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TMBU: 25 साल बाद शुरू होगी कॉलेजों में नियमित प्राचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया

TMBU इस विवि में 1996 के बाद कॉलेजों के लिए नहीं हुई है नियमित प्राचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया। बीएसयूएससी के अधीन होगी चयन प्रक्रिया। अब इसकी प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसकी तैयारी की जा रही है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 11:53 AM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 11:53 AM (IST)
तिमांविवि में शीघ्र प्राचार्य की नियुक्ति होगी।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) समेत सूबे के सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में नियमित प्राचार्यों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। 1996 के बाद कॉलेजों में नियमित प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन (बीएसयूएससी) द्वारा मई माह से प्राचार्यों की नियुक्ति की जाएगी। वहीं कर्मियों की नियुक्ति स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) से होगी। कुछ दिनों पूर्व राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया था।

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टीएमबीयू में अभी 12 अंगीभूत कॉलेज हैं, जिसमें टीएनबी कॉलेज में नियमित प्राचार्य के रूप में डॉ. संजय कुमार चौधरी हैं। बाकी कॉलेजों में वहां के वरीय शिक्षकों को ही प्राचार्य का प्रभार दिया गया है। 1996 में टीएमबीयू में एक दर्जन से ज्यादा प्राचार्य कमीशन से नियुक्त हुए थे। इनमें कई प्राचार्य सेवानिवृत हो गए। कई प्राचार्य मुंगेर विश्वविद्यालय बनने के बाद वहां के कॉलेजों में तैनात हैं। इसके बाद से ही प्राचार्यों के पद खाली हैं।

गंगा मुक्ति आंदोलन की बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा

कहलगांव के कागजी टोला गंगा मंदिर में गंगा मुक्ति आंदोलन एवं जल श्रमिक संघ की संयुक्त बैठक में किसान आंदोलन एवं तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. योगेंद्र के साथ घटित घटना पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता जल श्रमिक संघ के प्रदेश संयोजक योगेंद्र सहनी ने की। बैठक में किसान आंदोलन का समर्थन किया गया। डॉ. योगेंद्र गंगा मुक्ति आंदोलन एवं जल श्रमिक संघ के आंदोलन से जुड़े रहे हैं।  विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार में शामिल लोगों द्वारा झूठे मुकदमे में फंसाने, परेशान करने पर क्षोभ और रोष प्रकट करते हुए डॉ योगेंद्र के समर्थन में आवाज बुलंद करने का निर्णय लिया गया। शिक्षकों के साथ मारपीट एवं बदसलूकी करने वाले छात्रों के ऊपर कार्यवाही करने की मांग की गई। बैठक में उदय जी, अर्जुन सहनी, सुनील सहनी आदि ने अपने विचार रखे। सभी ने गंगा के संरक्षण और प्रदूषण मुक्ति का संकल्‍प लिया।


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