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मिल्की मशरूम की खेती कर गरीबी उन्मूलन की कोशिश

हौसले के बुलंद विजय ने कृषि विज्ञान केंद्र सबौर में मशरूम की खेती का हुनर सीखा और शुरू कर दिया मिल्की मशरूम की सफल खेती।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 02:00 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 02:00 PM (IST)
मिल्की मशरूम की खेती कर गरीबी उन्मूलन की कोशिश
मिल्की मशरूम की खेती कर गरीबी उन्मूलन की कोशिश

(अमरेन्द्र कुमार तिवारी) भागलपुर। नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत खरीक प्रखंड के बड़ी अलालपुर गांव निवासी विजय कुमार जहां कल तक रोजगार के लिए भटकते थे। आर्थिक संकट ने उसके परिवार को जकड़ रखा था। अपनी जीवन नैया को अधर में पाकर कर विजय के सामने जाऊं तो जाऊं कहां वाली स्थिति पैदा हो गई थी। पर हौसले के बुलंद विजय ने कृषि विज्ञान केंद्र सबौर में मशरूम की खेती का हुनर सीखा और शुरू कर दिया मिल्की मशरूम की सफल खेती।

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अब विजय रोजगार की तलाश नहीं सृजन कर रहे हैं। बहरहाल उसकी आमदनी सालाना लाख रुपये तक पहुंच गई है। वे मशरूम का उत्पादन एवं बिक्री के कार्य में आधा दर्जन युवाओं को साथ लेकर उन्हें न सिर्फ रोजगार दे रहे हैं बल्कि उसको उत्पादन तकनीकी भी सीखा रहे हैं। इसके पूर्व भी उन्होंने तीन दर्जन से अधिक युवाओं को मशरूम की खेती करने का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया

यूं कहे कि आज विजय के बदौलत उक्त गांव के दर्जनभर युवा इस दिशा में मुड़ गए हैं। कमोबेश सबने मशरूम की खेती शुरू कर दी है।

जागरण से बातचीत के क्रम में विजय ने इस क्षेत्र में युवा उद्यमी बनकर दिखने की बात कही। उन्होंने कहा कि गांव के जिन युवाओं ने इसकी खेती का गुर सीखा है अगर उनका साथ मिला तो और बड़े पैमाने पर हम मशरूम उत्पादन में सफल होंगे। यहां खरीदारी के लिए दूर-दराज से व्यापारी आएंगे। मशरूम उत्पादक ग्रामीणों की आय बढ़ेगी। यहां की गरीबी दूर होगी। गांव से मजदूरों का पलायन रुकेगा और यह गांव मशरूम उत्पादन गांव के नाम से प्रचलित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम मशरूम को वर्ष 2004 से जानते हैं। गांव के करीब 40-50 मजदूर पंजाब के एक फर्म में मशरूम उत्पादन का काम करते थे। मैं भी वर्ष 2006 में घर से भाग कर पंजाब पहुंच गया था। जिस फर्म में गांव के लोग काम करते थे वहां 24 घंटे काम चलता था। करीब एक सप्ताह तक मैं भी उक्त फर्म में काम किया था। पर वहां काफी ठंड लगने के कारण पुन वापस घर लौट आया। पर मशरूम उत्पादन की पूरी जानकारी नहीं हो पाई थी।

अंत में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक अनिता कुमारी द्वारा यह ज्ञान दिए जाने पर उनके प्रति उसने आभार भी व्यक्त किया।


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