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इंटेलिजेंस के रडार पर भारतीय मूल की दो पाक महिलाएं

कराची के बिन कासिम, उत्तर नजीमाबाद और ल्यारी इलाके से भागलपुर और सीमांचल के किशनगंज और नेपाल के धरान इलाके में विभिन्न नंबरों से हुई बातचीत से इंटेलिजेंस एजेंसी सतर्क हुई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:50 AM (IST)
इंटेलिजेंस के रडार पर भारतीय मूल की दो पाक महिलाएं
इंटेलिजेंस के रडार पर भारतीय मूल की दो पाक महिलाएं

भागलपुर (कौशल किशोर मिश्र)। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ पूर्वी बिहार और सीमांचल इलाके में अपनी गहरी पैठ बनाने के फिराक में है। उसका मकसद इन इलाकों में मौजूद स्लीपर सेल को सक्रिय करने, नए एजेंट बहाल करने और हिंसा फैलाने का है। तकनीकी निगरानी के जरिये इंटेलिजेंस पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के इस नापाक इरादे की भनक पर सतर्क हो गई हैं। भागलपुर के मुफस्सिल और शहरी इलाके की दो भारतीय मूल की पाक महिला को भी इसी इनपुट के आधार पर संदेह के दायरे में रखते हुए जांच किए जाने की बात कही जा रही है।

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कहा जा रहा है कि कराची के बिन कासिम, उत्तर नजीमाबाद और ल्यारी इलाके से भागलपुर और सीमांचल के किशनगंज और नेपाल के धरान इलाके में विभिन्न नंबरों से हुई बातचीत से इंटेलिजेंस एजेंसी सतर्क हुई है। कराची से आए उन कॉलों में पांच कॉल के तार भागलपुर से नाता रखने वाली भारतीय मूल की दो पाकिस्तानी महिलाओं से भी जुड़े होने का इशारा कर रही है। अब तक मिले इनपुट के आधार पर सुरक्षा एजेंसियां उन दो पाक महिलाओं और उनसे जुड़े भारतीय लोगों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। इंटेलिजेंस सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान के मलिर जिले से आइएसआइ एजेंट जुबैद का नेपाल में डेरा डालने की योजना और फिर पूर्वी बिहार और सीमांचल इलाके में नई भर्ती और स्लीपर सेल को सक्रिय कर ङ्क्षहसा फैलाने की योजना है। आइएसआइ की इस काली योजना की भनक पर सीमा से सटे इलाके में सुरक्षा एजेंसियां पूर्वी बिहार और सीमांचल इलाके में ऐसे तत्वों की पहचान में जुट गई है।

अंग क्षेत्र में पूर्व से सक्रियता रही है पाकिस्तानी एजेंटों की

कश्मीर में सक्रिय आइएसआइ एजेंट मुन्ना कश्मीरी के जरिये 90 के दशक में भागलपुर के दस युवकों को पाकिस्तान में आतंक का प्रशिक्षण देकर भारत में बड़े पैमाने पर विस्फोट कराने की साजिश रची थी। भागलपुर पुलिस के हाथों 3 मई 1994 में गिरफ्तार स्थानीय युवक मुहम्मद सलालुद्दीन ने पूछताछ में यह उजागर किया था। तब उसकी निशानदेही पर भागलपुर निवासी दस युवक गिरफ्तार किए गए थे। सभी आइएसआइ की सरपरस्ती में पाकिस्तान के ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण प्राप्त किए थे। तब पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ, जिलेटीन की छड़ और हथियार बरामद किया था।

सलालुद्दीन की निशानदेही पर मुहम्मद सऊद, दाऊद बख्श, इश्तेखार, सर्फ उर्फ लाल बाबू, शमशेर, नौशाद, तबरेज, गयानंद मंडल, गुलाम कादिर की गिरफ्तारी हुई थी। भागलपुर के मुफस्सिल क्षेत्र के लोदीपुर थाने में तैनात दारोगा कृष्ण चंद्र सिन्हा को 1 नवंबर 1998 में उनकी राजदूत मोटरसाइकिल में जिलेटीन की छड़ का इस्तेमाल कर उन्हें मोटरसाइकिल समेत उड़ा दिया गया था। शव के चिथड़े उड़ गए थे। उनकी बाइक का ढांचा पास के जामुन के पेड़ पर मिला था। आज तक मामला अनसुलझा ही है। तब यह बात सामने आई थी कि एक पाक एजेंट की भनक उन्हें मिल गई थी। जिसके तुरंत बाद वारदात हुई थी। बांग्लादेश बार्डर पर 1996 में पकड़े गए भागलपुर जिले के सजौर थाना क्षेत्र निवासी मुहम्मद शम्सउद्दीन के तार हूजी जैसे खतरनाक आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात सामने आ चुकी है।


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