गोपाष्टमी : 22 नवंबर को गोशाला में होगा भव्य आयोजन, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ा है यह दिन
गोपाष्टमी श्रीगोशाला समिति ने गोपाष्टमी पर विशेष आयोजन करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह समारोह 22 नवंबर को होगा। कोरोना काल में आयोजित होने वाले इस धार्मिक कार्यक्रम के संचालन में शारीरिक दूरी का पालन किया जाएगा।
भागलपुर, जेएनएन। गोपाष्टमी : गो पूजा को समिर्पत गोपाष्टमी 22 नवंबर को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाएगा। मेला हर वर्ष की भांति इस बार भी श्रद्धा भक्ति पूर्वक आयोजित किया जाएगा। इस दिन गाय बछड़े एवं भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इससे मनोकामना पूर्ण होती है। श्रीगोशाला समिति की ओर से संवाददाता सम्मेलन किया गया। महामंत्री गिरधारी केजरीवाल ने कहा गोपाष्टमी उत्सव गायों के संरक्षण से जुड़ा है। भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक इंद्र के प्रकोप से गो, गोप और गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर धारण किए रहे। अष्टमी के दिन इंद्र ने अपनी पराजय स्वीकार कर ली उनका अहंकार टूट गया और वह श्री कृष्ण की शरण में आ गए। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन कामधेनु ने भगवान श्री कृष्ण का अभिषेक किया। उस दिन के बाद से गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। कार्यसमिति सदस्य रामगोपाल पोद्दार ने बताया गोपाष्टमी के दिन गायों को विशेष स्नान कराया जाएगा इसके बाद पुष्प, अक्षत, गंध आदि से विधिपूर्वक पूजा हवन की जाएगी। गायों को हरा घास देकर उनकी परिक्रमा की जाएगी। अतुल ढांढनिया ने कहा गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा का भी विधान है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। गाय का दूध अमृत के समान होता है, वही उसका गोबर और मूत्र भी बहु उपयोगी है। श्रद्धालु गोबर और मूत्र जो लेना चाहे उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। मंत्री रोहित बाजोरिया ने बताया गोशाला परिसर में सुबह 8 बजे गो पूजन, 11 बजे हवन का आयोजन होगा।
गो संवर्धन संगोष्ठी का होगा आयोजन
संध्या 4 बजे गो संवर्धन संगोष्ठी होगी जिसमें बीएयू के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह और पशुपालन पदाधिकारी प्रवीण कुमार पाठक मुख्य अतिथि होंगे। भगवान श्री कृष्ण तथा गौ से संबंधित झांकी एवं भगवान शिव का पारंपरिक श्रृंगार होगा। सुनील जैन मंत्री ने कहा इस बार गोपाष्टमी मेला में कोरोना के लेकर सरकारी गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। सैनिटाइजर तथा सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बार-बार अनुरोध किया जाएगा। झूले, चाट पकौड़ी की दुकानें नहीं लगेगी। मेले को सादगी से मनाया जाएगा। आयोजन को सफल बनाने के लिए लक्ष्मी नारायण डोकानिया, शिव कुमार केडिया, नीरज कोटरीवाल आदि गोशाला समिति के पदाधिकारी व सदस्य लगे हुए हैं।