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अंगिका महोत्सव : अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग के साथ संपन्न हुआ समारोह Bhagalpur News

भागलपुर में दो दिवसीय अंगिका महोत्‍सव संपन्‍न हो गया। इस दौरान स्‍थानीय सहित कई बाहरी वक्‍ताओं ने अ‍ंगिका भाषा के उत्‍थान पर चर्चा की।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 03:25 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 03:25 PM (IST)
अंगिका महोत्सव : अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग के साथ संपन्न हुआ समारोह Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। अंगिका भाषा अंग प्रदेश की क्रांतिकारी आवाज बन चुकी है। जिस प्रकार अपनी भाषा के बल पर सिद्धो ने जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी। वह परंपरा व ताकत अंगिका भाषा में है। अंगिका भाषा का मानक तय करना पड़ेगा। उक्त बातें टीएमबीयू पीजी हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने तिलकामांझी स्थित विवाह भवन में अंगिका महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को अंगिका वर्तमान दशा और दिशा विषय पर आयोजित चर्चा-परिचर्चा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि अंगिका प्रदेश के लोग कसम खा ले कि हम उसी को वोट देंगे, जो अंगिका हित की बात करेगा। ऐसा नहीं करने वाले को किसी भी सूरत में वोट नहीं देंगे।

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उद्घाटन भाषण के दौरान डॉ. तेजनारायण कुशवाहा ने कहा कि अंगिका जहां से शुरू हुई, वहां से बहुत आगे निकल गई है। इस तरह का उत्सव व महोत्सव को रोकना नहीं चाहिए। कल तक दस लोग अंगिका भाषा को लेकर लड़ रहे थे, आज यहां संख्या हजारों में हो गई है। अध्यक्षता अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री हीरा प्रसाद हरेंद्र ने किया। 

वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने कहा कि सरकार अंगिका की आवाज इसलिए नहीं सुन रही है कि अंगिकाभाषी सरकार और नेताओं के पास गिड़गिड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मानव शृंखला बनाने से सरकार के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजर अंगिका की तरफ आएगा।

डॉ. डीपी सिंह ने कहा कि अंगिका बोलने में किसी को लाज या शर्म करने की जरूरत नहीं है। ई. अंशु सिंह ने कहा कि हम अंगिका पुस्तकालय खोले हैं तो वह दिन दूर नहीं है, जब अंगिका भोजनालय, अंगिका औषधालय, यहां तक कि अंगिका विश्वविद्यालय का सपना भी पूरा होगा। संयोजक गौतम सुमन ने कहा कि अंगिका महोत्सव 2021 तीन दिवसीय होगा। 11 महीनों तक अंग क्षेत्र के विभिन्न जिलों में अंगिका उत्सव मनाते हुए फरवरी के दूसरे सप्ताह में अंगिका महोत्सव मनाया जाएगा।

छात्र-छात्राओं के नृत्य से दूसरे सत्र का शुभारंभ

अंगिका महोत्सव में टेक्नो मिशन स्कूल की छात्राओं के अंगिका नृत्य और गायन पेश किया। इसके बाद अंगिका गीत, गायन और नृत्य को देखकर लोगों ने भरपूर आनंद उठाया। इस मौके पर निबंध पाठ के अलावा कैलाश ठाकुर, डॉ. योगेंद्र, लखनलाल पाठक, शतदल मंजरी, सुजाता कुमारी, डॉ.गायत्री देवी, डॉ.प्रदीप प्रभात, प्रो. दिलीप झा, त्रिलोकीनाथ दिवाकर, प्रीतम विश्वकर्मा कवियाठ आदि ने चर्चा-परिचर्चा में अपने-अपने विचारों से अंगिका भाषा के उत्थान और विकास के प्रति लोगों को जानकारी दी। चर्चा-परिचर्चा के मुख्य वक्ता डॉ. अमरेंद्र थे। नाट्य संस्था संबंध के द्वारा जनता पगलाय गेलै का नाट्य मंचन हुआ।

