Move to Jagran APP

सरकारी स्कूल का हाल... छत पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे, गुरुजी का नाम तक नहीं जानते विद्यार्थी

सबौर प्रखंड स्थित सरधो उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ठंड में यहां हर साल बच्चों की पढ़ाई छत पर होती है। लेकिन यहां पर बच्चों को डेडमास्टर साहब और अन्य शिक्षकों का नाम तक पता नहीं है। साथ ही यहां पर संसाधनों की भी कमी है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 07:00 AM (IST)
सरकारी स्कूल का हाल... छत पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे, गुरुजी का नाम तक नहीं जानते विद्यार्थी
सरधो उत्क्रमित मध्य विद्यालय की छत पर बैठकर पढ़ाई करतीं छात्राएं।

 भागलपुर [ललन तिवारी]। सरकारी स्कूलों में कहीं शिक्षकों की कमी है तो कहीं कक्षाओं का अभाव। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा बच्चों को नहीं मिल रही है। दूसरी और तीसरी कक्षा के पाठ्यक्रम में आने वाले विषयों की जानकारी नौवीं कक्षा के विधार्थियों को नहीं है। ऐसे में उज्जवल भविष्य की परिकल्पना कैसे संभव है?

loksabha election banner

कभी स्कूल से शिक्षक गैर हाजिर रहते हैं तो कभी विद्यार्थी। बुधवार को दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे 'ऑपरेशन ब्लैक बोर्डÓ के तहत सबौर प्रखंड स्थित सरधो उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षा का हाल जानने यह संवाददाता पहुंचा। वहां की व्यवस्था देखकर कुछ देर के लिए हैरान रह गए।

लॉकडाउन के कारण अभी नौवीं कक्षा की ही पढ़ाई हो रही है। ठंड में यहां हर साल बच्चों की पढ़ाई छत पर होती है। छत पर एक तरफ छात्राओं को जमीन पर बिठाया जाता है तो दूसरी ओर छात्र बैठते हैं।

हेडमास्टर और शिक्षिका का भी नाम मालूम नहीं

मध्य विद्यालय से उत्क्रमित होकर बने इस उच्च विद्यालय में संसाधान के साथ-साथ विद्यार्थियों में बेसिक जानकारी का भी अभाव है। 11.30 बजे स्कूल भवन की छत पर हिन्दी विषय की शिक्षिका रीना प्रसाद ब्लैक बोर्ड पर विद्यार्थियों को संज्ञा के बारे में लिखकर बता रही थी। कर्ता क्या है, कर्म क्या है करण किसे कहते हैं आदि...। छात्रा चंपी कुमारी, शबनम कुमारी छात्र राहुल कुमार और पीयुष से संवाददाता ने सवाल पूछे कि आपके स्कूल के हेड मास्टर सर का नाम क्या है, तो सभी झेंप गए और जवाब नहीं दिए। अब सवाल यह है कि यह कैसी शिक्षा जब विद्यार्थियों को स्कूल के शिक्षक का ही नाम नहीं मालूम। सभी से उनके पाठ्यक्रम से ही कई सवाल पूछे गए लेकिन कुछ का ही जवाब संतोषजनक मिला।

आठवीं के शिक्षक पर नौवीं कक्षा का दायित्व

प्राचार्य मंजू कुमारी ने बताया कि पहले यह मध्य विद्यालय था। इसमें कक्षा एक से आठवीं तक की पढ़ाई होती थी। विगत वर्ष से अपग्रेड कर नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई शुरू हुई है। उन्होंने बताया कि नौवीं कक्षा के लिए अलग से शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में आठवीं कक्षा के शिक्षक ही नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। स्कूल में आठ शिक्षक हैं, इसमें से दो अवकाश पर हैं। छह शिक्षक ही अभी स्कूल हर दिन आ रहे हैं। नौवीं कक्षा में 48 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, इसमें से 15 से 20 विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल में पेयजल की व्यवस्था है, लेकिन शौचालय की स्थिति जर्जर है। स्कूल में कमरे की भी कमी है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.