भागलपुर रेलवे जंक्शन : रात में नहीं दिखी सुरक्षा, कुछ भी लेकर कर सकते हैं प्रवेश
रेलवे जंक्शन के प्रवेश और निकास द्वार पर डोर मेटल डिटेक्टर नहीं है। इस कारण नहीं पता चलता कि यात्री के थैले में क्या है। जब कुछ घटना होती है तो पुलिस चौकस हो जाती है।
भागलपुर [जेएनएन]। आतंकियों और नक्सलियों के निशाने पर रहने वाला भागलपुर जंक्शन की सुरक्षा में कमी आई है। चुनाव में जवानों के लगने के कारण स्टेशन पर गश्ती पहले की तरह नहीं हो रही है। रात में स्टेशन पर प्रवेश करने वाले यात्रियों और उनके सामानों की चेकिंग तक नहीं हो पा रही है। ऐसे में कोई भी आपत्तिजनक सामान लेकर आसानी से स्टेशन पर प्रवेश कर सकता है। सोमवार की रात जागरण की टीम स्टेशन की सुरक्षा देखने पहुंची। करीब एक घंटे तक प्रवेश द्वार और प्लेटफॉर्म संख्या एक पर न जीआरपी के जवान नजर आए और न आरपीएफ के। घड़ी का कांटा 12.40 पार कर गया था। प्लेटफार्म संख्या एक पर यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। वहीं, कुछ प्लेटफॉर्म पर प्रवेश कर रहे थे। इस दरम्यान इन्हें टोकने वाला भी कोई नहीं था। करीब एक घंटे तक स्टेशन पर रहने के बाद टीम स्टेशन से निकली।
11.55 बजे खुली थी फरक्का एक्सप्रेस
समय 12.45 बजे। प्लेटफॉर्म संख्या एक पर यात्रियों की भीड़ कम थी। एक यात्री से पूछने पर मालूम चला कि 11.55 बजे दिल्ली जाने वाली फरक्का एक्सप्रेस एक नंबर से खुली है। इस कारण भीड़ कम है। यात्री पटना-मालदा एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे थे। यात्रियों ने बताया कि वे लोग आधे घंटे से बैठे हैं कहीं पुलिस नहीं दिखी।
छह नंबर पर हथियार के साथ दिखे जवान
रात 1 बजे। प्लेटफार्म संख्या छह पर रेल पुलिस के जवान हथियार के साथ गश्ती करते दिखे। बांका पैसेंजर और दूसरे प्लेटफॉर्म पर कवि गुरु एक्सप्रेस लगी हुई थी। पश्चिम और पूर्वी पैनल के पास भी जवान दिखे। आरपीएफ पोस्ट के बाहर आरपीएफ के जवान चौकस थे। जीआरपी थाना के बाहर भी जवान रात्रि गश्ती में थे।
कंट्रोल रूम से होती है सुरक्षा की मानीटरिंग
भागलपुर जंक्शन पर सुरक्षा को लेकर दो दर्जन के करीब हाई क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। आरपीएफ के जवान 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में यहां से स्टेशन की मानीटङ्क्षरग करते हैं। सोमवार की रात भी कंट्रोल कक्ष में जवान मानीटङ्क्षरग कर रहे थे।
नहीं है डोर मेटल डिटेक्टर
स्टेशन के प्रवेश और निकास द्वार पर डोर मेटल डिटेक्टर नहीं है। इस कारण नहीं पता चलता कि यात्री के थैले में क्या है। जब कुछ घटना होती है तो पुलिस चौकस हो जाती है। मेटल डिटेक्टर दो साल से खराब है। पर इसे अभी तक ठीक नहीं किया गया है।
जीआरपी थानाध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि स्टेशन की सुरक्षा में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही है। चुनाव के कारण जवान कम हुए हैं। इसके बाद भी पदाधिकारी के साथ जवान पूर्वी केबिन, पश्चिम केबिन, सरकुलेटिंग एरिया और सभी प्लेटफॉर्म पर गश्त होता है। सीसीटीवी से इसकी निगरानी होती है। महिला और पुरुष जवान चौकस हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप