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मुंगेर में 45 सेमी कमा जलस्तर, लेकिन संकट अभी भी, खतरे के निशान से 37 सेमी ऊपर गंगा

केंद्रीय जल आयोग का दावा गंगा का जलस्तर हुआ स्थिर जल्द पुराने रंग में दिखेगी। रेल पुल और एनएच पर पानी का दवाब भी कम जल्द राहत मिलने की उम्मीद। 39.33 मीटर डेंजर जोन है गंगा का। 39.70 मीटर अभी पहुंच गया पानी का बहाव।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 03:26 PM (IST)Updated: Thu, 19 Aug 2021 03:26 PM (IST)
मुंगेर में 45 सेमी कमा जलस्तर, लेकिन संकट अभी भी, खतरे के निशान से 37 सेमी ऊपर गंगा
11 पंचायत बरियारपुर, 13 पंचायत सदर प्रखंड, पांच पंचायत जमालपुर प्रखंड और तीन पंचायत हेमजापुर का बाढ़ से प्रभावित हैं।

जागरण टीम, बरियारपुर/मुंगेर। गंगा का जलस्तर स्थिर होने का असर जिले में दिखने लगा है। 48 घंटे में 45 सेमी जलस्तर कम हुआ है, अभी भी गंगा खतरे के निशान से 37 सेमी ऊपर बह रही है। जलस्तर कम होने के बाद निचले इलाके के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। नौवागढ़ी से रघुनाथपुर के बीच एनएच-80 पर बाढ़ का पानी का दवाब पहले से कम हुआ है। केंद्रीय जल आयोग के सुरेश कुमार ने बताया कि गंगा का जलस्तर काफी तेजी से कम रहा है, स्थिति यही रही तो अगले एक से दो दिनों में लोगों को बाढ़ के पानी से काफी राहत मिलेगी। बाढ़ की चपेट में जिले का छह प्रखंड पूरी तरह से है। बरियापुर-खड़गपुर मार्ग पर बने डावयर्जन से भी पानी कम होने लगा है। अभी इस मार्ग से वाहनों का परिचालन पूरी तरह बंद है, पर जल्द ही शुरू होने की संभावना दिख रही है। सैकड़ों एकड़ में खेतों में लगी फसलें डूब गई है। निचले इलाके में रहने वाले लोगों ऊंचे स्थान पर डेरा जमाये हुए हैं।

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चारा का मुक्कमल व्यवस्था नहीं

बाढ पीड़ितों को भोजन कराने के लिए जिला प्रशासन ने राहत शिविर कई जगहों पर लगाया है। साथ ही सामाजिक संस्था, आम जन बाढ़ पीडितों को भोजन कराने के लिए आगे आ गए है। लेकिन बेजुवान पशुओं को सुध लेने बाला कोई नहीं है। कई पशु दो से तीन दिन से भूखे है। भूखे रहने से कई पशुओं की स्थिति काफी खराब हो गई है। बाढ के कारण दियारा क्षेत्र, खेत खलियान में पानी आ गया है। जिसके कारण बाढ़ पीडित अपने गाय, भैंस, बकरी आदि को उंचे स्थान पर पहुंचे हैं। निचला हिस्सा डूव जाने के कारण पशुओं को चारा नहीं मिल पा रहा है।

पानी से आने लगा दुर्गंध, बीमारी को आमंत्रण

बाढ़ का पानी घटने के बाद पानी में डूबे घास और खरपात से दुर्गंध आने लगा है। पीड़ितों को ऐसे में काफी परेशानी हो रही है। पानी में बहकर आए गंदगी ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया है। लोग बीमारी फैलने की आशंका से डरें हुए हैं। जिस जगह घरों से बाढ़़ का पानी निकल गया है, वहां लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने लगे हैं। साधन संपन्न लोग ब्लीचिंग पाउडर व फिनाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। गरीब प्रशासन की ओर नजर लगाए बैठे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग बिमारियों को फैलने से रोकने के लिए तत्पर है। शिविरों में लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर दवा दे रही है। चिकित्सक लोगों को बिमारियों से बचने के लिए आवश्यक सलाह दे रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र को डायरिया से बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। पानी घटने के बाद छिड़काव की तैयारी पूर्ण कर ली गई है।

ज्यादातर जगहों पर घरों से नहीं निकला पानी

बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन अभी भी प्रखंड के 11 पंचायतों में घरों से बाढ़ का पानी नहीं निकला है। लोग अब भी अपने घरों में कमर से गर्दन तक पानी में प्रवेश कर आ जा रहे हैं। लालजी टोला,सरस्वतीनगर, टीकापुर,घोरघट नजीरा, सीतारामपुर नजीरा एकाशी, कल्याण टोला,काला मंडल टोला सहित चार दर्जन से अधिक गांवों में पानी फैला हुआ है।

एऩएच पर कई जगह बह रहा है बाढ़ का पानी

एनएच 80 तथा एनएच 333 पर पानी बह रहा है। हालांकि, नया छावनी,कुमार पुर, बंगाली टोला,हटिया प्रखंड कार्यालय के पास सड़क पर से बाढ़ का पानी पुरी तरह उतर चुका है। लेकिन कल्याणपुर पश्चिम टोला दुर्गा स्थान, रघुनाथपुर के पास एक फीट पानी अभी भी बह रहा है।एन एच 33 पर सोतीपुल के समीप पानी बह रहा है।देर रात तक पानी के सड़क से पूरी तरह उतरने की संभावना है।


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