TMBU: शिक्षक की पिटाई का मामला फिर पकडऩे लगा तूल, अब टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ पीजी हिंदी के हेड ने खोला मोर्चा
भागलपुर विवि में शिक्षक की पिटाई का मामला अब तूल पकडऩे लगा है। इस मामले में पीजी ङ्क्षहदी के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे विवि की राजनीति गरामा गई है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के पीजी ङ्क्षहदी के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र ने टीएनबी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने डॉ. चौधरी पर मुरारका कॉलेज, सुल्तानगंज और टीएनबी कॉलेज में रहते वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों को लेकर घेरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को इस संबंध में पत्र लिख उनके विरूद्ध कार्रवाई की मांग की है।
डॉ. योगेंद्र ने इंटरनेट मीडिया पर भी डॉ. चौधरी का नाम लिए बगैर पोस्ट किया है। डॉ. योगेंद्र ने कुलपति को दिए पत्र में कहा है कि डॉ. चौधरी के विरुद्ध वित्तीय अनियमितता मामले में दो जांच हुई। उनके ऊपर दोनों आरोप सिद्ध हुए और कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विवि को सौंपी थी। दोनों रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो रही है। उन्होंने पत्र में कहा है कि उल्टे जब प्राचार्य टीएमबीयू के प्रभारी कुलपति बने तो उन्होंने जांच टीम पर ही जांच बैठा दी, जो नियम संगत नहीं था।
बता दें कि पीजी हिंदी के शिक्षक डॉ. दिव्यानंद देव के साथ 26 मार्च को पिटाई मामले के बाद यह मुद्दा उठा था। इस मामले में आठ आरोपित छात्र नेताओं पर केस दर्ज किया गया। केस दर्ज होने के विरोध मेें कुछ छात्र संगठन डॉ. योगेंद्र पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उन्होंने विभागाध्यक्ष पर गठित जांच को सार्वजनिक कर उन्हें हटाने की मांग की। इस मामले को लेकर ही डॉ. योगेंद्र ने अपना पक्ष कुलपति के समक्ष खुद ही रखा है। डॉ. योगेंद्र के मुताबिक कमेटी ने अब तक उनसे पक्ष रखने के लिए कभी संपर्क भी नहीं किया। अब तक जांच भी नहीं हुई है। ऐसे में चारों आरोपों पर डॉ. योगेंद्र ने कुलपति को अपना पक्ष लिखित रूप में देते हुए सारी जानकारी उपलब्ध कराई है।
इधर, टीएनबी कॉलेज प्राचार्य और पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ. संजय कुमार चौधरी ने कहा है कि ङ्क्षहदी विभागाध्यक्ष द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। वित्तिय अनियमितता मामले की गलत रिपोर्ट देने पर विवि के एफए पर कार्रवाई भी हो चुकी है। वहीं प्रभारी कुलपति रहते जब डॉ. योगेंद्र के विरुद्ध जांच कमेटी गठित हुई तो वे गलत बयानबाजी कर रहे हैं।