गर्भाशय और अंडाशयों की बीमारी होना या फिर जीवनशैली में गड़बड़ होना, ज़्यादा तनाव लेना, थायरॉयड की बीमारी होना।

प्रश्न:- एमेनोरीआ (Amenorrhoea) क्या होता है?

उत्तर:- जब किसी युवा लड़की को प्यूबर्टी की शुरुआत होने के बावजूद 15-16 साल तक माहवारी नहीं होती है या फिर नियमित रूप से होने वाली माहवारी अचानक ही होना बंद हो जाती है तो उसको एमेनोरीआ कहते है। गौर करने वाली बात यह है की प्यूबर्टी से पहले, गर्भधारण और मेनोपॉज के पश्चात माहवारी अगर न हो तो यह एक सामान्य बात है। इन तीनों परिस्तिथियों के अलावा अगर माहवारी रुक जाए तो यह एक चिंताजनक बात हो सकती है। युवा लड़कियों में माहवारी समय पर शुरू न होना किसी शारीरिक असमान्यता की वजह से हो सकती है। अक्सर प्रजनन अंगों का कमज़ोर होना इसका मुख्य कारण होता है, लेकिन नियमित माहवारी का एकदम से बंद हो जाना ओवेरियन डिसॉर्डर (PCOD) जैसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है।

प्रश्न:- क्या है पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसॉर्डर?

उत्तर:- ओवेरियन डिसॉर्डर (PCOD) एक हॉर्मोनल बीमारी है जिसमे अंडाशयों में बहुत सारे छोटे-छोटे थैलियों के बनने के कारण वे नियमित रूप से अंडे नहीं बना पाते है। अंडों के रिलीज़ न होने से माहवारी रुक जाती है और मासिक चक्र अनियमित हो जाती है। यह बीमारी अक्सर हॉर्मोन्स में असंतुलन आने पर होती है। PCOD के सबसे प्रमुख लक्षण है, अनियमित माहवारी होना या बहुत समय तक माहवारी न होना, शरीर और चेहरे पर अधिक मात्रा में बाल उगना और बहुत से मुंहासे होना। ज़रूरी है कि महिलाएं इन लक्षणों को समय पर पहचाने ताकि जल्द से जल्द इसका इलाज हो सके। जीवनशैली में आसानी से बदलाव करके PCOD को मैनेज किया जा सकता है।

प्रश्न:- Dysmenorrhea क्या है?

उत्तर:- Dysmenorrhea माहवारी में होने वाली एक आम परेशानी है। Dysmenorrhea होने पर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में गंभीर रूप से दर्द होता है। यह दर्द माहवारी शुरू होने के कुछ दिन पहले से ही होने लगता है और लगभग एक से तीन दिनों तक रहता है। इस हालत में पीड़ा इतनी अधिक हो जाती है कि महिलाएं अक्सर अपने रोज़मर्रा के काम नहीं कर पाती। यह दर्द युवा लड़कियों को भी विद्यालय से छुट्टी लेने पर मजबूर कर देता है। परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि माहवारी के समय इतना ज़्यादा दर्द होना कोई सामान्य बात नहीं हैं। इसके होने पर हर महिला को अपनी जांच आवश्य करानी चाहिए, क्योंकि dysmenorrhea एन्डोमीट्रीओसिस जैसी गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकती है। सही समय पर जांच किसी आने वाली दुविधा को टालने में मदद करता है।

प्रश्न:- क्या होता है मेनोपॉज?

उत्तर:- माहवारी एक महिला के जीवन का अहम हिस्सा होता है। परंतु 45-55 की उम्र के बाद महिलाओं को माहवारी होना पूरी तरह से बंद हो जाता है। इसको मेनोनोपॉज कहते है। एक उम्र के बाद महिलाओं के अंडाशय अंडे बनाना बंद कर देते है। इससे गर्भाशय की परत भी मोटी होनी बंद हो जाती है, जिससे माहवारी नहीं होती। इसका यही मतलब होता है कि अब वह मां नहीं बन पाएंगी। मेनोपॉज के शुरू होने पर महिला के शरीर में कई बदलाव होते है और उन्हें कई चीज़े महसूस होती है। जैसे कि अचानक से तेज़ गर्मी लगना, नींद में परेशानी आना, बालों का झड़ना, योनि में सूखापन आना और मनो-दशा में बदलाव आना। महिलाओं के लिए ऐसे समय इन बदलावों से जूझना कठिन हो सकता है, परंतु सही जानकारी से और अपनों के साथ से मेनोपॉज़ जैसे पड़ाव को आसानी से पार किया जा सकता है।

समापन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हिलसा नालंदा की छात्राएं एवं शिक्षिकाओं के सौजन्य से बिहार शिक्षा परिषद एवं यूनिसेफ बिहार के बनाए गए लघु फिल्म को दिखाकर किया गया। लेट्स टॉक कार्यक्रम का संचालन टीम टीचर्स ऑफ बिहार की नम्रता मिश्रा एवं निशी कुमारी ने किया। टीचर्स ऑफ बिहार  के फाउंडर शिव कुमार ने बताया कि इस विशष पर विभिन्न ऑनलाइन गतिविधियां आयोजित की जा रही है, जिसमें ऑनलाइन क्विज, लैट्स टॉक, रेड डॉट चैलेंज, बैंड निर्माण, कविता, कहानी, आलेख एवं क्विज आदि प्रमुख हैं। टीचर्स ऑफ बिहार के केशव कुमार ने कहा कि ऑनलाइन क्विज में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को टीओबी के फाउंडर शिव कुमार एवं यूनिसेफ बिहार के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांड्या के संयुक्त हस्ताक्षर युक्त प्रमाणपत्र दिया जा रहा है।


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