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सृजन घोटाला भागलपुर : मद्य निषेध को जागरुकता फैलाने की राशि में भी हुई हेराफेरी

सृजन घोटाला भागलपुर मद्य निषेध को जागरुकता फैलाने की राशि में भी हुई हेराफेरी। जिला कल्याण कार्यालय भागलपुर में पूर्ण शराबबंदी के जागरूकता अभियान की राशि में भी हुआ गड़बड़झाला। शराबबंदी की जागरूकता के लिए डुगडुगी पिटाई ही नहीं डकार लिए लाखों रुपये।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 10:19 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 10:19 AM (IST)
सृजन घोटाला भागलपुर : मद्य निषेध को जागरुकता फैलाने की राशि में भी हुई हेराफेरी
मद्य निषेध को जागरुकता फैलाने की राशि में भी घपला हुआ है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। सृजन घोटाला भागलपुर : जिला कल्याण कार्यालय, भागलपुर में करोड़ों की राशि की हेराफेरी में लगे घाघ अधिकारियों ने कई घोटाले किये। सूबे में मद्य निषेध अभियान में जागरूकता फैलाने को लेकर भेजी गई सरकारी राशि में भी गड़बड़झाला किया। पूर्ण शराबबंदी को प्रभावी बनाने की दिशा में भारी गड़बड़ी की।

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सामाजिक जागरूकता में तेजी लाने के लिए अनुश्रवण योग्य संचार पहल के जरिए टेलीविजन, प्रोजेक्टर, बैटरी, जेनरेटर, डुगडुगी बजाना आदि की राशि में हेराफेरी की। इसकी कलई अंकेक्षण के क्रम में सामने आई है।

मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, बिहार महादलित विकास मिशन ने 24 मई 2016 ने बिहार राज्य में पूर्ण शराबबंदी  में सहयोग और सामाजिक जागरूकता में तेजी लाने को कहा था। इसके लिए संचार माध्यम की पहल करने को कहा था। जिसके तहत टेलीविजन, प्रोजेक्टर, बैटरी, जेनरेटर, डुगडुगी बजाने जैसे प्रदर्शन विकास मित्रों, पंचायत स्तर पर कराना था। इस क्रम में मिशन निदेशक ने 17 अक्टूबर 2016 के जरिए शराबबंदी से संबंधित मूल डीवीडी से नया डीवीडी तैयार करने। फिल्म दिखाने, डुगडुगी बजाने उपस्थिति पंजी के संधारण आदि मदों के लिए 1400 प्रति विकास मित्र, महादलित पंचायत की दर से भुगतान आदेश था। यह आदेश पांच अक्टूबर 2016 के जरिए जिला परियोजना सह जिला कल्याण पदाधिकारी भागलपुर को भेजा गया था। जिसमें 293 विकास मित्रों के लिए कुल 4,10200 रुपये आरटीजीएस से दिया गया था। यह राशि जिला कल्याण पदाधिकारी, भागलपुर को प्राप्त भी हो गया था।

उक्त राशि के इस्तेमाल किये जाने के बाद उस राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी नहीं सौंपा गया। इसको लेकर अंकेक्षण के दौरान अंकेक्षक ने सवाल उठाये। कारण पूछा गया कि 15 माह बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। ना ही उपयोगिता प्रमाण पत्र ही दिया गया। अंकेक्षक के उक्त सवाल का जवाब उपलब्ध नहीं कराया जा सका। करोड़ों के घोटाले में लगे पदाधिकारी और सृजन घोटाले के मास्टर माइंड की चौकड़ी ने लाखों की राशि का बंदरबांट करते हुए करोड़ों-अरबों की राशि डकारते चले गए।


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