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आनन-फानन में टीएमबीयू ने जारी की अधिसूचना, 72 शिक्षकों और 248 कर्मचारियों की सेवा कंफर्म

तिमां‍विवि भागलपुर सरकार की चेतावनी के बाद आनन-फानन में विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी की अधिसूचना। 30 से 35 साल बाद कर्मचारियों और कुछ शिक्षकों की सेवा हुई है कंफर्म। 72 शिक्षकों और 248 कर्मचारियों को मिला लाभ।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 10:08 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 10:08 AM (IST)
आनन-फानन में टीएमबीयू ने जारी की अधिसूचना, 72 शिक्षकों और 248 कर्मचारियों की सेवा कंफर्म
TMBU : 72 शिक्षकों और 248 कर्मचारियों को सेवा कंफर्म।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिना सेवा कन्फर्म हुए सरकार द्वारा वेतन रोके जाने की चेतावनी के बाद टीएमबीयू प्रशासन ने कर्मचारियों और शिक्षकों की सेवा सोमवार को कंफर्म कर दी। टीएमबीयू ने 72 शिक्षकों और 348 कर्मचारियों की सेवा कंफर्मेशन पर मुहर लगाई है। नए कुलसचिव डा. गिरिजेश नंदन कुमार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। 72 शिक्षकों में ऐसे भी शिक्षक शामिल हैं जिन की नौकरी 30 या 35 साल हो चुकी है। ऐसे शिक्षकों को बिना सेवा कन्फर्म हुए हैं प्रोन्नति का लाभ मिलता रहा साथ ही वे विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों पर भी थे।

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जबकि नियम है कि जब तक सेवा कन्फर्म ना हो तब तक वे ना तो प्रोन्नति का लाभ ले सकते हैं और ना ही अधिकारी के पद का निर्वहन कर सकते हैं। बावजूद ऐसा चलता रहा। सेवा कंफर्मेशन की सूची से टीएनबी ला कालेज, सबौर कालेज और एमएएम कालेज नवगछिया के कर्मचारियों के नाम पर विचार नहीं किया गया। 2017 से 2019 के बीच बहाल कुछ शिक्षकों की सेवा नियुक्ति की तिथि से एक दिन पहले कर दी गई है। जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा टाइप‍िंग भूल बताई गई है।

आज की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था से विश्वास उठता जा रहा है

संसू, नवगछिया। वर्ष 1987 में सेवानिवृत्त हुए शिक्षक कैलाशपति कुमार बताते हैैं कि मैैंने 36 वर्ष तक सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के रूप में कार्य किया। समय के साथ शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव आ रहे हैैं। एक तरफ तो इंजीनियर‍िंग तक पढ़ाई हो रही है लेकिन सरकारी शिक्षा व्यवस्था कमजोर होती जा रही है। आज की प्रारंभिक शिक्षा से विश्वास उठता जा रहा है। उस समय देश आजाद हुआ था। लोगों में शिक्षकों के प्रति एक अलग ही शिष्टाचार और सम्मान था। इस समय न तो विद्यार्थियों में सदाचार रह गया है और न ही शिक्षकों का सम्मान हो रहा है। पहले की अपेक्षा अब लोगों को एक-दूसरे पर विश्वास नहीं हो रहा है। छल और फरेब में सब व्यस्त हैैं। उस समय जिन छात्रों ने शिक्षकों का सम्मान किया आज वे सम्मानित जीवन जी रहे हैैं। अंग्रेजों की खिलाफत करने के लिए गोपालपुर थाने को जला दिया गया था। आज के नेतृत्व में ऐसी क्षमता नहीं दीखती।


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