UPSC Result 2020: मेहनत के आगे हार गया 'गरीबी', जानिए 45वीं रैंक लाने वाले अनिल बसाक का संकर्ष
UPSC Result 2020 कहते हैं मेहनत के आगे सबकुछ हार जाता है। जीत मेहनत करने वालों की ही होती है। इसे सच कर दिखाया है किशनगंज के लाल अनिल बसाक ने। 45वीं रैंक लाने वाले अनिल के पिता फेरी पर...!
जागरण संवाददाता, किशनगंज। खोने को कुछ नहीं पर पाने को पूरा आसमां का लक्ष्य लेकर तैयारी करने घर से दिल्ली निकले अनिल बसाक यूपीएससी में 45वां रैंक लाकर गुदरी के लाल के रूप में अपने जिला का नाम रोशन किया। जिला के ठाकुरगंज के खारूदह के मूल निवासी और वर्तमान में शहर के नेपालगढ़ कालोनी तांती बस्ती निवासी फेरी पर कपड़ा बेचने वाले पिता विनोद बसाक का पुत्र अनिल ने शिक्षा की ललक के आगे गरीबी को आड़े नहीं आने नहीं दिया। पिछले वर्ष यूपीएससी में 616 वां रैंक लाकर अपने ²ढ़संकल्प को मजबूत कर टाप टेन होने का ²ढ़संकल्प लेकर तैयारी में जुटे अनिल एक बार में 571 रैंक का छलांग लगाकर अपना आईएएस का सपना साकार कर लिया।
सिविल सर्विसेज की परीक्षा में बैठकर तीसरी बार में उसने यह सफलता पाई है। पहली बार में वो पीटी में भी सफल नहीं हुए। दूसरी बार में 616 रैंक लाया और इस दौरान उसे इनकम टैक्स कमिश्नर का पद मिला। इस दौरान वे अपने पिछडऩे के कारण का आत्म अवलोकन कर विशेष अवकाश पर फिर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। जानकारी देते हुए उन्होंने दूरभाष पर बताया कि पिछले वर्ष अगस्त माह में वे टाप टेन का लक्ष्य लेकर दिल्ली के लिए निकले थे।
संयोग से उसी दिन उसके दादा की मौत हो गई थी लेकिन उसके घरवालों ने उसे उस जानकारी से बेखबर रखा। दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें जानकारी दी गई लेकिन वे फिर लौटे नहीं। दूसरी बार के रैंक और साक्षात्कार से वह बहुत कुछ सीखे और फिर उस कमी पर फोकस कर तैयारी शुरू की और रैंक लाया। आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के कारण गणित सहित अन्य पेपर की तैयारी पहले से ठीक दूसरे चांस में अन्य कमी को दूर किया।
बताया कि उसे पहले से एक पद मिला था, जिससे उसे कुछ खोने का कोई गम नहीं था आगे पाने के लिए उसके पास सारा रैंक था। इसी बात को सोचते हुए वह तैयारी कर संतोषजनक रैंक प्राप्त किया। बेहतर रैंक आने के बाद उसके परिवार वाले से लेकर रिश्तेदार उसके शिक्षक सुभाष चंद्र वर्मा सहित जिला के तमाम लोगों में हर्ष व्याप्त है और उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उसके शिक्षक सुभाष चंद्र वर्मा बताते हैं कि वे 12वीं कक्षा से ही मेधावी था। 12 वीं में वह सीबीएसई से जिला टापर था। उसमें यूपीएससी तैयारी कर आईएएस बनने का पूरी संभावनाएं पहले से थी।