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मुंगेर में एक विद्यालय ऐसा भी, जहां एक ही कक्ष में होती है कई सिलेबस की पढ़ाई, फर्श पर बैठकर भविष्य बना रहे नौनिहाल

राजकीयकृत मध्य विद्यालय औड़ाबगीचा धरहरा मुंगेर बेंच-डेस्क नहीं रहने के कारण फर्श पर बैठकर भविष्य बना रहे नौनिहाल। हाल धरहरा प्रखंड के राजकीयकृत मध्य विद्यालय औड़ाबगीचा का। सात कमरे हैं विद्यालय में। पांच कमरों में होती है पढ़ाई। एक से आठवीं तक बच्चे हैं नामांकित।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:57 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:57 PM (IST)
मुंगेर में एक विद्यालय ऐसा भी, जहां एक ही कक्ष में होती है कई सिलेबस की पढ़ाई, फर्श पर बैठकर भविष्य बना रहे नौनिहाल
राजकीयकृत मध्य विद्यालय औड़ाबगीचा धरहरा मुंगेर का भवन।

संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर)। बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकार की ओर से सर्वशिक्षा अभियान सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, पर इसका फलाफल धरातल पर दिख नहीं रहा है। अब भी स्कूलों में संसाधनों और शिक्षकों का अभाव है, जिससे विद्यार्थियों को शिक्षा हासिल करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दैनिक जागरण की टीम सोमवार को धरहरा प्रखंड के राजकीयकृत मध्य विद्यालय औड़ाबगीचा पहुंची। विद्यालय के एक कमरे में दो वर्ग के बच्चे एक साथ बैठे हैं। कक्षा पांच व छह के विद्यार्थी एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों वर्ग का पाठ्यक्रम अलग है। बच्चों से उनके सिलबेस संबंधित सवाल पूछे गए, जैसे मुख्यमंत्री का नाम। मुख्यमंत्री का नाम तो बच्चों ने झट से बता दिया, राज्यपाल के नाम याद नहीं था, शिक्षक ने फिर बच्चों को इसकी जानकारी दी। महिला शिक्षक बच्चों को पढ़ा रही थी, पूछने पर मालूम चला कि एक शिक्षक नहीं आए हैं, ऐसे में दोनों वर्ग के बच्चों को एक ही कमरे में बिठाया गया है।

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भवन दुरुस्त वर्ग में कमी

भले ही सरकारी विद्यालय की चमक बाहर से दिखे, लेकिन अंदर जाने पर हकीकत दिखने लगती है। बेंच डेस्क की कमी के कारण बच्चे फर्श पर बिना दरी बिछाए भविष्य बना रहे हैं। विद्यालय के कई कमरों का फर्श भी टूटी पड़ी है। राजकीयकृत मध्य विद्यालय औड़ाबगीचा में शौचालय के हर तरफ गंदगी फैली हुई है, स्थिति बद से बदतर है। बच्चे तो क्या कोई शिक्षक भी शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते। इस विद्यालय के पोषक क्षेत्र में रहने वाले बच्चे अच्छे घरों से आते हैं। स्वच्छता क्या होता है इससे शिक्षक से लेकर विद्यालय प्रबंधन भी पूरी तरह अनजान हैं।

बच्चों ने दिए फटाफट जवाब

टीम कक्षा संचालन और संसाधनों से रूबरू होने के बाद बच्चों के पास पहुंची। कक्षा आठ में पढ़ रहे बच्चों से टीम ने कुछ सवाल पूछा। सभी सवालों का जवाब बच्चों ने फटाफट दे दिया। सामान्य ज्ञान के प्रश्नों का तुरंत जवाब दिया, सवालों का जवाब मिलने से एक बात तो साफ है कि बच्चों में पढऩे की ललक है, जरूरत है तो शिक्षकों की संख्या बढ़ाने का।

संख्या के अनुपात में नहीं है गुरुजी

विद्यालय के वर्ग एक में 24, दो में 39, तीन में 31, चार में 17, पांच में 25, छह में 42, सात में 34, आठ में 42 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। इन विद्यालय में कुल सात कमरे हैं। एक स्टोर रूम, एक कार्यालय व बच्चों के पढऩे के लिए पांच कमरे है। विद्यालय में पठन-पाठन करने के लिए प्रधानाध्यापक सहित कुल सात शिक्षक ही पदस्थापित हैं, जिनमें एक शिक्षक को प्रतिनियोजित किया गया है एक अवकाश पर हैं। विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि शिक्षक की कमी रहने के कारण परिणामस्वरूप इन कक्षाओं का संचालन एक साथ लेना पड़ रहा है।

शिक्षक की संख्या कम होने से सभी विषयों की पढ़ाई नहीं रही है। शौचालय में गंदगी है, जल्द ही सफाई होगी। बच्चों को बैठने के लिए बेंच डेस्क की कमी है। इसके लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। -कुमारी मीरा सिन्हा, प्रधानाध्यापक।


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