विश्वविद्यालय स्तर पर काम होना जरूरी

अंगिका महोत्सव में भाग लेने पहुंचे टीएमबीयू के पूर्व कुलपति डॉ. राम आश्रय यादव ने कहा कि अंगिका के संवर्धन और समृद्धि के लिए अंग प्रदेश में विश्वविद्यालय स्तर पर काम होना चाहिए। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस मुकाम पर अंगिका का विकास होना चाहिए, वह नहीं हुआ है। जबकि यह लगभग पांच से छह करोड़ जनसंख्या की आत्मा में बसती है और अंगिका यहां की मुख्य भाषा रही है। अंग प्रदेश जहां चंपा नदी और विषहरी-बिहुला के क्षेत्र में स्थानीय भाषा के रूप में जो सम्मान मिलना चाहिए, वह स्थान अंगिका को कभी नहीं मिला। यह जरूरी है कि यहां के विद्यार्थियों को डिग्री लेने से पहले, अंगिका में क्वालीफाई करना अनिवार्य कर दिया जाए। जिस प्रकार से झारखंड में संथाली भाषा में पास करना जरूरी होता है।

महोत्सव में 'अंगिका : वर्तमान दशा आरो दिशा' के अंतर्गत आयोजित चर्चा-परिचर्चा का संचालन करते हुए गीतकार राजकुमार ने कहा कि अंग की संस्कृति-सभ्यता का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना पुराना विश्व संस्कृति-सभ्यता का इतिहास। ऋग्वेद से बहुत पूर्व ही जो संस्कृति और सभ्यता अंग देश में विकसित हुई थी, वह थी व्रात्य संस्कृति-सभ्यता; जिसका उल्लेख ऋषि कवियों ने अथर्व वेद के व्रात्य कांड में किया है। जहां तक अंगिका लिपि की बात है, बौद्ध ग्रंथ के ललित विस्तर में वर्णित 64 लिपियों में अंग लिपि को चौथा स्थान प्राप्त है। अस्तु, ऋषि-मुनि, संत-महात्मा और सिद्धों की यह ऐतिहासिक धरती अंग का इतिहास बहुत पुराना है। इसे समझते हुए हमें आगे बढ़ने की आवश्यकता है। इसके समृद्ध इतिहास और साहित्य को केंद्र में रखकर अंगिका भाषा को भारत सरकार को अवश्य अष्टम् अनुसूची में अंकित कर अंगिका भाषियों के साथ न्याय करना चाहिए। 

कार्यक्रम का संचालन करते गीतकार राजकुमार

अंगिका महोत्सव की उपलब्धि पर अपना विचार व्यक्त करते हुए डॉ. अमरेंद्र ने एक होटल में पूर्व कुलपति डॉ. राम आश्रय यादव की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अंगिका महोत्सव एक और दो फरवरी को है। इसको शीर्ष पर लाने तक में कोई एक हाथ का ताकत नहीं रहा है बल्कि इसमें सैकड़ों हाथ लगा हुआ है।

अंग महोत्सव में उठी अंगिका विश्वविद्यालय के लिए आवाज

वृंदावन भवन सभागार में आयोजित अंगिका महोत्सव में अंग प्रदेश के विद्वानों ने अंगिका विश्वविद्यालय की आवाज जोरशोर से उठाई। सभागार भरा हुआ था और अंगिका नाच-गान की होने वाली बारिश के बीच तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.राम आश्रय यादव और परमहंस स्वामी अागमानंद महाराज ने महोत्सव का शुभारंभ मंजूषा दीप प्रज्जवलित कर किया।

