भागलपुर में दम तोड़ रहा जलापूर्ति योजना... संप तक वाटर वक्र्स से नहीं पहुंच रहा पानी
भागलपुर में लोगों को हर दस से पंद्रह दिनों पर पानी की किल्लत का सामना करना पड रहा है। लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं हो सका है। संप तक पानी भी अब तक नहीं पहुंचाया जा सका है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। घंटाघर संप व गोशाला जलमीनार से जलापूर्ति शुरू करने की कवायद को लेकर मेयर और डिप्टी मेयर ने खूब कसरत की। बावजूद ढाई वर्षो के बाद भी संप और जलमीनार से जलापूर्ति शुरू नहीं हुई। अब करोड़ों का संसाधन दम तोडऩे के कगार पर पहुंच गई है। इसे बीआरजेपी ने 2009 में बनाया था। निगम प्रशासन के ढीले रवैए की वजह से चार लाख गैलन क्षमता वाले संप से दो लाख की आबादी को निर्वाध जलापूर्ति नहीं हो सकेगी। संप से जलापूर्ति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जिसे कई बार हैंडओवर का सिलसिला जारी रहा। लेकिन, नगर निगम व बुडको के बीच समन्वय का घोर अभाव है। ऐसी स्थिति में हैंडओवर का खेल समाप्त नहीं हो सका। जबकि बीआरजेपी को नगर विकास एवं आवास विभाग ने बुडको को समाहित कर दिया है। इसके उपरांत भी जलापूर्ति की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया जा सका।
बीआरजेपी ने बनाया था संप
बिहार राज्य जल पर्षद ने 2009 में संप हाउस का निर्माण कराया था, लेकिन हैंडओवर लेने और देने की प्रक्रिया को लेकर विभागीय शिथिलता के चलते इसे शुरू ही नहीं किया। इस्तेमाल होने के बिना खराब होने लगा है। मेयर सीमा साहा ने संप से जलापूर्ति के लिए 10 जनवरी 2017 को बुडको, पैन इंडिया, बीआरजेपी और नगर निगम की जलकल शाखा के साथ नगर निगम में बैठक किया। इसके बाद स्थल निरीक्षण कर सभी तकनीकी बाधाएं दूर करने का निर्देश दिया। बीआरजेपी ने 24 जनवरी से संप खाली कराने की दिशा में कार्य शुरू किया। पर उद्घाटन निर्धारित समय पर नहीं हो सका। संप खाली किया गया , पंप हाउस का ट्रायल भी हुआ। अब तक जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी।
हैंडओवर का चल रहा खेल
बीआरजेपी से संप हाउस निगम को लेना है। इसके बाद पैन इंडिया को सुपुर्द कर जलापूर्ति शुरू करना है। वर्ष 2016 में तत्कालीन डिप्टी मेयर डॉ. प्रीति शेखर समेत कई पार्षदों ने धरना दिया था। अधिकारियों के आश्वासन के बाद बीआरजेपी ने संप की सफाई कराई थी। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बावजूद बुडको अब तकनीकी कारणों का हवाला देकर पल्ला झाड़ रही है। अब निगम से बोङ्क्षरग कराकर जलमीनार में पानी भरने के लिए बोङ्क्षरग कराने की तैयारी है।