TMBU: दो शिक्षकों ने तैयार किए मास्क व पीपीई किट, कोरोना से बचने के लिए है उपयोगी, आप भी बनाएं
TMBU यहां के दो शिक्षकों ने मास्क व पीपीई किट बनाया है। यह कम कीमत पर उपलब्ध है। बार-बार किए जा सकेंगे उपयोग पेटेंट के लिए भेजा। नैनो तकनीक से तैयार फुट सैनिकों को देगा 24 घंटे इनर्जी। कोरोना के बचाव के लिए उपयोगी हैं।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। नैनो तकनीक से तैयार मेडिकेटेड फुट सैनिकों को 24 घंटे इनर्जी देगा। आयुर्वेद, वेद और विज्ञान के आधार पर फुट तैयार किया है तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों ने। शोध सफल होने के बाद प्रोडक्ट को पेटेंट के लिए भेजा गया है। इसके लिए पुणे की कंपनी से मदद ली गई है। कोरोना काल में भी इन शिक्षकों कोरोना वॉरियर्स व आम लोगों के लिए कई प्रोडक्ट तैयार किए हैं।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने नैनो तकनीक पर आधारित तीन अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट तैयार किए हैं। पीजी रसायन विभाग के शिक्षक प्रो. अनल कांत झा और भौतिकी विभाग के शिक्षक प्रो. कमल प्रसाद ने नैनो तकनीक से इनर्जी फुट तैयार किया है, जो सेना को 24 घंटे तरोताजा रखेगा। मेडिकेटेड इनर्जी वाला फुट मेडिशनल प्लांट से तैयार किया गया है। यह इको फ्रेंडली है। यह आर्युवेद, वेद और विज्ञान पर आधारित है। मेड इन इंडिया पर आधारित इनर्जी फुट बिहार पुलिस को भी उपलब्ध कराई जाएगी। शोध सफल रहने के बाद तैयार प्रोडक्ट को पुणे की एक कंपनी के साथ मिलकर 18 जून 2020 को पेटेंट के लिए भेजा गया है। नैनो बेस्ड प्रोडक्ट में फेस मास्क, हेड कवर, सैनिटाइजर, बॉडी सोप, फ्लोर क्लीनिंक, सौंदर्य प्रसाधन के लिए स्किन केयर प्रोडक्ट, मेडिकल हॉस्पिटल से जुड़े तमाम आवश्यक प्रोडक्ट तैयार किए गए हैं। साथ ही इसमें नैनो इनेबल पीपीई किट को भी शामिल किया गया है। पीपीई किट बार-बार बदलने की जरूरत नहीं होगी। एक ही किट बार-बार रिचार्ज होकर काम करेगा। मास्क को भी बार-बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रो. कमल प्रसाद व प्रो. अनल कांत झा ने बताया कि नैनो तकनीक पर आधारित प्रोडक्ट से समाज के सभी तबकों को लाभ मिलेगा। शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। मास्क लगाने से बाइक चलाने वाले बाइकर्स को धूल, बैक्टीरिया, विषाणु आदि से निजात मिलेगा। नगर निगम के कर्मियों को गंध महसूस नहीं होगा। इनफैक्शन नहीं होगा। शरीर में वायरस प्रवेश नहीं करेगा।
प्रो. कमल प्रसाद ने बताया कि जिले में गरीबी, बदहाली, बेरोजगारी को देखते हुए इनके लिए कुछ करने का ख्याल आया। इसके बाद 2009 से इस पर काम शुरू किया। जो प्रोडक्ट तैयार गया है वह स्थानीय फूल-पत्तियों से तैयार किया गया है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। यह सस्ता और सर्वसुलभ होगा। शोध सफल होने के बाद अब इसे पेंटेंट कराने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। पूर्व कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह की विशेष पहल से इन प्रॉडक्ट को पेटेंट के लिए भेजा गया है। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दीपक कुमार दिनकर ने कहा कि यहां के शिक्षकों की यह उपलब्धि टीएमबीयू के लिए गौरवांवित करने वाला है। इस तरह की शोधपरक पहल को आगे भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। शोध के क्षेत्र में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।