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संगम युग में दो हजार से अधिक साहित्यों की हुई थी रचना

टीएनबी कॉलेज में आयोजित वेबिनार में संगम युग के सामाजिक आíथक और राजनीतिक पहलुओं पर हुई चर्चा

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:42 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 07:42 AM (IST)
संगम युग में दो हजार से अधिक साहित्यों की हुई थी रचना
संगम युग में दो हजार से अधिक साहित्यों की हुई थी रचना

भागलपुर। टीएनबी कॉलेज के इतिहास विभाग में शनिवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। इसका विषय संगम युग रखा गया था। वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता द्रविडियन विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रोफेसर जीजे सुधाकर थे। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए संगमकालीन राजवंश चोल, चेर और पांडय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उस युग के सामाजिक, आíथक और राजनीतिक पहुलओं पर भी प्रकाश डाला। संगम साहित्य पर भी चर्चा की। प्रो. सुधाकर ने कहा कि संगम युग में 473 रचनाकारों ने करीब दो हजार से अधिक साहित्य की रचना की थी।

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इसके पूर्व वेबिनार का विषय प्रवेश इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दयानंद राय ने कराया। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी ने सबका स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन विभाग की प्राध्यापक डॉ. अर्चना कुमारी साह ने की।

वेबिनार में विभाग के डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी, डॉ. कुमार काíतक, डॉ. पवन कुमा, डॉ. मोहिनी झा, डॉ. कुमार काíतक, और डॉ. रविशंकर कुमार चौधरी ने भी अपने विचार रखे।

पटना यूनिर्विसटी के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र कुमार, जीडी कॉलेज बेगूसराय के डॉ. जितेंद्र कुमार, रांची विश्वविद्यालय से डॉ. नेहा नूपुर. डॉ अजीत, डॉ. शिवानी भारद्वाज, डॉ. रणधीर गौतम, डॉ. अभिमन्यु सहित सौ प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजीत और बीसीए विभाग के राकेश कुमार पांडे ने किया।


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