ऱ्ंगकर्मियों को नववर्ष पर डिप्टी सीएम से बंधी है नई उम्मीदे, रंगमंच की वीरानगी होगी दूर खिलेंगे कलाकरों के चेहरे
कोरोना के संकटकाल की वजह से बीते वर्ष जिले के कला संस्कृति में वीरानगी छाई रही। लेकिन अब नववर्ष पर यहां के कलाकारों को अपने डिप्टी सीएम से बहुत कुछ भरोसा है। कला भवन का निर्माण जो चिर प्रतीक्षित है व पूरा होगा। कलाकारों के चेहरे खिलेंगे।
कटिहार, [रमण कुमार झा] । वर्ष 2020 की विदाई हो चुकी है। कोरोना के चलते वर्ष 2020 हर क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया। कला, संस्कृति व साहित्य का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा। रंगकर्मियों व कलाकारों के लिए भी वर्ष 2020 हर मायने में निराशाजनक रहा। सरकार के स्तर से भी इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई। बहरहाल वर्ष 2020 विदा हो चुका है और नए वर्ष के आगमन से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों में भी नई उम्मीद जगी है। खासकर सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद के डिप्टी सीएम बनने से रंगकर्मियों में नई उम्मीदें बंधी है। जिले में कलाभवन निर्माण की चिर प्रतीक्षित मांग को भी किनारा मिलने की आशा बढ़ी है। प्रोत्साहन के अभाव में इस क्षेत्र से जुड़ी प्रतिभाओं के आगे मौजूद बाधा दूर होने की अपेक्षाएं भी की जा रही है। कला, संस्कृति व साहित्य के लिहाज कभी समृद्ध रहा यह जिला अपने सुंदर अतीत को दोहराने को आतुर है और वर्ष 2021 में इन तमाम अपेक्षाओं के पूरा होने का विश्वास रंगकर्मियों को भी है
क्या कहते है रंगकर्मी
कटिहार जिला सदा से सांस्कृतिक रुप से समृद्ध रहा है। यहां एक से बढ़कर एक कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, वादक व नाट््य कलाकार हुआ करते थे। सरकार की उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे यह पहचान धूमिल होती गई। वर्तमान में इस जिले में गिने चुने कलाकार रह गए हैं। ना तो यहां नाट््य कला के लिए एक मंच और ना ही कलाकार को किसी प्रकार की सुविधा मिल पा रही है। ऐसे में युवा के साथ साथ पुराने कलाकार भी कला से विम़ुख हो रहे है। वर्ष 2021 में इस क्षेत्र के लिए बेहतर होने की उम्मीद है। खासकर डिप्टी सीएम से कलाकारों की काफी अपेक्षाएं जुड़ी हुई है।
आलोक कुमार, वरिष्ठ रंगकर्मी।
रंगकर्मियों को एक नहीं अनेक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। उनकी इस परेशानी की सुध किसी भी स्तर से नहीं ली जा रही है। ऐसे में वे कलाकार जो की पूर्ण रूप से इसी पर निर्भर है, उनके लिए एक एक दिन काटना भारी पड़ता है। सरकार के स्तर से एक बार भी इस पर चर्चा तक नहीं की जाती है। निश्चित रुप से सरकार रंगकर्म व रंगकर्मी को लेकर कोई सोच नहीं रखती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इस वर्ष यही उम्मीद है की सरकार की नजर इस क्षेत्र पर इनायत होगी।
रजनीश शर्मा, रंगकर्मी।
कलाकारों के साथ किसी भी सरकार द्वारा किसी स्तर से न्याय नहीं किया गया है। आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक जिले में कलाभवन का निर्माण नहीं किया जा सका है। ऐसे में कलाकार को रियाज करने में भी परेशानी होती है। किसी तरह अगर नाटक तैयार भी कर लिया जाता है तो उसे मंचन के लिए मंच नही मिल पाता है। सरकार की उदासीनता से समाज की एक सुंदर धारा सूखने लगी है। उम्मीद करते हैं कि वर्ष 2021 में कुछ बेहतर होगा।
दीपक पाठक, रंगकर्मी।
रंगकर्मियों की आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक देश की उन्नति में अहम योगदान रहा है। इसके बावजूद केंद्र से लेकर राज्य सरकार द्वारा कलाकारों की सुध नहीं ली जाती है। ऐसे में कलाकारों का मन टूटता जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान छोटे रंगकर्मी को आर्थिक परेशानी से भी जूझना पड़ रहा है। बड़े कलाकार व अन्य साथी द्वारा कलाकारों की मदद की गई, लेकिन सरकार द्वारा कोई पहल नही की गई। इस वर्ष उम्मीद है की सरकार इस दिशा में उचित पहल करेगी।
प्रदीप कुमार भट्टाचार्य, रंगकर्मी।