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राशि सरेंडर को देर रात तक मची रही आपाधापी

भागलपुर। कोषागार कार्यालय में राशि सरेंडर कराने के लिए विभिन्न विभागों में देर रात तक आपाधापी मची रही। अंतिम दिन कोषागार पर दवाब कम था। कुल करीब आठ हजार बिल पारित किए गए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Apr 2017 02:18 AM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2017 02:18 AM (IST)
राशि सरेंडर को देर रात तक मची रही आपाधापी
राशि सरेंडर को देर रात तक मची रही आपाधापी

भागलपुर। कोषागार कार्यालय में राशि सरेंडर कराने के लिए विभिन्न विभागों में देर रात तक आपाधापी मची रही। अंतिम दिन कोषागार पर दवाब कम था। कुल करीब आठ हजार बिल पारित किए गए।

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कोषागार पदाधिकारी मनीेष कुमार ने बताया कि अधिकांश विपत्र 30 मार्च के पहले पारित कर दिए गए थे। इसलिए अंतिम दिन कर्मचारियों पर लोड कम रहा। हां,बीएसएनएल का नेटवर्क शुक्रवार को भी बाधित रहा। अंतिम दिन विपत्र पारित करने से अधिक सरेंडर करने की जल्दबाजी थी। राजस्व, नजारत, आपूर्ति विभाग के अधिकारी अपने विभागों में बची राशि को वापस करने के लिए हिसाब किताब लगाते रहे। जिसकी वजह से अधिकांश कार्यालय रात दस बजे के बाद भी खुले रहे। सीओ व बीडीओ से भी हिसाब मांगा जाता रहा। कोषागार में विपत्र फंसने के डर से अधिकांश अफसर वहां डटे रहे। सरकार द्वारा गठित निगरानी के एएसपी सहित तीन सदस्यीय कमेटी के पदाधिकारी भी बड़ी राशि के विपत्रों की जांच कर रहे थे। शाम तक कोषागार में जिन विभागों के पत्र आए थे उनमें सिंचाई, भवन व पीएचईडी महत्वपूर्ण विभाग थे। सूत्रों ने बताया कि सिंचाई ने पौने दो करोड़, पीएचईडी ने एक करोड़ और भवन प्रमंडल ने अलग-अलग विपत्रों को मिलाकर करीब 90 लाख की राशि सरेंडर की है। सीटीएस ने वेतन मद की एक करोड़ 67 लाख, भू अर्जन ने 10 लाख 58 हजार, जुब्बा साहनी केंद्रीय कारा ने 25 लाख, आईजी कार्यालय ने दो लाख, पथ प्रमंडल ने सवा दो करोड़, आरडीडीई ने 3 लाख 31 हजार रुपये वापस किए। अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय ने करीब सात लाख की राशि वापस की। भविष्य निधि ने भी 1 लाख 61 हजार रुपये वापस किए। विपत्रों को पारित कराने में धर्मवीर, अनिल, अमरेंद्र आदि ने सहयोग प्रदान किया।


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