पति के शव के साथ 36 घंटे तक घर में रही पत्नी, अंतिम संस्कार में बाधा बनी ये बात
बहनोई की मौत के बाद साले ने शवयात्रा तक के लिए रास्ता नहीं दिया। इस कारण शव 36 घंटे तक घर में ही पड़ा रह गया। बाद में पुलिस-प्रशासन के हस्तक्षेप से शव को घर से निकाला जा सका।
मधेपुरा [जेएनएन]। साले द्वारा बहनोई शत्रुघ्न पासवान की मौत के बाद शव निकालने के लिए रास्ता नहीं दिए जाने से 36 घंटे तक शव घर में ही पड़ा रहा। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप से शव को दाह संस्कार के लिए निकाला गया।
रविवार को वार्ड संख्या 23 के शत्रुघ्न पासवान की मौत हो गयी थी। रास्ता विवाद को लेकर साला शव को निकालने के लिए रास्ता नहीं दे रहा था। उससे नाराज शत्रुघ्न की पत्नी शांति देवी ने कहा कि अगर रास्ता नहीं दिया गया तो घर में ही शव का दाह संस्कार कर देंगे, लेकिन दूसरे रास्ते से शव नहीं ले जाएंगे।
इस विवाद में रविवार को शत्रुघ्न पासवान का दाह संस्कार नही हो पाया। इसके बाद सोमवार को एसडीओ वृंदा लाल, एसडीपीओ वसी अहमद और सीओ वीरेंद्र झा ने तत्काल रास्ते को खुलवाकर शव को दाह संस्कार के लिए भिजवाया। एसडीओ वृंदा लाल ने बताया कि दाह संस्कार के बाद दोनों पक्षों के जमीन विवाद को सुलझाया जाएगा।
पूर्व में भी हुआ था विवाद
शांति देवी ने बताया कि उसके भाई ने ही यहां बसाया था, लेकिन आपसी विवाद के बाद रास्ता बंद कर दीवार बनवा दिया। विरोध करने पर वैकल्पिक रास्ता दे दिया, लेकिन कुछ दिनों पहले उसे भी बंद कर दिया। उस वैकल्पिक रास्ता के बंद किये जाने से शव को बाहर निकालने का रास्ता ही नहीं बचा।