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गांधी जयंती पर विशेष : TMBU का एक विभाग बन गया गांधी का विचार, देखें... राष्ट्रपिता की दुर्लभ तस्वीरें Bhagalpur News

भागलपुर से महात्‍मा गांधी बेहद लगाव रहा है। यहां के तिमांविवि का एक विभाग गांधी जी विचार बन गए हैं। यहां उनकी कई दुर्लभ तस्वीरें हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 11:02 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 11:02 AM (IST)
गांधी जयंती पर विशेष : TMBU का एक विभाग बन गया गांधी का विचार, देखें... राष्ट्रपिता की दुर्लभ तस्वीरें Bhagalpur News
गांधी जयंती पर विशेष : TMBU का एक विभाग बन गया गांधी का विचार, देखें... राष्ट्रपिता की दुर्लभ तस्वीरें Bhagalpur News

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। जिस भागलपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कदम चार-चार बार पड़े, उस शहर ने उनके विचारों को न सिर्फ आत्मसात किया बल्कि उसे एक विभाग के रूप में स्थापित भी किया। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध इस विभाग को गांधी विचार विभाग नाम दिया गया है। यहां स्नातकोत्तर स्तर पर गांधी के विचारों की पढ़ाई होती है। शोध कार्य भी होते हैं।

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देश के इस पहले गांधी विचार विभाग में बापू से जुड़ी कई दुर्लभ तस्वीरें संजोकर रखी गई हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी गोद में छह वर्षीय इंदिरा गांधी को लिए प्रसन्न मुद्रा में हैं। कहीं बापू सरोजनी नायडू तो कहीं सीमांत गांधी के नाम से मशहूर खान अब्दुल गफ्फार खान के साथ हैं। कश्मीर स्थित ओमी खां केमहल में गांधी जी जब गए थे तब का भी चित्र यहां मौजूद है। देश के बटवारे के समय अनशन पर बैठे, चीर निंद्रा में सोए गांधी की तस्वीर बहुत कुछ बयां कर रही है।

पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. परमानंद राय का कहना है कि राष्ट्रपिता की पत्रिका 'हरिजन' और 'यंग इंडिया' के कई खंड यहां के पुस्तकालय में मौजूद हैं। 'संपूर्ण गांधी वांग्मय' के हिन्‍दी और अंग्रेजी संस्करण के सौ खंड उपलब्ध हैं। संपूर्ण गांधी वांग्मय में गांधीजी की पूरी जीवनी के साथ-साथ उनके लिखे पत्र का भी उल्लेख है। ऐसी कई पुस्तकें और पत्रिकाएं यहां उपलब्ध हैं, जिन्हें जानने और पढऩे जरूरत है।

यहां हैं दुर्लभ किताबें

गांधी विचार विभाग को दान में दुर्लभ पुस्तकें मिली हैं। विभाग के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह ने लगभग पांच हजार पुस्तकें और दो हजार फुटनोट्स विभाग को दान में दी हैं। इनमें कई पुस्तकें ऐसी हैं, जो अब बाजार में शायद ही उपलब्ध हों।

और चर्चा में आए गए थे बापू

दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के समय गांधीजी ने कई काम किए। इस पर जोसफ जे डोक ने 'एमके गांधी' नाम से किताब लिखी थी। इस पुस्तक ने गांधीजी को पश्चिमी देशों में पहचान दिलाई थी। पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 1909 में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी पुस्तक 'महात्मा गांधी' अब आउट ऑफ प्रिंट हो चुकी है। ये दोनों पुस्तक भी डॉ. रामजी सिंह ने दान में दिया है।

गांधी विचार विभाग का इतिहास

गांधी विचार विभाग का उद्घाटन दो अक्टूबर 1980 को भागलपुर विश्वविद्यालय में हुआ था। तब यह देश का इकलौता विभाग था, जहां गांधी विचार की पढ़ाई शुरू हुई थी। यहां छात्र-छात्राएं चटाई पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जब 1964 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने थे, तभी उन्होंने गांधी विचारधारा पर यहां पाठ्यक्रम शुरू करने की सोच ली थी।

1977 में यूजीसी ने दी थी स्वीकृति

दर्शनशास्त्र के शिक्षक और पूर्व सांसद डॉ. रामजी सिंह के काफी प्रयास के बाद यूजीसी ने 1977 में विभाग खोलने की स्वीकृति दी। दो अक्टूबर 1980 को तत्कालीन कुलपति डॉ. एमक्यू तौहिद ने विभाग की स्थापना की। इस विभाग के कई छात्र दिल्ली स्थित राजघाट, गांधी संग्रहालय, वर्धा विश्वविद्यालय सहित देश भर में ऊंचे-ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं।

तिमांविवि गांधी विचार विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो. विजय कुमार ने कहा कि गांधी विभाग विभाग में बापू से जुड़ी कई देश-दुनिया की तस्वीरें उपलब्ध हैं। इन्हें सहेजकर रखा गया है। कई ऐसी किताबें हैं, जो छपनी बंद हो गई है।


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