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Train ticket gang : पर्व आते ही टिकट गिरोह का सिंडिकेट सक्रिय, कुंडली तैयार करने में जुटी सीआइबी

सिल्क सिटी के गली-मोहल्लों में फर्जी आइडी पर कट रही टिकटें सिविल ड्रेस में आरपीएफ और सीआइबी कर रही निगरानी। शहर में दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर काटी जा रही टिकटें तत्काल टिकट में विशेष सॉफ्टवेयर का कर रहे इस्तेमाल।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:09 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:09 AM (IST)
Train ticket gang : पर्व आते ही टिकट गिरोह का सिंडिकेट सक्रिय, कुंडली तैयार करने में जुटी सीआइबी
दिल्ली से लेकर कई शहरों की कटती हैं टिकटें।

भागलपुर, जेएनएन। सिल्क सिटी में चल साइबर कैफे की आड़ में रेलवे ई-टिकट का अवैध धंधा चल रहा है। संचालक अवैध और फर्जी आइडी पर टिकट काट रहे हैं। पर्व आते ही सभी सक्रिय हो गए हैं। हाल के महीनों में पकड़े गए साइबर संचालकों के पास ऐसे कई फर्जी दस्तावेज मिले हैं। फर्जी दस्तावेज के आधार पर व्यापक मात्रा में ई-टिकट काटते है। अब ऐसे संचालकों पर सीधी नजर रखी जा रही है। रेलवे सुरक्षा बल और सीआइबी (अपराध अनुसंधान शाखा) इनसे निपटने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है, ऐसे संचालकों की सूची बना रही है।

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 दिल्ली से लेकर कई शहरों की कटती हैं टिकटें

यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई, यूपी, बंगलुरु, जयपुर, जम्मू कश्मीर, पूणे जैसे शहरों का टिकट बुकिंग हो रही है। आरपीएफ प्रभारी एके सिंह ने बताया कि ऐसी अवैध संचालकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।

ज्यादा रकम देकर ले रहे टिकट

ट्रेनों में दबाव बढऩे के साथ ही लंबी दूरी की ट्रेनों के तत्काल टिकट की मुंहमांगी कीमत जरूरतमंद यात्री देने को मजबूर हैं। इसका पूरा फायदा रेल टिकट की कालाबाजारी में लगे सिंडिकेट के सदस्य उठा रहे हैं। स्लीपर का कंफर्म टिकट दोगुने दाम से ज्यादा पर मिल रहे हैं। वहीं एसी क्लास की टिकटों पर सात से नौ सौ ज्यादा ली जा रही है। जिन्हें जरूरी सफर करना है वो तो सीधे एजेंट से ही संपर्क कर टिकटें ले रहे हैं। एजेंट जिसके नाम से टिकट काटी गई उसके नाम से पहचान पत्र भी बनाकर दे रहे हैं। पहचान पत्र का शुल्क अलग से देना पड़ता है।

लेटेस्ट सॉफ्टवेयर का किया जा रहा इस्तेमाल

ई-तत्काल टिकट काटने में सिंडिकेट स्पॉर्क और रोबोफॉर्म नामक साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह है कि इससे तत्काल काटने में किसी तरह का झंझट नहीं होता है। इससे फटाफट टिकटें कट जा ती है। सिंडिकेट नई तकनीक का इस्तेमाल कर आइआरसीटीसी की साइट को हैक कर लेते हैं। ऐसे में तत्काल समय में साइट धीमा हो जाता है। इस कारण आम लोगों का ई-तत्काल टिकट नहीं कट पाते हैं। यह प्रक्रिया दस बजे से एसी क्लास और ग्यारह बजे स्लीपर क्लास में लागू होता है। एसी और स्लीपर क्लास के टिकट काटे जाने के समय से दस मिनट बाद ही दूसरे लोगों को ई-टिकट काटते हैं। तब तक तत्काल की सारी सीटें फुल हो जाती है।


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