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धान का 33 फीसद उत्पादन निगल रहे खरपतवार

जिले में औसतन 78 हजार हेक्टेयर में किसान धान की खेती होती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 06:06 PM (IST)
धान का 33 फीसद उत्पादन निगल रहे खरपतवार

कटिहार : पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती कटिहार जिले में किसान मुख्य रूप से धान की खेती पर निर्भर है। जिले में औसतन 78 हजार हेक्टेयर में किसान धान की खेती होती है। यद्यपि बाढ़ की विभिषिका एवं अल्प वर्षापात किसानों की मिहनत पर पानी फेरता रहा है, लेकिन इस वर्ष बाढ़ नहीं आने के कारण खेतों में धान की फसल लहलहा रही है। वर्षापात के अभाव में किसान पटवन के सहारे फसल बचा रहे और बेहतर उत्पादन के लिए जी-तोड़ मिहनत भी कर रहे हैं।

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लेकिन धान की खेती के लिए अब भी बड़ी संख्या में किसान पारंपरिक विधि पर निर्भर हैं। इस कारण मिहनत के बाद भी उन्हें बेहतर उत्पादन नहीं मिल पाता है। खेतों में खरपतवार की अधिकता के कारण किसानों को अतिरिक्त खर्च का वहन करना पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार धान की खेती में 30 फीसदी उत्पादन खरपतवार की भेंट चढ़ जाते हैं। खरपतवार के कारण कीट-व्याधी का भी प्रकोप बढ़ता है। किसान इसके लिए शुरूआती प्रबंधन कर धान का उत्पादन बढ़ाकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। धान की फसल के लिए 45 दिन संवेदनशील :

धान की फसल में खरपतवार किसानों की एक प्रमुख समस्या है। विशेषज्ञों की मानें तो धान की फसल के लिए 45 दिन का समय संवेदनशील माना जाता है। इस दौरान खरपतवार का प्रकोप सबसे अधिक रहता है, जिसका नियंत्रण नहीं होने पर यह फसल को प्रभावित कर उत्पादन का ह्रास करते हैं। इसके कारण किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों का नुकसान होता रहा है। किन कारण से होती है समस्या :

धान की फसल की रोपनी के बाद 04 से 12 किलोग्राम नेत्रजन, 01 से 13 किलोग्राम फॉस्फोरस, 07 से 14 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से शोधित किया जाता है। इसके कारण खरपतवार अधिक सक्रिय होते है और कीट व्याधी का भी प्रकोप तेजी से बढ़ता है। जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए किसान खरपतवार नाशी रसायनों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही धान के खेत में खरपतवार का प्रयोग रोकने के लिए प्रमाणिक बीज का प्रयोग, रोगराधी पौधे का चुनाव और नालियो की सफाई के साथ ही शुरूआती प्रबंधन का ध्यान रखना जरुरी है। इससे खरपतवार के नुकसान को रोका जा सकता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रभावी है यांत्रिक विधि :

खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक विधि काफी प्रभावी है। इसके तहत खेतों में खरपतवार बढ़ने पर इसे खुरपी या हाथों की सहायता से हटाया जाता है। सीधी बुआई वाली फसलों में पैडीवीडर चलाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। श्रीविधि से की गई खेती में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर कोनोवीडर चलाना चाहिए। धान की फसल में पहली निराई 20 से 25 दिन और दूसरी निराई 40 से 45 दिनों में करने से खरपतवार का प्रकोप हद तक कम किया जा सकता है।

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कोट -

धान की फसल में खरपतवार और कीट-व्याधी के प्रकोप के कारण औसत उत्पादन प्रभावित होता है। खरपतवार नियंत्रण कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए शुरूआती प्रबंधन के साथ ही 45 दिनों तक फसल को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

पंकज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, केवीके, कटिहार।

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