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घर सजे मंजूषा से : मेडिकल की तैयारी छोड़, मंजूषा को बनाया जीवन

मंजूषा के लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने अनुकृति को वर्ष 2015-16 में श्रेष्ठ हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित भी किया। वह चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट का कोर्स कर रही हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 01:57 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 01:57 PM (IST)
घर सजे मंजूषा से : मेडिकल की तैयारी छोड़, मंजूषा को बनाया जीवन
घर सजे मंजूषा से : मेडिकल की तैयारी छोड़, मंजूषा को बनाया जीवन

भागलपुर, जेएनएन। मंजूषा कला के प्रचार-प्रसार में शाहकुंड की अनुकृति कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। इनके घरवालों की इच्छा थी कि बेटी डॉक्टर बने। इंटर परीक्षा पास करने के बाद मेडिकल की तैयारी भी की। इसी बीच मंजूषा कला से उनका परिचय हुआ और वह इस कला की होकर रह गईं।

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मंजूषा के लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने अनुकृति को वर्ष 2015-16 में श्रेष्ठ हस्तशिल्प पुरस्कार से सम्मानित भी किया। इन दिनों पटना सचिवालय के सभाकक्ष की दीवारों पर अनुकृति की बनाई पेंटिंग शोभा बढ़ा रही है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने के बाद वह चंडीगढ़ से बैचलर ऑफ फाइन आर्ट का कोर्स कर रही हैं।

कदम बढ़ाया तो बन गया रास्ता

वर्ष 2009 में नाबार्ड के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मंजूषा सीखने के बाद अनुकृति ने गांव की 35 युवतियों को इस कला से जोड़ा। यह आसान नहीं था, लेकिन कदम बढ़ते गए और रास्ता भी बनता गया। शुरू में अल्पसंख्यक समाज की युवतियों और महिलाओं ने बिहुला विषहरी लोक कथा के चित्रों को बनाने से इन्कार कर दिया था, लेकिन जब उन्हें इसका व्यवसायिक महत्व बताया गया तो वे तैयार हुईं। इसी का नतीजा है कि आज लूसी खातून जैसी कलाकार उभरकर सामने आईं।

जिले से बाहर निकलने के लिए करना पड़ा संघर्ष

अनुकृति को जिले से बाहर निकलने के लिए खूब संघर्ष करना पड़ा। घरवाले इस बात के लिए तैयार नहीं थे। बाद में प्रशिक्षकों के समझाने पर घर के लोग मान गए। शुरुआत में जब वह प्रदर्शनी लगाने बाहर जाती थी तो गांव और आसपास के लोग टीका-टिप्पणी करते थे, लेकिन जब उपलब्धि मिलने लगी तो वही लोग प्रशंसा करने लगे।

ट्रेड फेयर में मंजूषा कला का लाइव प्रदर्शन

कहलगांव, सुलतानगंज और नवगछिया सहित कई प्रखंडों की दीवारों पर अनुकृति ने मंजूषा कला की पेंटिंग की है। 2018 में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित ट्रेड फेयर और इस वर्ष गोवा में 28 से 30 जनवरी के बीच हुए ट्रेड फेयर में अनुकृति ने मंजूषा कला का लाइव प्रदर्शन किया। 2010 में शांति निकेतन में इंटरफेस कार्यक्रम में वह शिरकत कर चुकी हैं। पिछले साल दिसंबर में काठमांडू में आयोजित कला प्रदर्शनी में भी वह शामिल हुई थीं।


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