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Success Story: बचपन में देखा विधवा मां का संघर्ष, बड़े होकर बेटे ने रचा इतिहास, प्रथम प्रयास में ही BPSC में पाई सफलता

Success Story बीपीएससी के कृषि सेवा के लिए एखलाक का हुआ चयन। बीएयू से स्नातक और टीएनबी कालेज से पास किया था इंटर। पिता के निधन होने के बाद ने मां ने अपने बच्‍चों को पढ़ाने मं कोई संंघर्ष नहीं छोड़ा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 27 Dec 2021 04:58 PM (IST)
Success Story: बचपन में देखा विधवा मां का संघर्ष, बड़े होकर बेटे ने रचा इतिहास, प्रथम प्रयास में ही BPSC में पाई सफलता
एखलाक उर रहमान अपनी मां के साथ।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। भीखनपुर के हटिया चौक, तीन नंबर गुमटी निवासी एखलाक उर रहमान के सिर से ढाई साल की उम्र में ही पिता कद्दुस अंसारी का साया उठ गया। बावजूद एखलाक की मां बीबी शहनाज खातून ने हार नहीं मानी। वे खुद इंटर पास थी, लेकिन अपने बेटों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। इसी का परिणाम है कि उनके बेटे एखलाक उर रहमान ने बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (कृषि सेवा) में सफलता पाई है। वे फिलहाल फूड कारपोरेशन आफ इंडिया में श्रेणी एक पद में कार्यरत हैं।

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एखलाक ने बताया कि यह उनका पहला ही प्रयास था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सीएमएस हाइ स्कूल से की है। इसके बाद इंटर की पढ़ाई टीएनबी कालेज से पूरी की। इंटर के बाद उन्होंने कृषि सेवा का क्षेत्र चुना। उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कालेज में नामांकन करा लिया। इसके बाद वहां से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद से वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भिड़ गए। लगातार मां की प्रेरणा से वे तकनीकी सहायक के पद पर चयनित हुए। इसके बाद विषय वस्तु विशेषज्ञ और फिर भारत सरकार की सेवा में आ गए। 

उन्होंने बताया कि वे पांच भाई थे। उनके पिता रजिस्ट्री कार्यालय में कार्यरत थे। पिता और एक भाई का साया बचपन में ही छूट गया था। यह उन लोगों के लिए संघर्ष का दिन था, किंतु मां की हिम्मत से वे लोग पढ़ाई में लगे रहे। एखलाक ने बताया कि आज यह सफलता मां की वजह से ही है। मां ने लगातार अपने बच्‍चों को प्रेरित किया। उनकी सफलता पर अताउर रहमान, जदयू के प्रवक्ता राकेश ओझा, आनंद सागर, शाहरूख, फारूक आदि ने बधाई दी है। उनकी सफलता पर पड़ोस और उनसे जुड़े लोगों का तांता लगा हुआ है। एखलाक ने कहा कि यदि मां-पिता का आर्शीवाद और अपना लक्ष्य हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।


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