खुलेगी विकास की राह, जानें... सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण को लेकर क्या कहा Bhagalpur news
सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश से अब इन योजनाएं के जल्द पूरे होने के आसार जगे हैं। कुछ तो ऐसी योजनाएं हैं जो एक दशक बाद भी पूरी नहीं हो सकीं और योजना का लागत खर्च अधिक हो गया।
भागलपुर [संजय सिंह]। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के इलाके में भूमि अधिग्रहण के पेच के कारण सड़क निर्माण की कई महत्वपूर्ण योजनाएं अधर में अटकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश से अब इन योजनाएं के जल्द पूरे होने के आसार जगे हैं। कुछ तो ऐसी योजनाएं हैं जो एक दशक बाद भी पूरी नहीं हो सकीं और योजना का लागत खर्च अधिक हो गया।
मुंगेर को खगडिय़ा से जोडऩे वाले पहुंच पथ का शिलान्यास 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। गंगा नदी पर रेल और सड़क पुल का निर्माण होना था। दोनों पुल तैयार हो गए। रेल पुल से ट्रेनों की आवाजाही भी जारी है, लेकिन सड़क पुल से पहुंच पथ को अब तक नहीं जोड़ा जा सका है। परिणामस्वरूप सड़क मार्ग का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं अधिकारियों को यह निर्देश दे रखा है कि जल्द से जल्द भूमि अधिग्रहण की समस्या को सुलझाकर इस काम को पूरा किया जाए। मुंगेर और भागलपुर को जोडऩे वाले घोरघट पुल का मामला भी 2011 से अधर में लटका है। यहां भी भूमि अधिग्रहण का पेच है। कजरा थर्मल पावर के लिए भूमि का अधिग्रहण कर दिया गया, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। कोसी अंचल की भी स्थिति कमोवेश ऐसी ही है।
मधेपुरा के उदाकिशुनगंज से बिहपुर तक एनएच 106 का निर्माण होना है। यहां भी लगभग छह किलोमीटर के क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण का मामला लटका हुआ है। खगडिय़ा के अगुवानी में 2021 तक सड़क निर्माण का दावा किया जा रहा है। यहां अधिकारियों का दावा है कि भूमि अधिग्रहण का मामला सुलझा लिया गया है और काम में तेजी भी आई है। सबसे विचित्र स्थिति कटिहार की है। प्राणपुर प्रखंड में एएनच 81 है। यहां यदि 500 मीटर का सड़क निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाता तो बिहार और बंगाल को आसानी से जोड़ा जा सकता था। भूमि अधिग्रहण की समस्या को लेकर यह काम अधर में लटका है। सुप्रीम कोर्ट के नये आदेश के बाद भूमि अधिग्रहण की समस्याओं का कुछ हल निकलने की उम्मीद जगी है और इसके बाद विकास योजनाओं की रफ्तार बढ़ेगी।