मछली पालकों के लिए नजीर बने तेजनारायण, कम पूंजी लगाकर लाखों कमा रहे
सुपौल केबुजुर्ग किसान तेजनारायण ने कर्ज लेकर मछली पालन शुरू किया था। इन्होंने मछली पालन की आधुनिकतम तकनीक बायोफ्लॉक विधि को अपनाया है। जिसमें कम खर्च कम चारा कम जगह और कम पानी में मछली का ज्यादा उत्पादन संभव है। आज वह मत्स्य पालकों के लिए नजीर हैं।
सुपौल [गौरीश मिश्रा]। प्रतापगंज प्रखंड केबुजुर्ग किसान तेज नारायण मंडल मछली पालकों के लिए नजीर बन गए हैं। इन्होंने मछली पालन की आधुनिकतम तकनीक बायोफ्लॉक विधि को अपनाया है। जिसमें कम खर्च, कम चारा, कम जगह और कम पानी में मछली का ज्यादा उत्पादन संभव है। कोरोना के कहर के बाद जारी लॉकडाउन ने जहां पूरे देश में उथल-पुथल का माहौल कायम कर दिया वहीं इन्होंने इसी समय में खुद को आत्मनिर्भर बनने की ठान ली। इसके लिए गांव में ही अपनी जमीन पर तीन-चार टैंक का निर्माण किया। शिव वृद्ध स्वयं सहायता समूह के सदस्य होने के नाते अपने समूह से 20 हजार और अक्षयवट बुर्जु महासंघ से 50 हजार रुपये ऋण लेकर मछली पालन शुरू किया। करीब चार माह पूर्व उनके द्वारा शुरू किया गया यह कार्य रंग लाने लगा है। उनकी देखादेखी अन्य लोग भी अब इस तरफ आकर्षित होने लगे हैं।
तेजनारायण मंडल बताते हैं कि उन्होंने वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए तैयार किए जाने वाले टैंक की तरह करीब 10 फीट लंबा, आठ फीट चौड़ा एवं साढ़े तीन फीट गहरा तीन पक्की टैंक का निर्माण कर इसके ऊपर शेड का निर्माण किया और इसी टैंक में उन्होंने मछली पालन शुरू किया। टैंक में उन्होंने हाईब्रिड मांगुर एवं कबैय मछली का जीरा डाला है। टैंक में पानी कम नहीं हो इसके लिए मोटर से पाइप बिछाकर हर टैंक तक पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 40 हजार के मछली का जीरा उन्होंने चार माह पूर्व डाला था। इससे छह माह में उन्हें ढाई से तीन लाख रूपये की आमदनी का अनुमान है। अब इस विधि से मछली पालन की चर्चा बहुतायत में सुनने को मिल रही है। साथ ही टैंक में कलरव करते मछली को देखने के लिए भी लोग पहुंच रहे हैं। इस संबंध में अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के अध्यक्ष सीताराम मंडल एवं हेल्प एज इंडिया के परियोजना समन्वयक प्रभाष कुमार कहते हैं कि कोरोना काल में बुजुर्ग तेजनारायण मंडल ने आपदा को अवसर में बदल कर दिखा दिया है। साथ ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं। इन्होंने बताया कि इस बुजुर्ग की मेहनत एवं सोच दूसरों को भी प्रेरित करेगा। स्वरोजगार के रूप में अगर आज के युवा इस तरह के कार्य की तरफ मुड़े तो अच्छी आमदनी घर पर ही रहकर ले सकते हैं। इसके लिए जरुरत है कि सरकारी स्तर पर भी इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और आर्थिक मदद दी जाए।