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नगर निगम : गृहस्वामी को पता भी नहीं, एजेंसी ने चार भागों में बांट दिया मकान Bhagalpur News

गृहस्वामी को पता भी नहीं और उनके मकान का बंटवारा हो गया। दो-दो चार-चार हिस्सों में। जब जांच होने लगी तो यह मामला सामने आया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 10:07 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 10:07 AM (IST)
नगर निगम : गृहस्वामी को पता भी नहीं, एजेंसी ने चार भागों में बांट दिया मकान Bhagalpur News
नगर निगम : गृहस्वामी को पता भी नहीं, एजेंसी ने चार भागों में बांट दिया मकान Bhagalpur News

भागलपुर [जितेंद्र कुमार]। गृहस्वामी को पता भी नहीं और उनके मकान का बंटवारा हो गया। दो-दो, चार-चार हिस्सों में। जब जांच होने लगी तो यह मामला सामने आया है।

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नगर निगम क्षेत्र में होल्डिंग सर्वे के लिए हैदराबाद की आरएसआई कंपनी को जवाबदेही दी गई थी। यह कवायद ऑनलाइन टैक्स भुगतान की सुविधा के लिए की गई। कंपनी ने सर्वे में 81 हजार मकानों की रिपोर्ट दे दी, जबकि निगम के दस्तावेज में 73 हजार ही दर्ज हैं। सूची में कई गृहस्वामी का नाम गायब है तो कई मोहल्ले भी छोड़ दिए गए हैं। अधिसंख्य वार्ड की रिपोर्ट में गड़बड़ी मिली है।

इतना ही नहीं, मुख्य सड़क को अन्य सड़क तो प्रधान सड़क को मुख्य सड़क दर्शा दिया गाय है। नक्शे में भी शहर के कई क्षेत्र को छोड़ दिया गया है। अपार्टमेंट के फ्लैट भी इसमें शामिल नहीं हैं। सर्वे की टीम यहां तक पहुंची ही नहीं। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अब तहसीलदारों को परेशानी हो रही है। इसी रिपोर्ट के आधार पर मार्र्गों का वर्गीकरण और टैक्स का निर्धारण होना है।

निगम के दस्तावेज में वार्ड 22 की रामा कुमारी सिन्हा की होल्डिंग 1080 वर्गफीट है, लेकिन सर्वे में इसे 768 वर्गफीट कर दिया गया। मिथलेश्वरी की निगम के दस्तावेज में सिर्फ एक होल्डिंग है, जबकि सर्वे में इसे चार भागों में बांट दिया गया है। भवन परिसर 2883 वर्गफीट में है। इस होल्डिंग को 2800-2800 वर्गफीट क्षेत्रफल में चार भागों में बांट दिया गया है। एजेंसी ने मुख्य सड़क को अन्य सड़क में रख दिया है। इससे निगम को राजस्व का नुकसान होगा।

सर्वे सूची में मोहल्ले को शामिल नहीं करने से गृहस्वामी की परेशानी बढ़ेगी। वार्ड 22 के विवेकानंद पथ में 40 होल्डिंग को छोड़ दिया गया है। इसमें एजेंसी ने होल्डिंग प्लेट तक नहीं लगाया, जबकि यहां के लोग नगर निगम को होल्डिंग टैक्स देते हैं। यही कारण है कि निगम के दस्तावेज में होल्डिंग की संख्या 1644 है, जबकि एजेंसी की सूची में 1460 ही दर्शाई गई है।

वार्ड 29 की गलियों को भी मुख्य सड़क की श्रेणी में शामिल कर दिया है। यहां एजेंसी ने अधिसंख्य मकानों में होल्डिंग प्लेट नंबर ही नहीं लगाया है। सूची में गृहस्वामी का नाम तक अंकित नहीं है। इससे होल्डिंग की पहचान करने में तहसीलदार को परेशानी हो रही है।

वार्ड चार में निगम के होल्डिंग रजिस्टर में 950 की संख्या दर्ज है, लेकिन सर्वे में 1700 अंकित कर दिया गया है। अब अन्य गृहस्वामियों को खोज पाना मुश्किल हो रहा है। वहीं वार्ड 37 के आरबीएसएस मार्ग को गलियों की श्रेणी में डाल दिया गया है, जबकि यह प्रधान सड़क में शामिल है।

यह है निर्धारित होल्डिंग टैक्स

शहर की प्रधान सड़क के लिए 22 रुपये, मुख्य सड़क के लिए 15 रुपये और अन्य सड़क के किनारे बने भवनों से आठ रुपये प्रति वर्गफीट वार्षिक होल्डिंग टैक्स लिया जाता है। निगम भवन के कुल वर्गफीट का नौ फीसद होल्डिंग टैक्स वसूलता है।

प्रफुल्ल चंद्र यादव (उप नगर आयुक्त) ने कहा कि एजेंसी के सर्वे में खामियां मिली हैं। इसे दूर करने के लिए तहसीलदार से जांच कराई जा रही है। स्वयं और निगम अधिकारी से भी होल्डिंग सूची की जांच कराई जाएगी। इसके बाद विभाग के स्तर से भी सूची का मूल्यांकन होना है।

श्रीकांत (समन्वयक, होल्डिंग सर्वे एजेंसी) ने कहा कि सर्वे वर्ष 2014 में शुरू हुआ और 2017 तक समाप्त हो गया था। 2017 से 2019 में जो अपडेट हुआ है, उन आंकड़ों में नए सिरे से सुधार करना होगा।

आंकड़े एक नजर में 

-04 जोन में बंटा है शहर

-234 सेक्टर हैं शहर में

-81 हजार होल्डिंग संख्या सर्वे के बाद

-73 हजार दर्ज है नगर निगम में

-नगर निगम के रिकॉर्ड से मिलान करने में तहसीलदारों का छूट रहा पसीना

-कंपनी को दी गई थी होल्डिंग सर्वे की जिम्मेवारी, सूची में भारी गड़बड़ी


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