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100 साल से चल रहा बिहार का ये रेड लाइट एरिया, थियेटर से शुरू हुआ था गंदा काम

बिहार का इस रेड लाइट एरिया का इतिहास सौ साल पुराना है। यहां पर पहले भव्‍य मेले का आयोजन होता था। मेले में आने वाले थियेटर के माध्‍यम से गंदा काम का खेल शुरू हुआ था। इसके बाद यह धीरे-घीरे...!

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 04:28 PM (IST)
100 साल से चल रहा बिहार का ये रेड लाइट एरिया, थियेटर से शुरू हुआ था गंदा काम
बिहार का इस रेड लाइट एरिया का इतिहास सौ साल पुराना है।

पूर्णिया [प्रकाश वत्स]। पूर्णिया शहर में देह मंडियों के आबाद होने की कहानी काफी लंबी है। समाज के लिए अभिशाप व पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुकी इन देह मंडियों की नींव यहां एक-दो नहीं तकरीबन सौ साल पूर्व ही पड़ी थी। बाद में लगातार प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भी इन मंडियों के विस्तार पर अंकुश नहीं लग पाया और अब यह नाबालिग बच्चियों की ट्रैफकिंग व प्रताडऩा का भी बड़ा केंद्र बन चुका है। अस्तित्वहीन हो चुके गुलाबबाग मेले के थियेटर से ही यहां देह मंडियों को राह मिली थी और बाद में गल्ला मंडी सहित अन्य कारणों से यह लगातार गुलजार होता चला गया।

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मेले में आती थी बंगाल की नर्तकियां, बाद में यहां बनता गया बसेरा

जानकारों के अनुसार सन 1930-31 में राजा पीसी लाल द्वारा गुलाबबाग मेले की शुरुआत की गई थी। सलाना लगने वाले इस मेले में बाद में थियेटर आदि भी आता था। इन थियेटर में पश्चिम बंगाल के कोलकाता से नर्तकियों की टीम पहुंचती थी। लगभग एक माह तक चलने वाले इस मेले में थियेटर संचालक के साथ नर्तकियों को भी भरपूर आमदनी होती थी। बाद में इस इलाके में होने वाले अन्य पारिवारिक व अन्य समारोहों में भी उन नर्तकियों को बुलाबा मिलने लगा।

कालांतर में कुछ नर्तकियों ने गुलाबबाग में ही अपना बसेरा बना लिया। समय के साथ मेले की रौनक फीकी पडऩे लगी और नर्तकियों की पूछ भी घटती चली गई। यहीं से देह व्यापार का सिलसिला भी शुरु हो गया। बाद में गुलाबबाग के साथ कटिहार मोड़ व फिर रानीपतरा तक इसका विस्तार होता चला गया।

उत्तर बिहार की सबसे बड़ी गल्ला मंडी बन गया वरदान

पूर्णिया में देह मंडियों के विस्तार में उत्तर बिहार की सबसे बड़ी गल्ला मंडी गुलाबबाग वरदान साबित हुआ। नित्य मंडियों में पहुंचने वाले हजारों ट्रकों व अन्य वाहनों के साथ व्यापारी सहित अन्य लोगों के जमावड़े के कारण देह मंडी को लगातार विस्तार मिलता गया। पहले गुलाबबाग फिर कटिहार मोड़ और अब रानीपतरा में यह मंडी आबाद है। आज यह कई तरह के अपराध का भी बड़ा कारक बन चुका है।

नाबालिग बच्चियों की ट्रैफिकिंग का बना बड़ा केंद्र

कुछ खास परिवार द्वारा शुरु किए गए इस पेशे में फिलहाल एक बड़ा रैकेट सक्रिय हो गया है। साथ ही देह मंडियां नाबालिग बच्चियों की ट्रैफिकिंग का भी एक बड़ा केंद्र हो गया है। दरअसल यहां के देह मंडियों के संचालन कर्ता प्रेम अथवा छद्म विवाह में फांसी गई इस इलाके की बच्चियों को दूसरे नगरों व महानगरों की देह मंडियों में भेज देते हैं और इस एवज में उधर से नाबालिग व बालिग लड़कियों को यहां ले लाते हैं। बीच बीच में पुलिस द्वारा इन मंडियों में छापेमारी भी की जाती है, लेकिन शातिराना अंदाज में खेले जाने वाले इस खेल में रैकेट में शामिल सदस्यों के सेहत पर विशेष असर नहीं पड़ता है।


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