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काश ये बन जाता चुनावी मुद्दा! 11 वर्षों में भी न बन पाया खगड़िया का एकमात्र स्टेडियम, चारदीवारी तक हो गई गायब

बिहार के खगड़िया जिले में एकमात्र स्टेडियम है जिसका शिलान्यास 11 वर्ष पहले हुआ था। अब इसके चारदीवारी की ईंटें गायब हो गई हैं। चुनाव के दौर में जहां नेता मंत्री विकास के तमाम वादे करते हैं कई मुद्दे उठाएं जाते हैं ऐसे में खेल और खिलाड़ियों के लिए...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 09:26 PM (IST)
बिहार के खगड़िया जिले का एकमात्र स्टेडियम....

संवाद सूत्र, महेशखूंट (खगड़िया): बिहार के खगड़िया जिले में खेल प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हाकी, क्रिकेट, फुटबाल और कबड्डी में यहां के खिलाड़ी परचम लहरा रहे हैं। कई ने तो राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है। ऐसे में पूरे जिले में एकमात्र स्टेडियम जेएनकेटी स्टेडियम खगड़िया है। ऐसे में खिलाड़ियों के सामने कई दिक्कतें हैं। हाकी खगड़िया के कोच विकास कुमार कहते हैं कि अगर यहां के खिलाड़ियों को साधन-संसाधन मिले, तो वे आसमान को छू सकते हैं।

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वे कहते हैं कि स्टेडियम का अभाव सबसे बड़ी समस्या है। खेल मैदान को लेकर अधिकांश जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं हैं। सच्चाई यह है कि खेल कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। इससे वोट बनता और बिगड़ता नहीं है। इसलिए अधिकांश जनप्रतिनिधि खेल के विकास को लेकर गंभीर नहीं हैं।

खैर, एसपीएम इंटर विद्यालय राजधाम, महेशखूंट के मैदान में स्टेडियम निर्माण कार्य 11 वर्ष में भी पूरा नहीं हुआ है। आज तक यह अधूरा है। धीरे- धीरे बनाई गई चारदीवारी भी गायब हो चुकी है। बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश बाद मैदान पर झील जैसा नजारा है। अन्य दिनों यहां शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावाड़ा रहता है।

वर्ष 2010 में हुआ था स्टेडियम का शिलान्यास

महेशखूंट क्षेत्र में स्टेडियम की लगातार मांग के बाद वर्ष 2010 में एसपीएम इंटर विद्यालय राजधाम के मैदान में स्टेडियम निर्माण का शिलान्यास किया गया। उस समय निर्माण को लेकर प्रथम किश्त के रूप में 22 लाख की राशि उपलब्ध कराई गई थी। संवेदक द्वारा कार्य आरंभ किया गया। चारदीवारी का निर्माण कर काम बंद कर दिया गया। जो आज तक बंद ही पड़ा है। युवाओं के स्टेडियम निर्माण का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है।

स्टेडियम की वर्तमान स्थिति

स्टेडियम निर्माण के तहत मैदान में तीन तरफ चारदीवारी का निर्माण हुआ था। जिसकी ईंटें अब गायब है। सिर्फ दीवार की नींव बची हुई है। बारिश के मौसम में मैदान पर जल जमाव होता है।


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