सात फीसद किसानों तक ही पहुंच रही वेदर बेस्ड एग्रो एडवाइजरी
किसानों के लिए मोबाइल एप से वेदर बेस्ड एग्रो एडवाइजरी योजना की शुरूआत की गई।
कटिहार (नीरज कुमार)। मौसम संबंधी जानकारी देने एवं इस आधार पर फसलों के रख रखाव को लेकर किसानों को मोबाइल एप से वेदर बेस्ड एग्रो एडवाइजरी योजना की शुरूआत की गई। इसके लिए किसानों का उनके मोबाइल नंबर के साथ कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र में निबंधित होना जरूरी है। किसानों को इस योजना की जानकारी नहीं होने के कारण अधिकांश किसानों का निबंधन नहीं होने के कारण उन तक मौसम संबंधी पूर्वानुमान की जानकारी नहीं पहुंच रही है। अब तक महज सात प्रतिशत किसान ही इस योजना की सुविधा से लाभान्वित हो रहे हैं। जिले में करीब दो लाख किसान हैं। इनमें से 14 हजार किसान ही निबंधित हैं। यद्यपि विभागीय स्तर से किसानों के निबंधन के लिए सर्वे का काम किया जा रहा है। लेकिन जागरूकता के अभाव में किसानों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान की पूर्व जानकारी नहीं मिलने के कारण कृषि कार्य को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। अचानक मौसम में परिवर्तन और प्रा़कतिक आपदा के कारण हर वर्ष बड़े पैमाने पर फसलों की बर्बादी होती है। बताते चलें कि कृषि मंत्रालय द्वारा जलवायु आधारित एग्रो जोन में कटिहार जिले को भी शामिल किया जाना है। पिछले चार वर्षों में कटिहार सहित कोसी के इलाके में मौसम में रह रहकर होने वाले बदलाव के कारण किसानी चौपट हो रही है। हाल के दिनों तक सबौर से किसानों को मोबाइल पर मौसम संबंधी जानकारी एप के माध्यम से दी जाती थी। कोसी क्षेत्र के किसानों के लिए सहरसा में नए केंद्र की शुरूआत की गई है। लेकिन अधिकांश किसान अब भी इस सुविधा से वंचित हैं। सप्ताह में दो दिन एसएमएस के माध्यम से किसानों को मौसम की जानकारी दिया जाना है। सूचना केंद्र में शीघ्र ही अत्याधुनिक उपकरण का इंस्टालेशन कर अधिक से अधिक किसानों को इस सुविधा से जोड़े जाने की योजना पर काम किया जा रहा है।
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कोट:
मौसम के अनुकुल किसानों को कृषि कार्य संबंधी जानकारी देने के लिए मोबाइल एप विकसित किया गया है। सबौर के बाद कोसी क्षेत्र के किसानों को इस सुविधा से जोड़ने के लिए सहरसा में नए केंद्र की शुरूआत की गई है। इसके लिए किसानों को अपने मोबाइल नंबर के साथ निबंधन कराना जरूरी है। जागरूकता के अभाव में अधिकांश किसान निबंधित नहीं होने के कारण इस सुविधा से वंचित हैं। अधिक से अधिक किसानों का निबंधन कराने के लिए विभागीय स्तर से पहल की जा रही है।
डा. सुशील कुमार ¨सह, कृषि वैज्ञानिक, केवीके, कटिहार।