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TMBU Foundation Day : प्रतीकात्मक रूप से मना 61वां समारोह, गौरवशाली है यहां का इतिहास, दिनकर भी यहां के थे कुलपति

TMBU Foundation Day कोरोना काल में तिमांविवि ने अपना स्‍थापना दिवस मनाया। इस दौरान तिलकामांझी की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाया गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 12:06 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 12:06 AM (IST)
TMBU Foundation Day : प्रतीकात्मक रूप से मना 61वां समारोह, गौरवशाली है यहां का इतिहास, दिनकर भी यहां के थे कुलपति
TMBU Foundation Day : प्रतीकात्मक रूप से मना 61वां समारोह, गौरवशाली है यहां का इतिहास, दिनकर भी यहां के थे कुलपति

भागलपुर, जेएनएन। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का रविवार को 61वां स्थापना दिवस प्रतीकात्मक रूप से मनाया गया। जिला प्रशासन की अनुमति पर डीएसडब्ल्यू डॉ. राम प्रवेश सिंह सहित पांच अधिकारियों ने शहीद तिलकामांझी की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाया। मौके पर डीएसडब्ल्यू ने कुलपति के वाट्सएप मैसेज को पढ़ा।

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कुलपति ने आपने मैसेज में कहा है कि विवि की जिम्मेदारी मिलने के बाद स्थापना दिवस को भव्य तरीके से मनाए जाने की योजना थी। लेकिन वैश्विक महामारी कोराना की वजह से लॉकडाउन के कारण उत्पन्न परिस्थितयों एवं कुलसचिव सहित कई अधिकारियों एवं कर्मचारियों के संक्रमित हो जाने के कारण यह कार्यक्रम बेहद सादगी के साथ मनाया गया। उन्होंने कहा कि इस विवि का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमें सब के सहभागिता से शोध, शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में और बेहतर काम करने की जरूरत है। ताकि यह विवि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपना नाम रोशन कर सके।

उन्होंने एक दिन पहले कर्मचारी शंकर तांती के हुए निधन पर भी शोक जताया और कहा कि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस से ठीक पहले ऐसे कर्मचारी को खोना दुखद है। कॉलेज इंस्पेक्टर डॉ. सरोज कुमार राय ने भी अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय अभियंता मो. हुसैन ने किया। विवि कर्मचारी संतोष कुमार और संजय झा सराहनीय सहयोग रहा।

बता दें कि लॉकडाउन और कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एसडीओ सदर से आग्रह किया था कि स्थापना दिवस को देखते हुए अधिकारी और कर्मचारी सहित पांच लोगों को प्रतीकात्मक रूप से स्थापना दिवस मनाने की अनुमति दी जाए। विश्वविद्यालय को एक दिन पहले ही इकी अनुमति मिल गई थी।

राष्ट्रकवि दिनकर ने डेढ़ वर्ष तक टीएमबीयू के कुलपति पद को किया था सुशोभित

शांति और क्रांति के कवि रहे रामधारी ङ्क्षसह दिनकर ने भी तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के पद को डेढ़ वर्षो तक सुशोभित किया था। वे विवि के छठे कुलपति हुए थे। यहां उनका कार्यकाल 10 जनवरी 1964 से तीन मई 1965 तक रही थी। एक कुशल प्रशासक होने के नाते वे विवि की दशा दिशा बदल देना चाहते थे। वे यहां गांधी विचार विभाग और नेहरू अध्ययन केंद्र स्थापित करना चाहते थे। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। बाद में डॉ. रामजी ङ्क्षसह ने गांधी विचार विभाग को स्थापित कर उनकी योजना को साकार किया था। अपने मनोनूकुल कार्य नहीं कर पाने के साथ-साथ अन्य कई कारणों ने उन्होंने कुलपति का पद छोड़ दिया था। वे भागलपुर गोलाघाट स्थित छावनी कोठी में रहते थे। वे नेक दिल इंसान और सच्चे देशभक्त थे। उन्‍होंने आजादी के बाद सत्ता चरित्र को भी उजागर करने में तनिक भी गुरेज नहीं किया था। विवि के हिंदी पीजी विभाग में स्थापित उनकी आदमकद प्रतिमा बरबस उनकी याद को तरोजाता करती है। 23 सितंबर 2001 में उनके प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन कुलाधिपति विनोद चंद्र पांडेय ने किया था।

चार मुख्यमंत्री और दो विधानसभा अध्यक्ष अध्यक्ष रह चुके हैं यहां के छात्र

तिलकामांझी भागलपुर विवि ने अपने स्थापना के 61 वर्षो में कई विद्वान शिक्षक, वैज्ञानिक और राजनेता दिए हैं। जिन्होंने अपने काम के बल पर विवि का वैश्विक स्तर पर मान बढ़ाया। जगन्नाथ मिश्र और भागवत झा जैसे सरीखे के मुख्यमंत्री तथा शिवचंद्र झा और सदानंद ङ्क्षसह जैसे विधानसभा अध्यक्ष भी यहीं के छात्र रहे हैं। मछली पर शोध करने वाले प्रो. दत्ता मुंशी और प्रो. कृष्ण सहाय बिलग्रामी जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के यहां शिक्षक भी रहे। विवि परिसर स्थित टिल्हा कोठी भी कवि रविंद्र नाथ टैगोर यहां आए थे, उनकी भी याद ताजा करता है।

43 वर्ष भागलपुर विवि रहने के बाद बना टीएमबीयू

यह विश्वविद्यालय अपने स्थापना के 43 वर्षो तक भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर के नाम से जाना जाता रहा। इसकी स्थापना 12 जुलाई 1960 को हुई थी। प्रथम कुलपति डॉ. ब्रहदेव प्रसाद जमुआर हुआ करते थे। 14 अक्टूबर 1993 को इसका नामांकरण शहीद तिलकामांझी के नाम पर कर दिया गया। पूर्व से इस विवि के पास अपना न तो कुल ध्वज था और न कुलगीत। जब डॉ. रामाश्रय यादव यहां के कुलपति बने तब जाकर उनके अथक प्रयास से विवि को अपना कुल ध्वज और कुलगीत मिल पाया। आज भी यह विवि अपने गौरवशाली अतीत पर इतराता है।


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