डॉ.रामाश्रय यादव ने अंगिका के उत्थान और विकास पर कहा कि अंगिका वासी को चाहिए कि क्षेत्र में अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना की कोशिश करे और करवाएं ताकि अंगिका भाषा और संस्कृति का विस्तार हो सके। उसपर बिना प्रतिबंध का शोध हो सके। उन्होंने कहा कि वे तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान जिस उम्मीद को लेकर अंगिका विभाग शुरू कराया था। वह आज तक पूरा नहीं हुआ। 16 वर्षों में मात्र तीन छात्रों का शोध कार्य पूरा हो सका जो बहुत नहीं है। परमहंस स्वामी आगमानंद जी ने भी इसी बात को दूसरी तरह बताया कि अंग प्रदेश देवभूमि थावे भूमि है और सदैव देवभूमि रहेगा उन्होंने इसे साधु संत और ऋषि-मुनियों का क्षेत्र बताया जो इस भूमि पर अंगिरास और अंगिरा ऐसे ऋषि होने का सबूत है। इस मौके पर अंग महोत्सव के संयोजक गौतम सुमन ने कहा कि जब भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के लिए दुनिया की यह प्राचीन अंगिका भाषा, सभी मापदंडों और शर्तों को पूरा करती है तब सरकार चुप क्यूं है। मौके पर अंगिका को झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिलाने में सक्रिय रहे गोड्डा के भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि हमारी अंगिका तभी फले-फूलेगी जब अंगिका से नई पीढ़ी के लोगों को जोड़ा जाएगा और अंगिका अब सरकारी भाषा और जीविका का साधन भी बन चुका है। झारखंड के ही पूर्व विधायक राजेश रंजन ने कहा कि जब झारखंड की सरकार ने दुनिया की प्राचीन भाषा अंगिका को समुचित सम्मान और अधिकार दिलाने की दिशा में सकारात्मक पहल कर रही है। सामाजिक कार्यकर्ता लखन लाल पाठक ने कहा कि अंग क्षेत्र में जितने भी संगठन हैं, उन्हें चाहिए कि वे एकजुट होकर अंगिका भाषा- साहित्य,सभ्यता-संस्कृति और विरासत के लिए इमानदारी से काम करें। डॉ.शंभू दयाल खेतान ने कहा कि अंगिका भाषा के सम्मान और अधिकार के लिए सालों से आंदोलन चलता आ रहा है लेकिन अब तक उसे समुचित सम्मान और अधिकार नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में चंद्रप्रकाश जगप्रिय ने अंगिका संबंधी अब तक हुए आंदोलनों और कार्यों की विस्तृत चर्चा की। पूर्व महापौर डॉ. वीणा यादव ने कहा कि अंगिका के विद्वानों का स्वागत करके उन्हें बड़ी खुशी मिल रही है। इस मौके पर उलूपी झा समेत काफी संख्या में अंग क्षेत्र के लोग उपस्थित थे।

अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग

अंगिका महोत्सव में अंग प्रदेश के विद्वानों ने अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग की। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामाश्रय यादव और परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज ने महोत्सव का शुभारंभ मंजूषा दीप प्रज्जवलित कर किया। डॉ. रामाश्रय यादव ने अंगिका विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लोगों को प्रयास करने को कहा। गोड्डा के भाजपा विधायक अमित मंडल ने अंगिका से नई पीढ़ी को जोडऩे की बात कही। लखन लाल पाठक ने कहा कि अंगिका भाषा के विकास के लिए सभी संगठनों को एकजुट होकर काम करना होगा। इस दौरान झारखंड के पूर्व विधायक राजेश रंजन, डॉ. शंभू दयाल खेतान, चंद्रप्रकाश जगप्रिय, पूर्व महापौर डॉ. वीणा यादव, उलूपी झा, गीतकार राजकुमार, अंशुमाला झा, सोमा आनंद गुप्ता, डॉ मीरा झा, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, डॉ ब्रह्मदेव नारायण सत्यम, कुलगीतकार आमोद कुमार मिश्र, रंजना सिंह, दिनेश बाबा तपन समेत अन्य उपस्थित थे।


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