बोले कैप्टन महेश, सैनिकों की तरह अनुशासित हैं RSS के स्वयंसेवक
भागलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विजयादशवीं उत्सव मनाया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। अतिथियों ने शस्त्र पूजन कर सभी को संगठित करने का आह्वान किया।
भागलपुर (जेएनएन)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सेना की तरह देशसेवा में समर्पित है। संघ के स्वयंसेवकों के अनुशासन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उक्त बातें बुधवार को आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर में संघ के नगर ईकाई के तत्वावधान में आयोजित विजयदसवीं उत्सव की अध्यक्षता करते हुए कैप्टन महेश दास ने कही।
मुख्य वक्ता क्षेत्रीय शारीरिक प्रमुख अरुण कुमार ने विजयदसवीं के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक पक्ष को विस्तार से रखा। उन्होंने शस्त्र पूजन को संगठन सामर्थ्य का प्रतीक माना। विजयदसवीं समाज में सज्जन शक्ति को जागृत कर भारत को विश्व गुरु बनाने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की सारी विकृतियों को तोड़कर दूर करने अर्थात इसकी सीमा तोडऩे का व्रत लेने का दिन है। उन्होंने सभी को नित्य शाखा आने का आह्वान किया। कहा कि शाखा के माध्यम से ही स्वयंसेवकों का निर्माण होता है।
इसके पूर्व संघ के गणवेशधारी सैकड़ों स्वयंसेवकों ने नगर में पथ संचलन भी किया गया। इस दौरान घोष वादन हो रहा था। जगह-जगह स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की गई। स्वयंसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम में जिला संघचालक प्रो. राणा प्रताप सिंह, बाल मुकंद गुप्त, रतन भलोटिया, डॉ. लक्ष्मी कांत सहाय एवं हरविन्द नारायण भारती सहित अन्य गण्यमान्य लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर आरएसएस, विद्या भारती, अभाविप, भाजपा, किसान संघ, मजदूर संघ, अधिवक्ता परिषद, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, राष्ट्र सेविका समिति सहित शहर क गण्यमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के अलावा विधान पार्षद डॉ एनके यादव, डॉ विजय कांत दास, डॉ विजय वर्मा, अर्जित शाश्वत चौबे आदि मौजूद थे।
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यहां बता दें कि आरएसएस की स्थापना विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। इस दिन सभी स्वयंसेवक विजयादशवीं उत्सव मनाते हैं। यह कार्यक्रम दुर्गापूजा में पहली पूजा से दशवीं तिथि के बीच किसी भी दिन अपनी सुविधा के अनुसार हर जगह अलग—अलग मनाया जाता है। दशवीं तिथि को नागपुर में आयोजित होने वाले विजयादशमी उत्सव में सरसंघचालक स्वयं मौजूद रहते हैं। उस दिन वे वहां से पूरे देश के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं।