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कहां गुम हो गई चंपा : सौगात थी चंपा, शहर ने दिया दुर्भाग्य, 10 वर्षों में 10 लाख एमटी कूड़ा नदी किनारे गिरा चुका है निगम

चंपा पुल से लेकर दोगच्छी तक एनएच किनारे डेढ़ किमी तक रोज 250 एमटी कूड़ा गिराया जा रहा है। यह सिलसिला 10 वर्षों से चल रहा है। अब तक 10 लाख एमटी कूड़ा चंपा में गिराया जा चुका है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 03:13 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 03:13 PM (IST)
कहां गुम हो गई चंपा : सौगात थी चंपा, शहर ने दिया दुर्भाग्य, 10 वर्षों में 10 लाख एमटी कूड़ा नदी किनारे गिरा चुका है निगम

भागलपुर [जेएनएन]। अंग क्षेत्र की सभ्यता-संस्कृति के प्रतीक के रूप में सदियों से बह रही चंपा की धारा भागलपुर के लिए सौगात थी, पर शहर ने उसे दुर्भाग्य दिया। कोई नदी नाले में तब्दील हो जाए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। वक्त के साथ नदी का अस्तित्व मिटता चला गया। पिछले दस-पंद्रह वर्षों में स्थिति बद से बदतर होती चली गई। यही हालत रही तो जिस चंपा को नाला कहने लगे हैं, वह वाकई नाला ही बनकर रह जाएगी। पिछले दस वर्षों से नदी की पेटी को शहर भर के कूड़े से पाटा जा रहा है। इससे न सिर्फ यह विलीन हो रही है, बल्कि इसका जैव विविधता भी नष्ट होती चली जा रही है। एक नदी का जीवन मिट रहा है। भूगर्भ जल भी पाताल में जा रहा है।

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हर दिन गिराया जा रहा कूड़ा : चंपा पुल से लेकर दोगच्छी तक एनएच-80 किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर तक रोज 250 एमटी (मीट्रिक टन) कूड़ा गिराया जा रहा है। यह सिलसिला पिछले 10 वर्षों से चल रहा है। यानी अब तक 10 लाख एमटी कूड़ा चंपा में गिराया जा चुका है। नतीजतन नदी नाले में तब्दील हो गई है।

हवा भी हो रही दूषित : चंपा नदी के तटवर्ती क्षेत्र में कूड़ा गिराने से आसपास की हवा प्रदूषित हुई है। आए दिन शरारती लोग कूड़े की ढेर में आग लगा देते हैं। इससे अलग प्रदूषण हो रहा है। कूड़ा गिराने से नदी की चौड़ाई भी कम हो रही है। कई जगहों पर नदी का अतिक्रमण भी कर लिया गया है।

कई जगहों पर संकीर्ण हो गई नदी : चंपा नदी के किनारे चंपानगर ठाकुरबाड़ी, बंगाली टोला घाट, मुसहरी घाट, बूढ़ानाथ घाट, मानिक सरकार घाट आदि क्षेत्र में नदी संकीर्ण हो गई है। प्रवाह रुक जाने के कारण हाल में आई बाढ़ का पानी शहर में प्रवेश कर गया था। नाथनगर में हालत बेहद खराब है, जबकि यह वहां की जीवनरेखा है।

आस्था के साथ भी खिलवाड़ : कूड़ा गिराकर नगर निगम पर्यावरण को नुकसान तो पहुंचा ही रहा है, साथ ही लोगों की आस्था के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है। यह इसलिए कि स्थानीय लोग इसी नदी के तट पर धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं। बिहुला विषहरी की पूजा से भी यह नदी जुड़ी हुई है।

मिर्जापुर और पुरानी सराय के लोग हो चुके प्रभावित : नाथनगर में चंपा पुल से लेकर दोगच्छी के बीच के लोगों के जीवन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। यहां चापाकल से भी दूषित जल निकल रहा है। यह नदी को प्रदूषित करने के कारण हुआ है। स्थानीय सीताराम मंडल ने बताया कूड़े की वजह से चर्म रोग और दस्त, बुखार से लोग परेशान है। चापाकल का पानी दूषित हो चुका है। नदी तो प्रदूषित हुई ही है, कूड़े ही वजह से दो दर्जन विशालकाय पेड़ सूख गए हैं।

फसलें हो रहीं बांझ : हालत यह है कि फसलें बांझ हो रही हैं। दियारा क्षेत्रों में मकई की फसल में दाने नहीं आ रहे हैं। गंदे पानी के जीवाणु बीज के अंकुरण को बर्बाद करने के साथ फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। कूड़े में मौजूद रसायन कौवे, बगुले और अन्य जीवों की जान ले रहे हैं।

चंपा किनारे बसे लोगों की औसत आयु हुई कम

टीएमबीयू के रसायनशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र ने बताया कि चंपा में कूड़ा गिराए जाने से आसपास के लोगों की औसत आयु दो वर्ष तक कम चुकी है। न तो प्रशासन सचेत है और न ही जनता जागरूक हो रही है। कूड़े में मौजूद बैक्टीरिया हवा में मिलकर खाद्य पदार्थ और सांस नली के माध्यम से शरीर में जाते हैं। इससे लोगों की जान तक जा सकती है। कूड़े से मिथेन गैस निकलता है। इसमें आग लगाने से कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन डाईआक्साइड आदि गैसें निकलती हैं। यह शरीर के लिए हानिकारक हैं। सल्फर डाईआक्साइड से खांसी, कार्बन डाईआक्साइड से गला संबंधी बीमारी होती है। आस-पास के क्षेत्रों में पीलिया, डायरिया, ट्यूमर आदि बीमारियां पानी की वजह से ही फैल रही हैं। कूड़ा निस्तारण के प्रति निगम को सख्त कदम उठाना होगा। चंपा नदी को बचाना आवश्यक है, अन्यथा आम जनजीवन निकट भविष्य में काफी प्रभावित होगा।

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