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भागलपुर में हाइटेक बस स्टैंड का सपना नहीं हुआ पूरा, फाइलों तक ही सिमटती रही योजनाएं

भागलपुर में बेंगलुरु की तर्ज पर सौ करोड़ से टर्मिनल बनना था। बुडको ने भी यात्रियों की सुविधाओं को लेकर कार्ययोजना तैयार की थी। 2010-11 में बनी थी योजना। 06 बस टर्मिनल का होना था निर्माण। लेकिन अब तक स्थिति यथावत है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:50 PM (IST)
भागलपुर में हाइटेक बस स्टैंड का सपना नहीं हुआ पूरा, फाइलों तक ही सिमटती रही योजनाएं
भागलपुर का जर्जर बस स्टैंड। इसका होना का जीर्णोद्धार।

भागलपुर, जेएनएन। बिहार राज्य परिवहन निगम (राज्य ट्रांसपोर्ट) का बस स्टैंड हाइटेक नहीं बन सका। इसके लिए योजनाएं बनीं, लेकिन यह फाइलों से आगे नहीं बढ़ सका। सरकारी बस स्टैंड को हाइटेक होने की बात तो दूर शौचालय और पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है। निजी बस पड़ाव की स्थिति तो और बदतर है। अभी तक बस पड़ाव के लिए जमीन की तलाश चल रही है। बिहार राज्य परिवहन निगम के तत्कालीन प्रशासक उदय सिंह कुमावत ने 2010-11 में भागलपुर और गया समेत सूबे के बड़े शहरों में निगम के बस स्टैंडों को हाइटेक बनाने की योजना बनाई थी। बेंगलुरु की तर्ज पर 10-11 बीघा क्षेत्रफल में फैले बरारी रोड स्थित निगम परिसर में आधा दर्जन बस टर्मिनल, होटल, रेस्तरां, शापिंग मॉल बनाने की योजना थी। इसके अलावा महिला और पुरुष यात्रियों के लिए डिलक्स शौचालय, स्नानागार, यात्रियों के बैठने के लिए भव्य शेड, यात्री शेड में कुर्सी, कंप्यूटराइज्ड टिकट काउंटर समेत यात्रियों और कर्मियों के लिए सभी तरह की सुविधा मुहैया कराने की योजना बनाई गई थी। पेयजल के लिए जगह-जगह नल की व्यवस्था की जानी थी। इसके अलावा गाडिय़ों की मरम्मत के लिए हाईटेक वर्कशाप बनाने की बात थी। जिसमें आधुनिक लेथ मशीन, बोङ्क्षरग मशीन, वेल्डिंग मशीन की व्यवस्था की जानी थी। गाडिय़ों में टिकट काटने के लिए ई-टिकटिंग मशीन मुहैया कराना था।

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मल्टीप्लेक्स भवन का होना था निर्माण

पुराने भवन को तोड़कर भव्य भवन निर्माण की भी योजना थी। यह काम पीपीपी मोड में होना था। सौ करोड़ का स्टीमेट भी बन गया था। बस डिपो का आधुनिकीकरण तो हुआ नहीं बल्कि धीरे-धीरे स्थिति बद से बदतर होती चली गई। बस पड़ाव पर न तो यात्रियों के बैठने की अच्छी सुविधा है औ न ही पेयजल की व्यवस्था। शेड जर्जर हो चुका है। शौचालय जर्जर है। दरवाजा तक टूट गया है। टिकट काउंटर, वर्कशाप और ब्रिटिशकालीन भवन भी जर्जर हो चुकी है। इसी में निगम का कार्यालय है। वर्कशॉप में वेल्डिंग मशीन छोड़कर अन्य मशीन नहीं है।

मरम्मत के लिए बसों को नहीं भेजना पड़ता पटना

बस बसों की बड़ी गड़बड़ी की मरम्मत के लिए पटना सेंट्रल वर्कशाप भेजना पड़ता है या फिर जीरोमाइल, मोजाहिदपुर में प्राइवेट मिस्त्री के पास ले जाना पड़ता है। देवघर चलने वाली बस को सवा माह पूर्व मरम्मत के लिए पटना भेजा गया। इसकी वजह से देवघर बस सेवा बंद है। हैरत की बात यह है कि निगम को अपना मैकेनिक तक नहीं है। प्राईवेट आठ मैकेनिक से काम लिया जा रहा है।

रेशमी शहर में स्थाई निजी स्टैंड भी नहीं बना

सिल्क सिटी में स्थाई निजी बस पड़ाव भी नहीं बन सका है। जबकि दस सालों से स्टैंड बनाने के लिए कई बार योजना बनाई गई। लेकिन आजतक बस पड़ाव बनाने की योजना यथावत है। डिक्शन रोड और जीरोमाइल के पास रेलवे की जमीन पर स्टैंड चल रहा है। इन बस पड़ावों में यात्री सुविधा तक नहीं है। शौचालय टूट चुका है। पेयजल की व्यवस्था नहीं है। जीरोमाइल के पास तो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी नहीं है। मालगोदाम स्थित बस पड़ाव पर यात्री शेड है। लेकिन वह भी जर्जर हो चुका है। बारिश में जलजमाव होने से स्टैंड परिसर में चलना दूभर हो जाता है। नियमित सफाई के अभाव में परिसर में गंदगी रहती है।

हाइटेक बस डिपो बनाने के लिए सौ करोड़ का स्टीमेट बना था। पीपीपी मोड के तहत काम होना था। मुख्यालय स्तर से इस पर काम होना था। अभी तक कोई अनुमति नहीं मिली है। इस कारण निर्माण शुरू नहीं हुआ है। - अशोक कुमार सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, पथ परिवहन निगम।

मुख्‍य बातें

-बस स्टैंडों पर यात्रियों के लिए नहीं है शौचालय और पेयजल की अच्छी व्यवस्था

-यात्रियों के बैठने के लिए नहीं है जगह, होते हैं पेड़ के नीचे खड़ा

-रेलवे की जमीन डिक्शन रोड में चल रहा अस्थाई बस स्टैंड

-सड़क पर लगती हैं गाडिय़ां, यातायात व्यवस्था हो रहा प्रभावित

-जीरोमाइल के पास स्टैंड के लिए तलाशी गई जमीन, नहीं हुआ कारगर पहल


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