ठंड रात की पार्टियों से राजनीतिक गर्माहट
यूं तो भागलपुर सीट परंपरागत तौर पर भाजपा की सीट रही है, पर इस दफे आंकड़े-इतिहास-वर्तमान सभी जदयू के लोगों को भी अपने लिए उम्मीद पैदा किए हैं।
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। बात लॉनों-होटलों में होने वाली 'पार्टियों' से शुरू करता हूं। इनका गहरा जुड़ाव राजनीतिक 'पार्टियों' से ही है। शनिवार शाम शहर में हुई तीन पार्टियां खास थीं। एक थी डिप्टी मेयर राजेश वर्मा की नववर्ष पार्टी। नाम दिया था मिलन समारोह। यह शहर के दक्षिणी किनारे में बसे मिरजान स्थित जेएस गार्डेन में था। दूसरा और तीसरा आयोजन था भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय एवं लोजपा जिलाध्यक्ष अमर कुशवाहा के जन्मदिन का। इनकी पार्टियां अलग-अलग होटलों में थीं।
एक ही दिन हुए इन तीन पार्टियों के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों के नजरिए से देखें तो 'भोज-पार्टियों' की केंद्र में रहे तीनों नेता में से दो तो भाजपा और लोजपा के जिलाध्यक्ष ही हैं। जबकि डिप्टी मेयर राजेश वर्मा कुछ महीने पूर्व बड़े तामझाम से भाजपा में शामिल हुए थे। सो स्वभाविक था कि 'भोज-पार्टियों' में शिरकत करने वाले राजग के स्थानीय नेताओं में अधिकतर चेहरे वही थे जो पार्टी कार्यक्रमों से लेकर सोशल साइट्स पर चमकते दिखते हैं। पर बात इतनी ही नहीं है।
पहले बात करते हैं डिप्टी मेयर राजेश वर्मा की पार्टी की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मित्र उदयकांत मिश्रा के जेएस गार्डेन के तालाब से उठती ठंडी हवाओं के बीच यहां जदयू के कई बड़े नेताओं की मौजूदगी राजनीतिक कयासों के बाजार में गर्माहट लाने वाली रही।
यहां पूर्व मंत्री और कांग्रेस से जदयू में आए अशोक चौधरी विधान पार्षद तनवीर आलम विशेष रूप से पटना से इसी कार्यक्रम के लिए आए थे। राज्यसभा सदस्य कहकशां परवीन भी मौजूद थीं। जदयू के और भी कई बड़े लोग यहां मौजूद थे। तो सवाल यह कि क्या राजेश के मन में कोई नई खिचड़ी पक रही है?
अब बात भाजपा और लोजपा के जिलाध्यक्षों की जन्मदिन पार्टी की।
भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय की अंदरूनी आकांक्षाएं कितनी बड़ी है यह तो वे ही जानें पर अब तक की उनके कार्यकलापों को देखकर कह सकते हैं कि वे पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता हैं और पार्टी का निर्देश उनके लिए सर्वोपरि है।
जबकि लोजपा जिलाध्यक्ष 2014 के चुनाव में शाहनवाज हुसैन के बड़े लड़ैया के रूप में खड़े थे। तो क्या इन दोनों जन्मदिन पार्टियां नवोदित राजेश वर्मा की नववर्ष पार्टी को टक्कर देने की कवायद थी।
यहां हम हम आपको दो दिन और पीछे लेकर चलते हैं। गुरुवार को शाहनवाज हुसैन भागलपुर में थे। केंद्र सरकार की ओर से भागलपुर को करीब तीन हजार करोड़ रुपये मिलने की खुशियां कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अपने आवास पर बांटी। यहां पूरा एनडीए एकजुट दिखा। भाजपा, लोजपा और जदयू के जिलाध्यक्ष उनके साथ मंचासीन थे। एक तरह से यह अगले लोकसभा चुनाव में उनकी उम्मीदवारी की मुनादी थी, पर उन्होंने अपनी दावेदारी पर सीधे कुछ नहीं कहा। बल्कि जो कहा वही राजनीतिक संभावनाओं पर चर्चा का मौका दे गया। उनके शब्द थे- पिछले चुनाव में यहां से हमारा प्रतिनिधि संसद नहीं जा सका था, लेकिन इस बार तीर हमारे साथ है। इस बार एनडीए का उम्मीदवार पक्का जीत दर्ज करेगा।
संभावनाओं का नया आकाश
यूं तो भागलपुर सीट परंपरागत तौर पर भाजपा की सीट रही है, पर इस दफे आंकड़े-इतिहास-वर्तमान सभी जदयू के लोगों को भी अपने लिए उम्मीद पैदा किए हैं। जाहिर है कि वर्तमान में सूबे में भाजपा के 22 सांसद हैं। और सीटों के तालमेल के मुताबिक उसके पास 17 सीटें ही मिलनी है। यानी पार्टी को पांच सांसदों का टिकट हर हाल में काटना है या कहीं एडजेस्ट कराना है। 2014 में पार्टी भागलपुर सीट हार चुकी है। ऐसे में अगर यह सीट पार्टी अपने पास रखती है तो एक और सांसद का टिकट काटना होगा।
दूसरे चौबे-दुबे-शाहनवाज खेमे की आपसी गुटबाजी इस कदर है कि प्रदेश और देश स्तर के नेता भी यहां आने से परहेज करते हैं। ऐसे में जदयू के नेताओं में उम्मीद जगना स्वभाविक है। तो सवाल यह कि राजनीतिक संभावनाओं के खुले आकाश में राजेश वर्मा ऊंची कूद की तैयारी करने को कहा गया है। जाहिर है कि जब से प्रशांत किशोर जदयू में आए हैं वे विशेष रूप से युवाओं को पार्टी से जोड़ रहे हैं। राजेश वर्मा उनके काफी करीब भी बताए जाते हैं और मौका मिलने पर शायद ही वे राजनीति के इस मैदान में चौका लगाने से चूकें।